शिमला। हिमाचल प्रदेश में मानसून अब धीमा पड़ गया है। राज्य में पिछले दो दिनों से कहीं भी बारिश नहीं हुई है। राजधानी शिमला सहित अन्य जिलों में शनिवार को भी मौसम साफ है और धूप खिली है। इससे तापमान में हल्की बढ़ोतरी हुई है और मैदानी हिस्सों में तपिश महसूस की है रही है। ऊना, बिलासपुर और हमीरपुर में अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस के आसपास रिकार्ड किया जा रहा है।
आगामी चार दिनों में प्रदेश में मौसम के साफ बने रहने का अनुमान है। हालांकि, 25 सितंबर से प्रदेश में मानसून फिर सक्रिय होगा और इस दौरान कई इलाकों में भारी बारिश का पूर्वानुमान है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने 25 सितंबर को मैदानी व मध्यपर्वतीय क्षेत्रों में गरज-चमक के साथ बारिश होने की आशंका जताई है। इसे देखते हुए लाहौल-स्पीति व किन्नौर को छोड़कर शेष 10 जिलों में यलो अलर्ट भी जारी किया गया है। 26 व 27 सितंबर को किसी तरह का अलर्ट जारी नहीं किया गया है लेकिन कुछ स्थानों पर बादलों के बरसने के आसार हैं। राज्य में मानसून अब अपने आखिरी पड़ाव पर है। अक्टूबर के पहले हफ्ते मानसून प्रदेश से विदा होता है। अब तक के मानसून सीजन की बात करें तो प्रदेश में मानसून की सामान्य से कम बरसात हुई है। मानसून ने 27 जून को दस्तक दी थी। अब तक पूरे मानसून सत्र के दौरान सामान्य से करीब 19 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है।
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक डॉ. कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया कि प्रदेश में मानसून कमजोर पड़ गया है। पिछले 24 घण्टों में कहीं भी बारिश नहीं हुई। आगामी तीन-चार दिन तक प्रदेश में मौसम में कोई बदलाव देखने को नहीं मिलेगा। जबकि 24 अगस्त की रात से प्रदेश में फिर मानसून सक्रिय होगा और प्रदेश भर में बारिश देखने को मिल सकती है। 25 सितंबर को मैदानी व मध्यपर्वतीय इलाकों में आकाशीय बिजली और बादलों के गरजने की आशंका है।
मानसून सीजन में इस बार सामान्य से कम बारिश के बावजूद भारी तबाही हुई है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में बादल फटने, बाढ़ और भूस्खलन की 97 घटनाएं हुईं। इनमें 36 लोगों की मौत हुई और 33 लापता हैं। इन घटनाओं में 122 घर, 17 दुकानें और 24 पशुशालाएँ क्षतिग्रस्त हुईं। 31 जुलाई की मध्यरात्रि शिमला, मंडी और कुल्लू जिलों में बादल फटने के हादसों से जान-माल का भारी नुकसान हुआ था। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार मानसून से 1331 करोड़ की चल-अचल संपति का नुकसान हुआ है। लोकनिर्माण विभाग को सबसे ज्यादा 633 करोड़ और जलशक्ति विभाग को 513 करोड़ का नुकसान पहुंचा है।