रेप के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे फलाहारी बाबा को राजस्थान की अलवर जेल से जयपुर की ओपन जेल में किया गया शिफ्ट

रेप के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे फलाहारी बाबा को राजस्थान की अलवर की सेंट्रल जेल से जयपुर की सांगानेर ओपन जेल में शिफ्ट कर दिया गया है. यह फैसला राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश के बाद लिया गया है. रविवार को बाबा को जयपुर की खुली जेल में स्थानांतरित किया गया. बाबा पर आरोप था कि उसने अपने आश्रम में एक युवती के साथ दुष्कर्म किया था. यह रेप केस 6 साल पुराना है, तब यह काफी चर्चा में रहा था.

फलाहारी बाबा को 2018 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. फलाहारी बाबा ने अपनी सजा के दौरान जेल में बदलाव के लिए याचिका दायर की थी, जिसे पहले ओपन एयर कैंप समिति ने खारिज कर दिया था. हालांकि, हाई कोर्ट ने समिति के फैसले को पलटते हुए बाबा को खुली जेल में भेजने का आदेश दिया. बाबा को स्वामी कौशलेंद्र प्रपन्नाचारी के नाम से भी जाना जाता है.

‘जीभ पर ओम लिखकर बोलता, चाटो इसे’
जिस युवती ने फलाहारी बाबा के खिलाफ केस दर्ज कराया, वह छत्तीसगढ़ की रहने वाली थी. उसने बाबा के आश्रम के बारे में सुना और अलवर पहुंची. बाबा ने युवती को अपने पास बुलाया और फिर उसके साथ दुष्कर्म किया. पीड़िता ने कोर्ट को बताया था कि बाबा ने अपनी जीभ पर शहद से ‘ओम’ लिखा और उसे चाटने को कहा और फिर दुष्कर्म किया.

बाबा को उम्रकैद की सजा
पीड़िता ने बाद में छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया. चूंकि घटना अलवर की थी, मामला अलवर ट्रांसफर कर दिया गया. अलवर पुलिस ने मामले की जांच की और बाबा को गिरफ्तार किया. एक साल बाद, 26 सितंबर 2018 को बाबा को उम्रकैद की सजा सुनाई गई.

अब जयपुर की ओपन जेल में
फलाहारी बाबा को अलवर सेंट्रल जेल में 7 साल बिताने के बाद अब जयपुर की सांगानेर ओपन जेल में शिफ्ट किया गया है. इससे पहले, बाबा को 20 दिन की पैरोल भी मिल चुकी थी. जेल से बाहर आने की संभावना अब बहुत कम थी, लेकिन अब अदालत के आदेश से वह खुली जेल में रहेगा.

यह मामला एक उदाहरण प्रस्तुत करता है कि किस तरह से न्याय प्रक्रिया के तहत किसी व्यक्ति को सजा और राहत मिल सकती है. यह भी दिखाता है कि कानून के समक्ष सभी समान होते हैं, चाहे वह कोई साधू हो या आम नागरिक.

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