कानपुर। आइआइटी कानपुर के इंजीनियरों और किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय (केजीएमयू) लखनऊ के चिकित्सकों ने ऐसी डिवाइस तैयार की है जो हार्ट अटैक की स्थिति में कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) देने में सहायता करती है।
इसकी मदद से जाना जा सकता है कि हृदय पर सीपीआर का कितना असर हो रहा है और कितना अधिक या कम दबाव देने की जरूरत कितनी देर तक है।
डिवाइस से सीखा जा सकता है CPR का सही तरीका
डिवाइस की मदद से सीपीआर देने का तरीका भी सीखा जा सकता है। आइआइटी की चिकित्सा उपकरण बनाने वाली फार्मा कंपनियों से उसके बनाने को लेकर बात हो रही है।
आइआइटी और केजीएमयू के स्कूल आफ इंटरनेशनल बायोडिजाइन-सिनर्जाइजिंग हेल्थकेयर इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप (एसआइबी-शाइन) हृदयरोगियों को ध्यान में रखकर सीपीआर डिवाइस ‘प्रयास’ तैयार की है। इसकी मदद से हृदयरोगियों को आघात की स्थिति में उनके स्वजन ही घर में सीपीआर दे सकते हैं।
हृदयाघात के मामलों में शुरुआती डेढ़ मिनट सबसे अहम होते हैं जब सीपीआर देकर मरीज की जान बचाई जा सकती है।
भारत सरकार ने दो माह पहले ही जारी कर दिया पेटेंट
एसआइबी-शाइन के फेलो सदस्य आदित्य राज भाटिया के अनुसार, हार्टअटैक के मरीजों के मामले में अक्सर देखा गया है कि सीपीआर देने का तरीका ठीक नहीं था इससे मरीज को लाभ नहीं मिल सका। इस समस्या का समाधान ही ‘प्रयास’ है। डिवाइस को भारत सरकार ने दो माह पहले पेटेंट भी जारी कर दिया है।
कैसे काम करती है डिवाइस?
डिवाइस का कुल वजन 100 ग्राम से भी कम है। उसे हार्ट अटैक वाले मरीज के सीने के बीच में रखा जाता है उससे हृदय की गति आौर सीपीआर से पड़ने वाले दबाव का आकलन डिवाइस करती है। जो सीपीआर दिया जा रहा है उसका दिल पर कितना असर हो रहा। सही दबाव दिया रहा है या अधिक दबाव की जरूरत है।
इस तरह की गलतियों को पहचान भी डिवाइस से होती है। सही सीपीआर पर नीला और गलत तरीका होने पर लाल रंग का छोटा सा बल्ब जलता है।
आम लोग भी कर सकते हैं इस्तेमाल
सीपीआर देने में गलती होने पर इनबिल्ट स्पीकर से डिवाइस आगाह भी करती है। उसका चिकित्साकर्मियों के साथ आम लोग भी इस्तेमाल कर सकते हैं। डिवाइस की मदद से सीपीआर देने का सही तरीका भी सीखा जा सकता है।
शोध टीम के आदित्य राज भाटिया ने बताया कि हमारी कोशिश स्कूल, कालेज और सामाजिक संगठनों के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा लोगों को सीपीआर के लिए प्रशिक्षित करने की भी है। बाजार में अभी इस तरह की डिवाइस नहीं है। उनके मुताबिक उसे एक हजार रुपये के न्यूनतम मूल्य पर बाजार में उतारा जा सकता है। इसके लिए फार्मा कंपनियों से बात की जा रही है।
उपकरण की विशेषता
रियल-टाइम फीडबैक: सही दबाव गहराई सुनिश्चित करता है।
विशिष्ट प्रशिक्षण साधन: सीपीआर सीखना सरल बनाता है।
सुलभ और उपयोग में आसान: सभी के लिए सुलभ।
तकनीकी एकीकरण: उन्नत सेंसर और आडियो मार्गदर्शन।
आविष्कारक टीम: आदित्य राज भाटिया, उर्वशी, आइआइटी प्रो. डा. जे. रामकुमार, केजीएमयू के डा. ऋषि सेठी
डिवाइस की मदद से ग्रामीण क्षेत्रों में सीपीआर की सुविधा हासिल हो सकेगी। पैरामेडिकल क्षेत्र के साथ ही आदिवासी क्षेत्रों के स्कूल, कालेज के विद्यार्थियों को भी इसके प्रयोग का प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे आकस्मिक हालत में तुरंत रोगियों का उपचार किया जा सके। इस तरह की कोई डिवाइस अभी बाजार में उपलब्ध नहीं है।
– प्रो. जे. रामकुमार आइआइटी कानपुर