गोरखपुर। वर्तमान में राजनीतिक जमीन को मजबूत करने की कोशिश में जुटी बसपा कभी गोरखपुर-बस्ती मंडल में सबसे प्रभावी पार्टी बनकर उभरी थी। यह दौर था 2009 में हुए 15वीं लोकसभा के चुनाव का। इस चुनाव में ‘हाथी’ की चाल इतनी तेज थी कि बाकी सभी पीछे छूट गए थे।
इस चुनाव में बसपा को नौ में से चार सीटों पर जीत मिली थी। इतनी ही सीट पर पार्टी के प्रत्याशी सीधी लड़ाई में थे। इस चुनाव के बाद से ही बसपा का खाता यहां नहीं खुल सका है। उत्तर प्रदेश में बसपा ने 2007 में पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई थी।
इसके दो साल बाद हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी अकेले ही गोरखपुर-बस्ती मंडल की नौ सीटों पर चुनाव लड़ी और उस समय सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। देवरिया, सलेमपुर, बस्ती व संतकबीरनगर में बसपा को जीत मिली तो गोरखपुर, महराजगंज, बांसगांव, कुशीनगर में दूसरा स्थान मिला। डुमरियागंज में पार्टी का प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहा। 2004 में हुए चुनाव में बसपा को बस्ती, डुमरियागंज व खलीलाबाद में जीत मिली थी।
बांसगांव में दूसरा स्थान मिला था। चार सीटों पर पार्टी के प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे। 2014 के चुनाव में भी बसपा ने अच्छी लड़ाई लड़ी। उसे छह सीटों पर दूसरा स्थान मिला, तीन पर तीसरा। पिछले लोकसभा चुनाव में सपा व बसपा का गठबंधन था और बसपा को इधर की छह सीटें मिली थीं।
इनमें बस्ती, डुमरियागंज, संतकबीरनगर, देवरिया, बांसगांव व सलेमपुर शामिल थीं। सभी सीटों पर दूसरा स्थान मिला था। इस क्षेत्र में बसपा की जीत का खाता 1999 से खुला था। इस चुनाव में सलेमपुर से बसपा प्रत्याशी बब्बन राजभर ने जीत हासिल की थी।
यह रहा बसपा का प्रदर्शन
1989 : सभी नौ सीटों पर प्रत्याशी उतारे। एक सीट पर सीधी लड़ाई, पांच पर तीसरा, दो पर दूसरा व एक पर पांचवां स्थान।
1991 : आठ पर लड़े। चार पर चौथा व चार पर पांचवां स्थान। 1996 : दो सीट पर दूसरा, सात पर तीसरा स्थान।
1998 : एक सीट पर दूसरा, आठ पर तीसरा स्थान।
1999 : एक पर जीत। दो पर दूसरा, चार पर तीसरा व दो पर चौथा स्थान।
2004 : तीन पर जीत। एक पर दूसरा, चार पर तीसरा व एक पर चौथा स्थान।
2009 : चार पर जीत, चार पर दूसरा व एक पर तीसरा स्थान।
2014 : छह पर दूसरा, तीन पर तीसरा स्थान।
2019 : छह पर उम्मीदवार खड़े किए। सभी पर दूसरा स्थान।