कपड़ों की तरह दल बदलते रहे अवसरवादी नेता
बाराबंकी। लोकसभा सीट बाराबंकी जीतने को भाजपा ने इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष राजरानी रावत को चुनाव मैदान में उतारा। चुनाव दौरान खूब दलबदल भी हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संयुक्त और केन्द्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल, जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह समेत कई दिग्गज भाजपा नेताओं ने व्यक्तिगत सभाएं कीं। भाजपा बाराबंकी सीट पर हैट्रिक लगाने को छटपटा रही थी। कमल खिलाने की तमाम कवायद के बाद भाजपा जिले में कमल नहीं खिला सकी। भाजपा ने इस बार चौपालों और सम्मेलनों के सहारे मतदाताओं को अपने साथ लाने की कोशिश की। भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं तक ने जिले केे दौरे किए। केंद्र और प्रदेश सरकार की लाभकारी योजनाओं का हवाला देकर भाजपा ने माहौल बनाया। जन प्रतिनिधियों और कांग्रेस, सपा व आप पार्टी के कई नेताओं का दलबदल तक कराया।
लेकिन इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार की एकतरफा जीत ने यह साबित कर दिया है कि दल बदल कर आए दलबदलू भी इस चुनाव में भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने में नाकामयाब रहे। जनता ने इन दल बदलू नेताओं की अपील को पूरी तरह नकार दिया और वही किया जो खुद को सही लगा। लोकसभा चुनाव के दौरान सपा, बसपा व कांग्रेस के कई नेता जैसे सिद्धार्थ अवस्थी, जिला पंचायत सदस्य नेहा सिंह आनंद, जैदपुर से चेयरमैन पद का चुनाव लड़े हारुन राइन, बसपा से विधानसभा का चुनाव लड़े रामकिशोर शुक्ला, बसपा से चुनाव लड़े डॉ विवेक सिंह वर्मा और दरियाबाद से चुनाव लड़े बसपा नेता जगप्रसाद रावत, जिला पंचायत सदस्य लवली रावत, वेद प्रकाश रावत, कांग्रेस नेता प्रदीप मौर्य, दीपक सिंह रैकवार समेत कई और नेता भाजपा में शामिल हुए थे। इनके भाजपा में शामिल होने से भाजपा प्रत्याशी के मजबूत होने के कयास लगाए जाने लगे थे। परंतु चुनाव नतीजों ने यह साबित कर दिया कि इन नेताओं के दल बदलने का कोई भी असर भाजपा के पक्ष में नहीं दिखा। इससे साबित है कि चुनावों में जनता ही सर्वाेपरि होती है।