हरियाणा की हार से सबक लेते हुए कांग्रेस ने महाराष्ट्र में बड़े नेताओं की फौज उतार दी है. अशोक गहलोत, सचिन पायलट, भूपेश बघेल और चरणजीत सिंह चन्नी समेत 11 नेता को महाराष्ट्र चुनाव के लिए पार्टी ने वरिष्ठ पर्यवेक्षक नियुक्त किया है. हालांकि, कांग्रेस के भीतर चर्चा इन नेताओं को सौंपी गई जिम्मेदारी को लेकर हो रही है.
पूरे हरियाणा चुनाव के सीनियर ऑब्जर्वर रहे अशोक गहलोत को मुंबई-कोकण और ठाणे जैसे जगहों की जिम्मेदारी दी गई है, जो शिवसेना का गढ़ माना जाता है. इसी तरह शरद पवार के गढ़ पश्चिमी महाराष्ट्र में टीएस सिंहदेव तैनात किए गए हैं.
भूपेश बघेल और चरणजीत सिंह चन्नी को कांग्रेस ने सबसे अहम विदर्भ की जिम्मेदारी दी है. सचिन पायलट मराठवाड़ा की कमान संभालेंगे.
कांग्रेस ने किसे सौंपा टफ टास्क?
गहलोत को मिला मुंबई-ठाणे, यहां कांग्रेस कमजोर
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मुंबई-ठाणे और कोंकण इलाके का सीनियर ऑब्जर्वर नियुक्त किया गया है. गहलोत के साथ कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर की ड्यूटी लगाई गई है. परमेश्वर संगठन में भी रह चुके हैं. गहलोत हाल ही में हरियाणा के सीनियर ऑब्जर्वर थे.
मुंबई, ठाणे और कोकण इलाके में विधानसभा की कुल 75 सीट है. पिछली बार कांग्रेस इन इलाकों में 52 सीटों पर लड़ी. हालांकि, उस वक्त पार्टी एनसीपी के साथ साझेदारी में थी. वर्तमान में एनसीपी (शरद) के साथ-साथ उद्धव से भी समझौता है.
मुंबई-ठाणे और कोकण का इलाका शिवसेना का गढ़ माना जाता रहा है. पिछली बार इन इलाकों में एनडीए गठबंधन की तरफ से शिवसेना ने 45 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. 29 सीटों पर उसे जीत भी मिली थी. इसके उलट कांग्रेस को सिर्फ 7 सीटों पर जीत मिली थी.
कहा जा रहा है कि 2024 के चुनाव में मुंबई और ठाणे के इलाके में कांग्रेस 25-30 सीटों पर लड़ सकती है. गहलोत के लिए चुनौती यह है कि यहां उन्हें शिवसेना (यूबीटी) के साथ तालमेल बैठाना होगा. शिवसेना और कांग्रेस के बीच लंबे वक्त से खिंचातानी चल रही है.
सिंहदेव-पाटिल के जिम्मे एनसीपी-शिवसेना का गढ़
पश्चिमी महाराष्ट्र में विधानसभा की 70 सीटें हैं. 2019 में कांग्रेस यहां की 29 सीटों पर लड़ी थी और उसे 12 पर जीत मिली थी. पश्चिमी महाराष्ट्र शिवसेना और एनसीपी का गढ़ माना जाता रहा है. पिछली बार एनसीपी ने यहां की 27 सीटों पर जीत दर्ज की थी.
कहा जा रहा है कि इस बार पश्चिमी महाराष्ट्र की 15-20 सीटों पर कांग्रेस लड़ सकती है. कांग्रेस ने इन्हीं सीटों की रणनीति तैयार करने के लिए छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव और कर्नाटक के मंत्री एमबी पाटिल को मैदान में उतारा है. पश्चिमी महाराष्ट्र में कार्यकर्ताओं को एकजुट करने के साथ-साथ सहयोगियों से तालमेल बनाना भी सिंहदेव और पाटिल के लिए आसान नहीं है.
कांग्रेस ने अपने गढ़ में उतारे दो पूर्व सीएम
महाराष्ट्र का विदर्भ इलाका कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. यहां पर पार्टी ने छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल, पंजाब के पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी मध्य प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार को सीनियर ऑब्जर्वर नियुक्त किया है.
विदर्भ में विधानसभा की कुल 62 सीटें हैं. कांग्रेस पिछली बार यहां पर 47 सीटों पर लड़ी और 15 पर जीत हासिल की. कांग्रेस के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले विदर्भ से ही आते हैं. कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में विदर्भ में बेहतरीन प्रदर्शन किया है.
विदर्भ ओबीसी, दलित और आदिवासी बाहुल्य इलाका है. कांग्रेस विदर्भ की करीब 40 सीटों पर इस बार भी लड़ना चाहती है. सीट शेयरिंग में उसे इन इलाकों में तवज्जो भी मिलती दिख रही है. हालांकि, कांग्रेस के लिए यहां की राह आसान नहीं है.
विदर्भ में कांग्रेस का मुकाबला सीधे तौर पर बीजेपी से होना है. ऐसे में चन्नी और भूपेश की यह जिम्मेदारी टफ टास्क मानी जा रही है.
मराठवाड़ा में पायलट के हाथ में कांग्रेस की बागडोर
कांग्रेस ने मराठवाड़ा के लिए सचिन पायलट और तेलंगाना के मंत्री उत्तम रेड्डी को वरिष्ठ पर्यवेक्षक नियुक्त किया है. मराठवाड़ा इलाके में विधानसभा की 46 सीटें हैं. यह इलाका किसी भी पार्टी का गढ़ नहीं रहा है. हालांकि, मराठा आरक्षण की वजह से इस बार एनडीए के लिए यहां की राह मुश्किल है.
कांग्रेस 2019 में यहां की 46 में से 23 सीटों पर लड़ी थी. उसे 8 सीटों पर जीत मिली थी. इस बार कहा जा रहा है कि कांग्रेस यहां की 15-16 सीटों पर लड़ सकती है.
मराठा आरक्षण की वजह से मराठाओं का समर्थन कांग्रेस को मिल सकता है. हालांकि, पार्टी की मुश्किलें इन इलाकों में अन्य जातियों को साधने की है.
खरगे के नासिर देखेंगे नॉर्थ महाराष्ट्र, यहां 35 सीटें
मल्लिकार्जुन खरगे के दफ्तर से जुड़े राज्यसभा सांसद नासिर हुस्सैन को नॉर्थ महाराष्ट्र की जिम्मेदारी सौंपी गई है. धुले और जलगांव जैसे जिले इसी इलाके में है. नॉर्थ महाराष्ट्र में विधानसभा की 35 सीटें हैं. कांग्रेस पिछली बार यहां की 20 सीटों पर लड़ी थी.
हालांकि, उसे सिर्फ 5 सीटों पर जीत मिली. कहा जा रहा है कि शिवसेना की वजह से कांग्रेस को यहां की 10-12 सीटें ही इस बार मिल सकती है.