कानपुर में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में भ्रष्टाचार आया सामने

कानपुर में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में भ्रष्टाचार सामने आया है। समाज कल्याण विभाग ने बीते दिसंबर में 360 जोड़ों की शादी तो करा दी लेकिन इनमें कुछ जोड़ों ने फेरे ही नहीं लिए थे। मामले की जांच की गई तो पटल प्रभारी ने लाभार्थियों के दस्तावेज ही नहीं उपलब्ध कराए। जांच अधिकारी ने अपने स्तर पर तीन लाभार्थियों के दस्तावेज जुटाए तो तीनों के आय प्रमाण पत्र में खामी मिली।

जांच अधिकारी ने पटल प्रभारी के निलंबन की संस्तुति की है। ऐसे में शेष बचे 357 आवेदन अभी भी संदेह के घेरे में हैं। मामला दिसंबर 2024 का है जब जिले के सभी ब्लॉकों में समाज कल्याण विभाग की ओर से 360 गरीब कन्याओं की एक ही मंडप के नीचे शादी कराई गई थी। योजना के तहत हर लाभार्थी पर 51 हजार रुपये खर्च किए गए थे। इनमें 35 हजार नकद, 10 हजार के उपहार और छह हजार रुपये खाने-पीने पर खर्च किए गए थे।

पत्र लिखकर मांगी थी पात्र जोड़ों की सूची
आयोजन के दौरान ही सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ। इसमें कई जोड़े ऐसे दिखे थे, जिन्होंने फेरे नहीं लिए थे और कई दुल्हनें बगैर मांग भरे कार्यक्रम में दिखी थीं। समाज कल्याण निदेशक प्रशांत कुमार ने मामले की जांच उप निदेशक महिमा मिश्रा को सौंपी थी। उप निदेशक ने समाज कल्याण अधिकारी शिल्पी सिंह और पटल प्रभारी मिनेष गुप्ता को पत्र लिखकर पात्र जोड़ों की सूची मांगी थी, लेकिन उन्हें अभिलेख उपलब्ध नहीं कराए गए।

शासनादेश में आय प्रमाण पत्र लगाने का है निर्देश
उप निदेशक ने अपने स्तर पर पतारा और घाटमपुर ब्लॉक के पात्र तीन जोड़ों के आवेदनों की जांच की। पता चला कि पतारा ब्लॉक की अर्चना पुत्री परमेश वरदीन की शादी राजन पुत्र सुखवासी से हुई थी, लेकिन आवेदन पत्र में वधू के पिता का आय प्रमाण पत्र ही नहीं लगा था। इसी तरह पतारा की काजल पुत्री पप्पू ने अपना आय प्रमाण पत्र लगा दिया था, जबकि शासनादेश में माता-पिता का आय प्रमाण पत्र लगाने का निर्देश है।

निदेशक से की है निलंबन की संस्तुति
वहीं, घाटमपुर ब्लॉक की रूबी देवी पुत्री सरजू प्रसाद ने माता का आय प्रमाण पत्र लगाया था, जो पांच साल पुराना था, जबकि आय प्रमाण पत्र की वैधता तीन वर्ष होती है। उप निदेशक ने तीनों आवेदन पत्रों की जांच कर और अपात्रों को लाभ देने की रिपोर्ट निदेशक को भेज दी है। उन्होंने पटल प्रभारी पर जांच में सहयोग न करने और मामले में दोषी मानते हुए निदेशक से निलंबन की संस्तुति की है।

जांच में तीन लाभार्थियों के आवेदन पत्रों के कागजात अधूरे मिले हैं। इसके बाद भी अपात्र आवेदकों को योजना का लाभ दिया गया। विभागीय अधिकारियों ने जांच में कोई भी तरह का सहयोग नहीं किया है। इसकी वजह से अन्य आवेदन पत्रों की जांच नहीं हो सकी। पटल प्रभारी दोषी पाए गए हैं। उनके निलंबन की संस्तुति निदेशक से की गई है। -महिमा मिश्रा, उप निदेशक, समाज कल्याण विभाग

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