वाराणसी। प्रेम, राग, अनुराग, हंसी, ठिठोली, चुहल और मस्ती का उत्सव, रंगों का पर्व होली सोमवार को मनाई जाएगी। इसके पूर्व रविवार की रात 10.27 बजे के बाद होलिका दहन होगा और सुबह होते ही पूरा देश रंगों की फुहार में सराबोर हो जाएगा। प्रकृति में बिखरे रंगों के पर्व को आत्मसात करते हुए तन-मन को रंग लेने का यह आह्लादकारी उत्सव सामाजिक समरसता सद्भाव को समर्पित होता है।
फाल्गुन पूर्णिमा की रात में होलिका दहन कर अगली सुबह चैत्र कृष्ण प्रतिपदा में मनाने की परंपरा है। इस बार फागुन शुक्ल पूर्णिमा का आरंभ 24 मार्च को सुबह 09.24 बजे हो रहा है, जो 25 मार्च की सुबह 11.31 बजे तक है। अतः 24 मार्च की रात में ही 10.27 बजे के बाद भद्रा समाप्त होने के बाद होलिका दहन किया जाएगा।
चैत्र कृष्ण प्रतिपदा में होली मनाने का विधान
र्धमशास्त्रीय वचन ‘कृत्वा चावश्य कार्याणि संर्तप्य पितृदेवता:। वंदयेत् होलिकाभूमिं सर्व दुःखोपशान्तये’ के अनुसार होलिका दहन के बाद अगले दिन चैत्र कृष्ण प्रतिपदा में वसंतोत्सव-रंगोत्सव मनाने का निर्देश है। अत: 25 मार्च को रंग पर्व होली मनाई जाएगी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय पांडेय के अनुसार शास्त्रानुसार होलिका दहन में पूर्णिमा पूर्वविद्धा व प्रदोष व्यापिनी ही ग्राह्य होती है।
ये है होलिका दहन का विधान
प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा में भद्रा रहित रात्रि काल प्राप्त होने पर होलिका दहन का विधान बताया गया है, जो 24 की रात ही मिल रही है। वहीं, 25 मार्च को सुबह प्रतिपदा तिथि लग जा रही है। इसलिए पूरे देश में 25 मार्च को ही रंगोत्सव, वसंतोत्सव या होली मनाई जाएगी।
देश में 25 मार्च को मनाई जाएगी होली
विश्वनाथ धाम व विद्वत परिषद की मुहर काशी की परंपरा में भी चतु:षष्ठी देवी की यात्रा करते हुए परस्पर हास-परिहास कर रंग-गुलाल-अबीर आदि के साथ होलिका दहन के दूसरे दिन होली मनाई जाती है। अतः काशी समेत पूरे देश में 25 मार्च को चैत्र कृष्ण प्रतिपदा तिथि में ही होली मनाई जाएगी।
इस पर श्रीकाशी विश्वनाथ न्यास परिषद के अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडेय, न्यासी प्रो. चंद्रमौलि उपाध्याय, पं. दीपक मालवीय, मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्र, काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी, ज्योतिषाचार्य प्रो. रामचंद्र पांडेय, बीएचयू ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रो. गिरिजाशंकर शास्त्री आदि ने सहमति जताई है।
हाईटेक होलिका
प्रयोगों के क्रम में भोजूबीर, पांडेयपुर आदि स्थानों की होलिका में अनूठा प्रयोग किया गया है। कंडे पर बैठी होलिका के साथ समिति ने फोन पे के लिए क्यूआर कोड भी लगा दिया है। श्रद्धालु कंडा आदि जुटाने की झंझट से मुक्ति के लिए आनलाइन योगदान कर रहे हैं। आकर्षण की दृष्टि से पताकाओं से साज-सज्जा भी की गई है।