जय श्री राम का नारा लगाना कैसे आपराधिक कृत्य हो सकता है?… सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए अहम टिप्पणी की है. जस्टिस पंकज मित्तल और संदीप मेहता की पीठ पूछा कि किसी धार्मिक वाक्यांश का नारा लगाना अपराध कैसे हो सकता है? ‘जय श्री राम’ का नारा लगाना कैसे आपराधिक कृत्य है? याचिका में कर्नाटक हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें मस्जिद के अंदर कथित तौर पर ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने वाले दो व्यक्तियों के खिलाफ कार्यवाही रद्द कर दी गई थी.

शिकायतकर्ता हैदर अली सी एम की ओर से दायर याचिका पर पीठ ने पूछा कि वे एक विशेष धार्मिक वाक्यांश या नाम चिल्ला रहे थे तो यह अपराध कैसे है? सर्वोच्च न्यायालय ने शिकायतकर्ता से यह भी पूछा कि कथित तौर पर मस्जिद के अंदर आकर नारे लगाने वाले व्यक्तियों की पहचान कैसे की गई.

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- प्रतिवादियों की पहचान कैसे की?
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश सीनियर अधिवक्ता देवदत्त कामत से पूछा कि आप इन प्रतिवादियों की पहचान कैसे करते हैं? आप कहते हैं कि वे सभी सीसीटीवी में कैद हुए हैं. पीठ ने आगे पूछा कि अंदर आने वाले व्यक्तियों की पहचान किसने की? पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट ने पाया कि आरोप भारतीय दंड संहिता की धारा 503 या धारा 447 के प्रावधानों को नहीं छूते हैं.

सुनवाई जनवरी 2025 के तक के लिए स्थगित
शीर्ष अदालत ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 503 आपराधिक धमकी से संबंधित है, जबकि धारा 447 आपराधिक अतिचार के लिए दंड से संबंधित है. शिकायत का जिक्र करते हुए कामत ने कहा कि एफआईआर अपराधों का विश्वकोश नहीं है. जब पीठ ने पूछा कि क्या आप मस्जिद में प्रवेश करने वाले वास्तविक व्यक्तियों की पहचान कर पाए हैं? तो कामत ने कहा कि राज्य पुलिस को इसका स्पष्टीकरण देना होगा. इस पर पीठ ने याचिकाकर्ता से याचिका की एक प्रति राज्य को देने को कहा और मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2025 तक के लिए स्थगित कर दी.

हाई कोर्ट ने भी की थी सख्त टिप्पणी
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यह समझ से परे है कि अगर कोई ‘जय श्रीराम’ का नारा लगाता है तो इससे किसी वर्ग की धार्मिक भावना कैसे आहत होगी. यह देखते हुए कि इस घटना से सार्वजनिक रूप से कोई उपद्रव या कोई दरार पैदा होने का कोई आरोप नहीं है. शिकायत में ही यह कहा गया है कि शिकायतकर्ता ने यह भी नहीं देखा है कि वह व्यक्ति कौन है जिस पर आईपीसी की धारा 506 के तहत आपराधिक धमकी का अपराध करने का आरोप है.

क्या है पूरा मामला?
उच्च न्यायालय का यह आदेश दो व्यक्तियों की ओर से दायर याचिका पर पारित किया गया, जिन पर मस्जिद में घुसकर धार्मिक नारे लगाने का आरोप है. उन्होंने मामले में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर और कार्यवाही को रद्द करने की मांग की. आरोप है कि घटना 24 सितंबर 2023 को हुई थी और पुत्तूर सर्कल के कडाबा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई गई थी.

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि कुछ अज्ञात लोग मस्जिद में घुस आए और ‘जय श्री राम’ के नारे लगाने के बाद धमकियां देने लगे. इस पर हाई कोर्ट ने कहा था कि कथित अपराधों में से किसी भी अपराध के कोई तत्व न पाए जाने पर, इन याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आगे की कार्यवाही की अनुमति देना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा और इसका परिणाम न्याय की विफलता होगा.

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