Holi 2025 : कौन सी जगह बेहतर हैं होली मनाने के लिए जानें…

Holi 2025 : अगप आप होली खेलना चाहते हैं..तो एक नए अंदाज में एक अलग लुक में खेलने के लिए आप कई जगह जा सकते हैं… आप ऐसी जगह होली खेले कि आपकी होली यादगाार हो जाए..होली केवल रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि प्रेम, सौहार्द और नई ऊर्जा का प्रतीक है। ये त्योहार हमें आपसी भेदभाव मिटाकर एकता और प्रेम से जीने की प्रेरणा देता है। यही वजह है कि देशभर में होली का त्योहार रंगों, खुशियों और आपसी प्रेम के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।होली का त्योहार हर जगह अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। ऐसे में यदि इस बार आप अलग अंदाज में होली खेलना चाहते हैं तो हमारे द्वारा बताई जगहों पर होली मनाने जाएं। इन जगहों पर जाकर आपको इतना आनंद आएगा कि आप इसे सालभर भूल नहीं पाएंगे। यहां हम आपको ऐसी जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां की होली दुनियाभर में प्रसिद्ध है। 

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लठमार होली

लठमार होली भारत में होली का सबसे अनोखा और रोमांचक रूप है। इसे उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित बरसाना और नंदगांव में मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि नंदगांव के श्रीकृष्ण अपने सखाओं के साथ जब होली खेलने बरसाना आए थे और राधा व उनकी सखियों से हंसी-मजाक में रंग खेलने लगे।  इसके बदले में बरसाना की गोपियां लाठियों से उन्हें मारने दौड़ीं। जिसके बाद नंदगांव के पुरुषों को खुद को बचाना पड़ा। तभी से यह परंपरा लठमार होली के रूप में प्रसिद्ध हो गई। 

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लड्डू होली

लड्डू होली की धूम भी सिर्फ बरसाना में ही देखने को मिलती है। मान्यता है कि द्वापर युग में राधा की सखियां नंदगांव में होली खेलने का निमंत्रण देने गईं। नंदबाबा ने यह निमंत्रण स्वीकार किया और अपने पुरोहित को वृषभानु जी के पास संदेश देने भेजा। वृषभानु जी ने पुरोहित को लड्डू खाने के लिए दिए, लेकिन इसी दौरान गोपियों ने उनके गालों पर गुलाल लगा दिया। इसके जवाब में पुरोहितों ने उन लड्डूओं की बारिश कर दी और यहीं से लड्डूमार होली की परंपरा की शुरुआत हो गई। ऐसे में आप लड्डू होली खेलने बरसाना जाने का प्लान कर सकते हैं।

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हंपी की होली

यदि आप विरासत, भक्ति और रंगों का संगम देखना चाहते हैं तो हंपी की होली में शामिल होले जाएं। यहां होली भक्ति, संगीत और ऐतिहासिक धरोहरों के बीच खेली जाती है, जो इसे बाकी जगहों से खास बनाती है। यहां होली के दौरान लोक संगीत और नृत्य होते हैं, जिससे यह त्योहार और भी मनोरंजक बन जाता है।  होली खेलने के बाद श्रद्धालु तुगभद्रा नदी में स्नान करते हैं, जो पवित्र माना जाता है। यहां होली पर विदेशी पर्यटक भी बड़ी संख्या में आते हैं, जिससे यह एक अंतरराष्ट्रीय होली उत्सव बन गया है।  

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संगीत और बैठकी होली

यदि आपको संगीत का शौक है तब तो आपको संगीत और बैठकी होली मनाने के लिए कुमाऊं, उत्तराखंड जाने का प्लान बनाना चाहिए। यह एक संगीतमय होली होती है, जिसमें लोग पारंपरिक रागों और गीतों के साथ होली खेलते हैं।  इसे तीन प्रकार से मनाया जाता है, जिसमें पहली है बैठकी होली, दूसरी है खड़ी होली और तीसरी है महिलाओं की होली। यहां होली सिर्फ रंगों तक सीमित नहीं, बल्कि शास्त्रीय संगीत और भक्ति से भी जुड़ी होती है। 

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शिग्मोत्सव का रंगारंग उत्सव

गोवा में होली को शिग्मोत्सव या शिग्मो के नाम से जाना जाता है, जो 14 दिनों तक चलने वाला भव्य उत्सव है। यहां होली का जश्न गांवों और शहरों में पारंपरिक लोकनृत्य, ढोल-ताशों और झांकियों के साथ मनाया जाता है। इस दौरान मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है, और लोग एक-दूसरे पर रंग डालकर खुशी मनाते हैं। शिग्मोत्सव गोवा की संस्कृति और परंपरा को दर्शाता है। जिस वजह से ये होली पर्यटकों के लिए भी एक खास आकर्षण होती है। होली के मौके पर गोवा जाकर इस अनोखे उत्सव का आनंद जरूर लें।

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