आस्था का महापर्व छठ कब होगा शुरू, किस तारीख को है नहाय खाय और खरना?

हिन्दू धर्म में आस्था का महापर्व छठ का बहुत अधिक महत्व होता है. छठ पूजा का पर्व मुख्यतः बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल में मनाया जाता है.

यह सूर्य देवता को समर्पित एक चार दिवसीय व्रत है. छठ पूजा में सूर्य देवता को अर्घ्य दिया जाता है और उनके दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना की जाती है. यह माना जाता है कि छठ पूजा की शुरुआत रानी कर्णवती ने की थी. उन्होंने सूर्य देवता से प्रार्थना की थी कि उनके पुत्र स्वस्थ हो जाएं. तब सूर्य देवता प्रसन्न हुए और उनके पुत्र स्वस्थ हो गए. तभी से छठ पूजा मनाई जाने लगी.

पंचांग के अनुसार, एक साल में लोक आस्था का महापर्व छठ 2 बार मनाया जाता है. पहला चैत्र महीने में जिसे चैती छठ कहा जाता है. यह छोटे पैमाने पर होता है. यानि कुछ गिने चुने परिवार के लोग इसे मनाते हैं. दूसरा कार्तिक महीने में मनाया जाने वाला छठ है. यह बड़े स्तर पर धूमधाम से मनाया जाता है. भारत ही नहीं बल्कि देश-विदेश में भी लोग छठ पर्व मनाते हैं. महापर्व पर लोग ट्रेन, बस और फ्लाइट से देश-विदेश से सपरिवार घर वापस लौटते हैं.

छठ पर्व की तिथि

द्रिक पंचांग के अनुसार, छठ पूजा का पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. इस साल 2024 में षष्ठी तिथि 7 नवंबर दिन गुरुवार को तड़के सुबह (पूर्वाहन) 12 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी और 8 नवंबर दिन शुक्रवार को तड़के सुबह (पूर्वाहन) 12 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगी.

ऐसे उदया तिथि के अनुसार, छठ पूजा का पर्व 7 नवंबर दिन गुरुवार को ही मनाया जाएगा. छठ पूजा संपन्न करने के लिए इस तरह से शाम के समय का अर्घ्य 7 नवंबर को और सुबह का अर्घ्य 8 नवंबर को दिया जाएगा. इसके बाद व्रत का पारण किया जाएगा.

कार्तिक मास में मनाया जाने वाला छठ कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से 4 दिवसीय लोक आस्था का महापर्व छठ प्रारंभ हो जाता है. सामान्य तौर छठ पर्व बोला जाता है. इसके अलावा इसे महापर्व, बड़का परब, सूर्य षष्ठी, डाला छठ, डाला पूजा और छेत्री पूजा के नाम से जाना जाता है. इस व्रत में महिला/पुरुष नए कपड़े पहनते हैं.

छठ पूजा की प्रक्रिया

छठ पूजा का पहला दिन यानी नहाय खाय 5 नवंबर (मंगलवार) है. दूसरा दिन 6 नवंबर (बुधवार) को खरना है. तीसरा दिन 7 नवंबर, दिन गुरुवार को संध्याकालीन अर्ध्य है. चौथा दिन 8 नवंबर, दिन शुक्रवार को प्रातःकालीन अर्ध्य के साथ लोक आस्था का महापर्व छठ का समापन हो जाएगा. प्रातःकालीन अर्ध्य के बाद छठ व्रती महिलाएं घर आकर छठ पूजन सामग्री का घर में पूजा कर पारण करती हैं. छठ व्रत में ज्यादातर हाथ उठा या सूप उठाने का काम महिलाएं ही करती हैं.

छठ पूजा का महत्व

ऐसी मान्यता है कि कई लोग लगातार 4 दिनों तक गंगा या अन्य नदियों किनारे या तालाबों के किनारे रहकर सपरिवार छठ मनाते हैं. वहीं कुछ व्रती सिर्फ 2 दिन संध्याकालीन अर्घ्य और प्रातःकालीन अर्घ्य के दिन क्रमशः शाम और सुबह में घाटों पर जाते हैं. ज्यादातर लोग गंगा किनारे व्रत मनाने को प्राथमिकता देते हैं इसके लिए कई परिवार सुविधानुसार गंगा किनारे रिश्तेदारों, दोस्तों या परिचितों के घर में भी जाकर छठ मनाने की प्राथमिकता देते हैं. इस पूजा के करने से लोगों की कामनाएं पूरी होती हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है.

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