रायबरेली। एदारा ए शरैया उत्तर प्रदेश खिन्नी तल्ला रायबरेली के संयोजन में जश्ने आमदे मुस्तफा का आठवां कार्यक्रम सुनहरी मस्जिद तेलियाकोट में मौलाना अब्दुल वदूद की सरपरस्ती में आयोजित हुआ। जिसकी अध्यक्षता मौलाना अरबी उल अशरफ ने की। हाफिज फरीद अहमद की तिलावत से जलसे का आगाज हुआ। मौलाना मंसूर अहमद, जमाल अहमद, नूर मोहम्मद ने नात शरीफ पेश की। संचालन मौलाना नासिर खान अशरफी ने किया।
जलसे के मुख्य वक्ता अल्लामा मुफ्ती मोहम्मद इकबाल अहमद मिस्बाही सुल्तानपुरी ने अपने संबोधन में कहा कि हमारे लिए रबी उल अव्वल का महीना बहुत अहमियत वाला है। क्योंकि इसी महीने की 12 तारीख को प्यारे नबी का जन्म हुआ। इसलिए यह ईद से बढ़कर खुशी का दिन है। मौलाना ने कहा कि मुसलमान को अल्लाह ताला की तरफ से जो नेमत मिली है वह नबी के सदके में मिली है। अल्लाह ने हमारे नबी को नूर बनाकर भेजा है। इसलिए नबी के तशरीफ लाने के बाद शिक्षा का अंधकार, जुल्म अत्याचार का अंधेरा, बेहयाई और बदकारी, नाइंसाफी इस तरह की तमाम बुराइयों और अंधेरों को अपने नूर की रोशनी से बदल दिया। मौलाना ने अपने संबोधन में कहा कि आज हमारे समाज में जो बेचैनी पाई जाती है वह इसलिए है कि हम नबी के बताए हुए रास्ते से भटक गए हैं। अगर हमें सुकून और इत्मीनान चाहिए तो अपने नबी के बताए रास्ते पर चलने लगे। इससे समाज की तमाम बुराइयां खुद-ब-खुद समाप्त हो जाएगी।
बाद सलातो सलाम व मौलाना अरबी उल अशरफ की दुआ पर कार्यक्रम का समापन हुआ। जलसे को सफल बनाने में मुख्य रूप से मास्टर शब्बीर खान, कारी जमाल अहमद, मास्टर फरीदी, सद्दाम, अरशद, गुलाम गौस, हुसैन अहमद, मुन्ना भाई, आदि का सराहनीय योगदान रहा।