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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ शुक्रवार को कर्नाटक वैभव साहित्य और सांस्कृतिक महोत्सव के तीसरे संस्करण के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए. जहां, उन्होंने अपनी बात रखते हुए देश में क्षेत्रवाद बनाम राष्ट्रीयता के साथ-साथ देश की चुनावी प्रक्रिया के मुद्दे पर अहम टिप्पणी की. उपराष्ट्रपति ने विभाजनकारी ताकतों से आगाह करते हुए कहा कि मुझे ये कहने में कोई संकोच नहीं है कि हमें जो चुनौती मिल रही हैं, वो जलवायु परिवर्तन से भी ज्यादा गंभीर है.
उन्होंने कहा कि कुछ लोग जो काम करने की शैली अपना रहे हैं वो विभाजन पैदा करने वाला है. जाति और क्षेत्रीयता विभाजन के आधार हैं. उन्होंने कहा कि मुझे समय में नहीं आता है कि इस देश में क्षेत्रवाद बनाम राष्ट्रीयता की चर्चा कैसे हो सकती है? यह बेतुकी होने के साथ-साथ आधारहीन है. आप इनकी जड़ों को देखेंगे तो राष्ट्र विरोधी ताकतों का हाथ मिलेगा.
‘विभाजनकारी ताकतें अलग-अलग तरीके से काम करती हैं’
कार्यक्रम में अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए राज्यसभा के सभापति धनखड़ ने कहा कि देश में कुछ विभाजनकारी ताकतें अलग-अलग तरीके से काम करती हैं. इसके लिए इन्होंने नए-नए रास्ते अपनाए हैं. बहुत से मुद्दों पर आप देखेंगे कि ये अदालत के शरण में जाते हैं. मैं चिंतित हूं, क्योंकि हमारे देश के संविधान ने न्यायिक व्यवस्था में हर व्यक्ति को अधिकार दिया है कि वो वह न्यायालय की शरण में जा सकता है, लेकिन हाल के सालों में धन का उपयोग करके राष्ट्र विरोधी भावना को बढ़ावा देने के लिए न्यायपालिका तक पहुंच को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया है.
यह इस तरीके से हो रहा है जो दुनिया के किसी भी देश में नहीं हो रहा है. देश को चुनौती देने वाली शक्तियां जो राष्ट्रवाद और क्षेत्रीयता में टकराव करने की कोशिश कर रही हैं। इनको बहुत करारा जवाव मिलना चाहिए। वो हमारी सांस्कृतिक विरासत को हिलाना चाहती हैं.
मैं चिंतन के लिए विवश हो जाता हूं… बोले धनखड़
राष्ट्र के सांस्कृतिक दर्शन को संजोने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज के दिन जब मैं एक तरफ देखता हूं, तो भारत की प्रगति को दुनिया की नजर से देखना चाहिए, राष्ट्र के अंदर बसने वाले लोगों की नजर से देखो तो वो बरसात में नाचते हुए मोर के पंख हैं, पर थोड़ा सा जब मोर के पांव की ओर देखता हूं तो मुझे चिंता होती है, चिंतन के लिए विवश हो जाता हूं और तब मुझे आवश्यकता है हमारे सांस्कृतिक दर्शन की. की हम खुद ही उस टहनी को काटने की कोशिश कर रहे हैं जिस पर हम पनप रहे हैं, जिस पर हम बैठे हैं.
चुनावी प्रक्रिया पर क्या बोले उपराष्ट्रपति?
वहीं, देश के अंदर चुनावी प्रक्रिया की जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने इसे कुप्रभावित करने की चेष्टा पर गहरी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा है कि देश के अंदर जो सबसे पुराना लोकतंत्र है, सबसे मजबूत लोकतंत्र है, सबसे प्रगतिशील लोकतंत्र है, सबसे जीवंत लोकतंत्र हैं और संवैधानिक दृष्टि से दुनिया का अकेला देश है जो हर स्तर के ऊपर लोकतांत्रिक व्यवस्था रखता है. गांव हो, प्रांत हो या राष्ट्र हो, संवैधानिक व्यवस्था है. देश के भीतर हमारी चुनावी प्रक्रिया को एक तरीके से कुप्रभावित करने की कोशिश है और यह कुप्रभावित करने की कोशिश उन लोगों द्वारा है जिनकी इसमें भागीदारी नहीं होनी चाहिए पर उनकी भागीदारी है. इसके लिए हमें सामूहिक रूप से और दृढ़ संकल्प होकर, संकल्प लेकर एक मानसिकता का विकास करना होगा.
भारत पर पूरी दुनिया की नजर
भारत की आर्थिक प्रगति की ओर लोगों का ध्यान खींचते हुए धनखड़ ने कहा कि दुनिया की श्रेष्ठ संस्थाएं जैसे IMF, World Bank और अन्य कहते हैं कि दुनिया में अगर कोई चमकता हुआ सितारा है जहां निवेश किया जा सकता है, जहां आपको अवसर मिल सकते हैं, जहां आप अपनी प्रतिभा को चमका सकते हैं, तो वह भारत है. वैश्विक रूप से भारत को निवेश और अवसरों के लिए एक पसंदीदा स्थान माना जा रहा है.