इजरायल-फलस्तीन विवाद में मानवीय कानूनों का सख्ती से हो पालन: भारत…

नई दिल्ली। भारत ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि फलस्तीन को लेकर उसकी पुरानी नीति में कोई बदलाव नहीं आया है। गुरुवार को पीएम नरेन्द्र मोदी ने ना सिर्फ फलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास से टेलीफोन पर बात करके इजरायल-फलस्तीन मुद्दे पर भारत की पारंपरिक नीति को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई बल्कि उन्हें यह भी आश्वस्त किया कि फलस्तीन को भारत मानवीय आधार पर मदद भी देना जारी रखेगा।

मानवीय कानूनों का पूरी तरह से हो पालनः भारत
इजरायल की तरफ से गाजा पट्टी पर हो रहे हमले और आतंकी संगठन हमास की तरफ से इजरायल पर हो रहे हमले के बीच भारतीय विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा है कि इस विवाद में मानवीय कानूनों का पूरी तरह से पालन होनी चाहिए। साफ है कि रूस-यूक्रेन युद्ध की तरह यहां भी अपने हितों के बीच कूटनीतिक तालमेल बिठाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा।

पीएम मोदी ने फलस्तीनी राष्ट्रपति से की बात
पीएम मोदी ने गुरुवार को सोशल मीडिया साइट एक्स पर बताया है कि, फलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास से टेलीफोन पर बात हुई है। गाजा स्थित अल अहली अस्पताल में मारे गये जनता के प्रति अपनी शोक संवेदना को प्रकट किया। हम फलस्तीन की जनता को मानवीय आधार पर मदद पहुंचाना जारी रखेंगे। आतंकवाद, ¨हसा और इस क्षेत्र की बिगड़ती सुरक्षा हालात को लेकर अपनी गहरी चिंता भी साझा की। इजरायल-फलस्तीन मुद्दे पर भारत की पहले से चली आ रही सैद्धांतिक नीति को जारी रखने के बारे में भी बताया।

इजरायली पीएम से पीएम मोदी की बात
पीएम मोदी इसके पहले इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू से भी टेलीफोन पर बात की थी और हमास के हमले में मारे गये इजरायली जनता के प्रति अपनी संवेदना प्रकट की थी। मोदी ने तब कहा था कि इस दुख की घड़ी में भारत की जनता इजरायल के साथ है।

इसके पहले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने साप्ताहिक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि भारत इजरायल-फलस्तीन विवाद में आम जनता के मारे जाने और मानवीय हालात की बिगड़ती स्थिति पर काफी चिंतित है।

आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का आह्वान
बागची ने कहा, हम इजरायल पर आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है। हमारा मानना है कि किसी भी तरह का आतंकवाद हो उसके खिलाफ वैश्विक समुदाय को एक साथ खड़ा होना चाहिए। जहां तक फलस्तीन की बात है तो भारत एक स्वतंत्र, संप्रभु और स्थिर फलस्तीन राज्य की स्थापना की पुरानी नीति पर कायम है जो इजरायल के साथ ही शांति से अपनी सुरक्षित सीमाओं में रह सके। हम इसके लिए दोनो पक्षों में सीधी बातचीत का समर्थन करते हैं। हमने मौजूदा विवाद में मारे जा रहे निर्दोष नागरिकों को लेकर चिंतित हैं। वहां की मानवीय स्थिति भी चिंताजनक है। अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों का पूरा पालन करने और उनका पूरा आदर करने का हम समर्थन करते हैं।

दो वर्षों में 50 लाख डॉलर की मदद देगा भारत
एक अन्य प्रश्न के जबाव में बागची ने बताया कि भारत फलस्तीन को पहले से ही मानवीय आधार पर मदद करता रहा है। वर्ष 2022 वर्ष 2023 के दौरान भारत ने फलस्तीन को 2.95 करोड़ डॉलर की मदद दे चुका है। यह मदद संयुक्त राष्ट्र के जरिए दी जाती है। भारत ने वर्ष 2023-24 व वर्ष 2024-25 में फलस्तीन को 50 लाख डॉलर की और मदद देने का ऐलान किया हुआ है। अगर कुछ और फैसला होता है तो उसकी जानकारी अलग से दी जाएगी।

भारत का फलस्तीन को मदद देने संबंधी यह सूचना तब आई है जब गजा पट्टी में मानवीय आधार पर मदद पहुंचाने को लेकर सहमति बन रही है। अमेरिका, ब्रिटेन ने इजरायल से आग्रह किया था कि वह गजा में युद्ध से घायल व बेघर लोगों को मदद पहुंचाने का रास्ता दे। सूचना है कि यह मदद मिस्त्र के जरिए देने की तैयारी है। भारत भी इन सभी मुद्दों पर नजर बनाये हुए है और सही समय पर गजा के लोगों को मदद भेजने का फैसला करेगा।

इजरायल से लौटे 1200 भारतीय
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया कि इजरायल से भारतीयों को लाने का काम जारी है। अभी तक पांच फ्लाइटों से 1200 भारतीयों को स्वेदश लाया जा चुका है। अगर जरूरत पड़ी तो और भी फ्लाइटें शुरू की जाएंगी। लेबनान में भी स्थित के बिगड़ने को लेकर उन्होंने बताया कि भारत की नजर उस पर है, लेकिन अभी वहां भारतीयों को जाने को ले कर कोई सतर्कता संबंधी नोटिस जारी नहीं किया गया है।

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