शिमला। हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) ने एक ड्राइवर को उसकी फेसबुक पोस्ट के लिए बर्खास्त कर दिया है। ड्राइवर ने अपने फेसबुक पर एचआरटीसी के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए थे। हालांकि ड्राइवर ने फेसबुक पर पोस्ट के दौरान किसी भी अधिकारी का नाम नहीं लिखा था। ड्राइवर ने अपने स्पष्टीकरण में कहा कि उसका फेसबुक हैक हो गया था। लेकिन एचआरटीसी प्रबन्धन उसके जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ और ड्राइवर को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया।
एचआरटीसी द्वारा बर्खास्त किये गए ड्राइवर का नाम रविंद्र सिंह है और वह एचआरटीसी के संसारपुर टैरेस यूनिट में तैनात था।
रविंद्र सिंह पर डयूटी के समय फेसबुक का इस्तेमाल करने व एचआरटीसी के अधिकारियों के प्रति आपत्तिजनक शब्दों को प्रयोग करने के आरोप लगे थे। एचआरटीसी ने उसे सस्पेंड भी किया था।
मामले के अनुसार रविंद्र सिंह ने अपने फेसबुक पेज पर एचआरटीसी के अधिकारियों के खिलाफ कई तरह की टिप्पणियां की थी। रविंद्र सिंह के फेसबुक अकाउंट से पोस्ट शेयर कर लिखा गया था कि हमारे कर्मों में खोट नहीं है साहब इसलिए हम किसी से डरते नहीं हैं। खोट तो तुम्हारी नियत में है, इसलिए हम न तो आपकी इज्जत करते हैं और न ही आपका भरोसा करते हैं। पोस्ट में आगे लिखा गया था कि भले ही जेल जाना पड़े या एनकाउंटर में मरना पड़े लेकिन तुम्हारे किए जुल्म का बदला बड़ी बेरहमी से लेंगे। पोस्ट में आगे सवाल करते हुए लिखा गया था कि 7825 की मशीन 32000 में, ढाई लाख की जमीन 6 करोड़ 72 लाख में, 400 की वर्दी 2736 में, ऐसे में मातम नहीं तो क्या जश्न मनाए?
इन पोस्टों पर रविंद्र सिंह को एचआरटीसी प्रबंधन की ओर से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। इसके बाद उसे अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया गया। 30 सितंबर को उसने अपना जवाब दायर किया, लेकिन वह ये साबित नहीं कर पाया कि उसने फेसबुक पर आपत्तिजनक टिप्पणियां क्यों की थी।
ड्राइवर ने सफाई में कहा था कि उसकी फेसबुक हैक हो गया था, इस पर जब पूछा गया कि उसने इसकी एफआईआर क्यों नहीं करवाई तो इसका जवाब वह नहीं दे सका। इसके बाद उसे टर्मिनेट कर दिया गया है।
एचआरटीसी के उप मंडलीय प्रबंधक (देहरा व संसारपुर टैरेस) कुशल कुमार की ओर से इस संबंध में अधिसूचना जारी की गई है। इसके मुताबिक रविंद्र सिंह को केवल निलंबन व बर्खास्तगी के बीच (11 जून से नौ जुलाई 2024) की अवधि के वित्तीय लाभ ही मिलेंगे। इसके अलावा किसी भी वित्तीय लाभ के लिए वह पात्र नहीं होगा।
एचआरटीसी ने बर्खास्तगी के आदेशों में स्पष्ट किया है कि अगर कोई सरकारी कर्मचारी व अधिकारी सार्वजनिक मंचों पर सरकार की नीतियों की आलोचना व निंदा करता है तो नियोक्ता के लिए सरकारी घोषणापत्र व नीति को लागू करना मुश्किल हो जाएगा और इस तरह करने वाले सरकारी कर्मी व अधिकारी की पूरी विश्वसनीयता पर आंच आती है।