कोलकाता । स्कूलों में शिक्षकों और छात्रों के अनुपात को लेकर अदालतें बार-बार सवाल उठाती रही हैं। अब एक स्कूल की बदहाली को लेकर कलकत्ता उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को आगामी दो सप्ताह के भीतर 88 लाख रुपए देने का आदेश दिया है।
आरोप है कि स्कूल इतना बदहाल है कि न उसमें पेयजल है और न स्कूल में प्रवेश के लिए सड़क है। स्कूल के छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बावजूद समस्या का समाधान नहीं निकला। मामले पर सुनवाई करते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट के जज बिस्वजीत बोस ने चिंता व्यक्त की। उन्होंने तत्काल कार्यवाही करने का आदेश दिया।
पश्चिम बर्दवान जिले के एक शिक्षक द्वारा दायर मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश को स्कूल की स्थिति के बारे में पता चला। उन्होंने राज्य सरकार को स्कूल का जीर्णोद्धार करवाने के लिए तुरंत फंड आवंटित करने का निर्देश दिया।
पश्चिम बर्दवान के रघुनाथ मुर्मू आवासीय विद्यालय के एक शिक्षक ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में मामला दायर किया था। उस शिक्षक की पदोन्नति से संबंधित कुछ जटिलताओं के कारण उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति विश्वजीत बोस को पता चला कि स्कूल से छात्रावास तक कोई उचित सड़क नहीं है, पानी की समस्या है, स्कूल को साफ करने के लिए कोई सफाई कर्मचारी नहीं है, छात्रावास में कोई स्थायी अधीक्षक नहीं है। कोई सुरक्षा गार्ड नहीं है। कोर्ट भी इस बात से हैरान था कि आवासीय छात्रों को भोजन उपलब्ध कराने की कोई योजना नहीं थी।
न्यायाधीश को पता चला कि छात्रों ने इस खराब स्थिति के विरोध में स्कूल के सामने विरोध प्रदर्शन किया। यह सुनकर जस्टिस बोस ने टिप्पणी की कि स्कूल के शिक्षकों और स्कूल प्रबंधन के बीच टकराव के कारण छात्रों की पढ़ाई बाधित हो रही है।