मुझको अबला न समझो मैं झांसी वाली रानी हूं

  • अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस व वसंतोत्सव पर हुई कवि गोष्ठी
  • कवियत्री कौशल्या चौहान को प्रशस्ति पत्र देकर किया गया सम्मानित

सोनभद्र : जनवादी लेखक संघ, शहीद स्थल प्रबंधन ट्रस्ट करारी, सोनांचल साहित्यकार परिषद के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार दोपहर नगर में स्थित डा. वीपी सिंगला के आवास पर वसंतोत्सव महाशिवरात्रि व अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर काव्य गोष्ठी हुई। अध्यक्षता कर रही कवियत्री कौशल्या चौहान को अंगवस्त्र लेखनी पुस्तिका प्रशस्ति पत्र देकर व माल्यार्पण कर सम्मानित किया गया। इसके पूर्व मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण हुआ। दिवाकर द्विवेदी मेघ ने वंदना तेरे चरण की वंदना मां हम सदा करते रहें, रसधार दें हृदय नव सर्जना करते रहें सुनाया। दयानंद दयालू ने होरी, बहे बसंती बयार झूमे गौवां जवार सुनाया। दिनेश चौबे ने दर्द दिल की जुबानी लिए हमेशा तैयार रहता हूं आंखों में पानी लिए हमेशा तैयार रहता हूं सुनाया।

संचालन कर रहे अशोक तिवारी संचालक ने खौफ है नहीं कोई धूप में नहाने से, हमने जिंदगी पाई मौत के बहाने से, सुनाकर‌ वाहवाही लूटी। प्रद्युम्न तिवारी ने नयन से नीर बहता है हृदय में पीर उठती है, किसी दुष्यंत की खातिर शकुंतला जब भी रोती है सुनाया। जुल्फेकार हैदर की शायरी रूहानी सदायें खामोश लब और नम आंखें कहां से लाऊं वसंत सा खुशनुमा माहौल काफी सराही गई। धर्मेश चौहान ने अपना फर्ज निभाओ मेरे देश वासियों गीत सुनाया। अशोक श्रीवास्तव ने कर्तव्य पथ है सर्वोपरि बाकी गड़ बड झाला है, सुनाया। डा. वीपी सिंगला ने ये आईना तो हमेशा सच बोलता है सुनाकर विसंगतियों को उकेरा। आत्म प्रकाश तिवारी एड ने शिव शब्द की समाख्या कर निरूपण किया। संरक्षक कविराज रमाशंकर पांडेय विकल ने गंभीर रचना अपने विरुद्ध बातें सुन लेता चुपचाप सुनाया। अध्यक्षता कर रही कौशल्या चौहान ने देश ही मेरा सब कुछ है मैं देश की दीवानी हूं, मुझको अबला मत समझो मैं झांसी वाली रानी हूं सुनाकर नारी सशक्तिकरण व राष्ट्रवाद का भाव जागृत किया। यहां शशि सिंगला, डा. शंकर गुप्ता, आशा सिंगला आदि मौजूद रहीं।

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