नई दिल्ली। यूरोप में इन दिनों एक बीमारी का प्रकोप देखने को मिल रहा है। दरअसल, यहां सिटाकोसिस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। खुद वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन यानी WHO ने ने कई यूरोपीय देशों में सिटाकोसिस के बढ़ते प्रकोप की जानकारी दी। इस बीमारी के कहर की शुरुआत साल 2023 में देखने को मिली थी, लेकिन इसका प्रकोप अब भी जारी है। जानकारी के मुताबिक इस बीमारी से अब तक 5 लोगों की मौत भी हो चुकी है। ऐसे में जानते हैं इस बीमारी के लक्षणों से लेकर बचाव तक के बारे में सबकुछ-
सिटाकोसिस क्या है?
सिटाकोसिस, जिसे पैरेट फीवर भी कहा जाता है, क्लैमाइडिया फैमिली के बैक्टीरिया के कारण होता है। जैसा कि नाम से पता चलता है, यह बीमारी सिर्फ तोते से नहीं बल्कि कई पक्षियों से होती है। यह बीमारी विभिन्न जंगली और पालतू पक्षियों और मुर्गों के जरिए भी फैल सकती है।
पैरेट फीवर के लक्षण
पैरेट फीवर में लक्षण आम तौर पर संक्रमित होने के 5 से 14 दिनों के बाद शुरू होते हैं। कुछ अन्य संभावित लक्षणों में सांस की तकलीफ, सीने में दर्द और रोशनी के प्रति संवेदनशीलता शामिल हैं। वहीं, इसके अन्य लक्षण निम्न हैं-
थकान
सिर दर्द
कमजोरी
सूखी खांसी
मतली और उल्टी
मांसपेशियों में दर्द
बुखार और ठंड लगना
पक्षियों में लक्षण
इस बैक्टीरिया से संक्रमित पक्षियों में निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं:-
दस्त
वजन घटना
सूजी हुई आंखें
भूख कम लगना
सांस लेने में कठिनाई
आंखों या नाक से डिस्चार्ज
कैसे फैलता है पैरेट फीवर
संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आने वाले लोगों को यह बीमारी हो सकती है। लक्षण वाले या बिना लक्षण वाले संक्रमित पक्षी सांस लेने या एक्सक्रीशन के जरिए बैक्टीरिया फैला सकते हैं। सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के अनुसार, संक्रमित पक्षियों के मल और डिस्चार्ज के छोटे सूखे, धूल के कणों को अंदर लेने से कोई व्यक्ति संक्रमित हो सकता है। साथ ही किसी संक्रमित पक्षी के काटने या चोंच मारने से मुंह के संपर्क से भी कोई व्यक्ति संक्रमित हो सकता है।
हालांकि, यह बैक्टीरिया एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैल सकता। इसके अलावा, इस बात का भी कोई सबूत नहीं है कि पोल्ट्री बनाने या खाने से बैक्टीरिया फैलता है।
पैरेट फीवर के गंभीर प्रभाव
सही समय पर उचित इलाज न मिलने पर यह निमोनिया, हृदय वाल्व की सूजन, हेपेटाइटिस या न्यूरोलॉजिकल समस्याओं सहित कुछ गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है। कुछ दुर्लभ और बहुत गंभीर मामलों में इससे जान भी जा सकती है।
पैरेट फीवर का इलाज
पैरेट फीवर से पीड़ित व्यक्तियों को आमतौर पर लक्षणों में सुधार के लिए एंटीबायोटिक्स और अन्य दवाएं दी जाती हैं।