लखनऊ। सीबीआई के समन पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जवाब दिया है। लखनऊ में गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सपा प्रमुख ने कहा कि सीबीआई की तरफ से जो कागज़ आया था, उसका जवाब मैं दे चुका हूं। अखिलेश ने कहा कि गठबंधन मजबूत हुआ इसलिए समन आया। उन्होंने दिल्ली जाने में अमर्थता जताई है।
यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा लीक पर भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए अखिलेश ने कहा, पुलिस भर्ती का बड़ा-बड़ा दावा किया गया था। पेपर लीक हो गया। सरकार ने जानबुझकर पेपर लीक कराया है क्योंकि उनकी नीयत नहीं है नौकरी देने की।
अखिलेश पर शिकंजा कसने की तैयारी!
बहुचर्चित खनन घोटाले में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर सीबीआइ शिकंजा कसने की तैयारी में है। दिल्ली सीबीआइ ने हमीरपुर में हुए खनन घोटाले को लेकर वर्ष 2019 में दर्ज एफआइआर के तहत नोटिस देकर अखिलेश यादव को 29 फरवरी को पूछताछ के लिए बुलाया है। हालांकि, इस केस में अखिलेश यादव नामजद आरोपित नहीं हैं। खनन पट्टों के आवंटन की प्रक्रिया में हुए खेल को लेकर अखिलेश यादव से बतौर गवाह सवाल-जवाब हो सकते हैं। सीआरपीसी की धारा-160 के तहत जांच में बतौर गवाह समन जारी किया गया है।
खनन घोटाले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी कर रहा है। वहीं सपा व कांग्रेस ने अखिलेश यादव को नोटिस जारी किए जाने को राजनीतिक कदम बताते हुए जांच एजेंसी के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। सपा शासनकाल में हुए खनन घोटाले में सीबीआइ दिल्ली ने दो जनवरी, 2019 को एफआइआर दर्ज की थी। हमीरपुर में हुए खनन घोटाले को लेकर 2008 बैच की आइएएस अधिकारी बी.चंद्रकला (तत्कालीन डीएम हमीरपुर) व एमएलसी रमेश मिश्रा समेत 11 नामजद आरोपितों समेत अन्य अज्ञात के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कर जांच शुरू की थी। सीबीआइ ने पांच जनवरी, 2019 को बी. चंद्रकला के लखनऊ के फ्लैट समेत अन्य जिलों में खनन विभाग के कर्मचारियों व ठेकेदारों के 14 ठिकानों पर छापेमारी भी की थी। हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआइ ने हमीरपुर, शामली, फतेहपुर, देवरिया, सिद्धार्थनगर व अन्य जिलों में वर्ष 2012 से 2016 के बीच हुए खनन में धांधली की शिकायतों पर मार्च 2017 में सात प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की थीं।
आरोप था कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के प्रतिबंध के बावजूद हमीरपुर समेत कई स्थानों पर धड़ल्ले से खनन कराया गया। सूत्रों का कहना है कि सीबीआइ जांच में सामने आया था कि हमीरपुर की तत्कालीन डीएम बी.चंद्रकला ने 13 अप्रैल 2012 से छह जून 2014 के मध्य अपने कार्यकाल के दौरान खनन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ मिलकर 50 से ज्यादा खनन के पट्टे नियमों की अनदेखी कर जारी किए थे। बिना ई-टेंडर के पट्टे दिए गए और पुराने पट्टों की मियाद भी बढ़ाई गई। सीबीआइ को इस मामले में सपा सरकार के तत्कालीन खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति की संलिप्तता के साक्ष्य भी मिले थे। जांच एजेंसी ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यालय ने 17 फरवरी, 2013 को ई-निविदा नीति का उल्लंघन करके एक ही दिन में 13 परियोजनाओं को मंजूरी दी थी। अखिलेश के पास भी था भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग सपा सरकार में भूतत्व एवं खनिकर्म मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति पर कानूनी शिकंजा कसा था। ईडी ने भी खनन घोटाले में गायत्री प्रजापति से लंबी पूछताछ की थी।
सपा के शुरुआती शासनकाल में गायत्री प्रजापति से पहले खनिकर्म विभाग के मंत्री पद का दायित्व अखिलेश यादव के पास था। माना जा रहा है कि उस दौरान आवंटित पट्टों को लेकर अखिलेश यादव की भूमिका जांच के घेरे में है।