0 कभीं झांसी की रानी तो कभीं वसंत बहार हूं,,,,
सोनभद्र। शहीद स्थल प्रवंधन ट्रस्ट करारी के तत्वावधान में सोमवार होली के अवसर पर काव्य संध्या का आयोजन शहर में जयराम सोनी के आवास पर आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार दिवाकर मेघ ने किया। संचालन अशोक तिवारी आयोजक प्रदुम्न तिवारी एड रहे।शारदे के चित्र पर माल्यार्पण दीपदान पश्चात सुधाकर स्वदेशप्रेम ने वाणी वंदना किया साथ ही समसामयिक रचना कान्हा ना मारो पिचकारी सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।ओज व श्रृंगार की श्रेष्ठ कवयित्री कौशल्या चौहान ने तीर हूं तलवार हूं अंगार हूं,कभीं झांसी की रानी तो कभीं वसंत बहार हूं सुनाकर जयहिंद वंदेमातरम् के नाद का संचरण कराईं तो वहीं श्रृंगार की पंक्ति बिल्कुल ही अधूरी हूं वैसी ही तुम्हारे बिन,सरगम के बिना जैसे अधूरा गीत होता है काफी सराही गई लोगों ने करतल ध्वनि से सराहा।
प्रद्युम्न तिवारी एड ने समसामयिक रचना रसिया से ओज को जोड़ते हुए,,, वीरों ने होली खूंन से खेली, फांसी चढ़े,जै हिंद थी बोली,जय गान तूं उनका गा रसिया फागुन में,सुनाकर वीर रस का जज्बा जगाया।शायर जुल्फिकार हैदर ने,माना कि खामियां बहुत है मुझमें,मगर मैं तुम्हारी मोहब्बत लिखता हूं सुनाकर वाहवाही लूटी। वाराणसी से आये कवि रामनरेश पाल ने,मन फागुन तन वसंत।लेता अंगड़ाई यौवन संग नहीं साजन,, सुनाकर विरह वेदना का मार्मिक चित्रण किया। धर्मेश चौहान एड ने रोशनी से ही रौशन होगा जमाना। फिर क्यों निशा का यहां आना जाना सुनाकर श्रोताओं को गतिज ऊर्जा दिये सराहे गए। हास्य-व्यंग्य के कवि जयराम सोनी ने भगवान मुझे एक साली दो, सुनाकर लोगों को खूब हंसाया। संचालन कर रहे अशोक तिवारी ने एक चिराग बेहतर है सौ दिये जलाने से ,, गंभीर शायरी कर लोगों को सोचने पर विबस किये। अध्यक्षता कर रहे दिवाकर मेघ ने गोंदी क लइका भूइयां रोवै कुक्कुर खेलइ अंकवारी में लोकभाषा के माध्यम से समाज की विद्रूपताओं का रेखांकन किये। आभार आयोजक प्रदुम्न त्रिपाठीएड ने व्यक्त किया। आयोजन देर शाम तक चलता रहा इस अवसर पर रिषभ शिवमोचन सोनू प्रेमनाथ सोनी गिरिजा यादव ठाकुर कुशवाहा फारुख अली हाशमी त्रिभुवन नाथ त्रिपाठी आदि रहे।