बादलों की बेरुखी किसानों पर पड़ रही भारी

सूरतगंज बाराबंकी। देश की 60 फीसद आबादी गांवों में बसती है जो कृषि पर आधारित है। किसी भी फसल को तैयार करने के लिए खाद और कीट पतंगों से बचाने के लिए दवा की जरूरत होती है वहीं फसलों को पर्याप्त मात्रा में पानी की अवश्यकता होती है। यदि फसलों को पानी न मिले तो उनके सूखने का भी खतरा बना रहता है। इन दिनों बाराबंकी जिले में किसानों के खेतों में अधिकाधिक धान की फसल लगी हुई है। बताते चलें अबकी बार जून माह से ही बरसात ने किसानों के साथ दगा किया है तो वहीं ब्लॉक इलाके के रामनगर,सूरतगंज, सुंधियमऊ, लालपुर करौता, मीरपुर, अल्लापुर, रानीमाऊ, उजरवारा, मीरामऊ , गगौरा, बिबियापुर, रुहेरा, बिदामऊ, तेलवाय, मौसंडी, औलियापुर, कटरा, बुढ़गौरा, कांद्रवल, गौराचक, सुल्तानपुर, महमूदपुर, जफरपुर, खलासापुर, नंदऊपारा, सेमराय, रमवापुर, बिलौली सहित सैकड़ों गांवों की धान की फसलें पानी के बगैर प्रभावित हैं।
धान की फसल में किसान पानी लगाते और कीटाणु नाशक दवा डालते डालते परेशान हैं। स्थति यह है कि अधिक लागत और मुनाफे की गुंजाइश भी कम ही दिख रही है ?

सूखी पड़ी नहरें
बाराबंकी में किसानों के लिए वरदान साबित हो रही नहरें भी पानी विहीन हैं पिछले तीन सप्ताह से नहरों में पानी नहीं है जिससे किसान बोरिंग से इंजन के सहारे फसलों को पानी देने के लिए मजबूर हैं।

क्या बोले किसान
नन्दऊपारा के किसान कौशल किशोर सिंह ने बताया कि बरसात न होने से फसलों की पैदावार में गिरावट आएगी 5 से 6 कुंतल प्रति बीघा पैदा होने वाला धान 4 से 5 कुंतल प्रति बीघा में सिमट जाएगा, वही गौराचक के किसान नन्हू रावत ने बताया कि अच्छी बारिश न होने के कारण फसलों में कीट पतंगों की आमद अधिक है इसलिए धान की फसल पर लागत बढ़ गई है। खलसापुर के किसान अंकित सिंह राठौर ने बताया कि पिछले वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष बरसात कम होने के कारण धान की फसल पर लागत अधिक आई है।

पेट्रोल पंप के मालिकों की बल्ले बल्ले

बरसात न होने की वजह से इलाके में किसान पानी के इंजन के सहारे फसलों को पानी के लिए मजबूर हैं इसलिए डीजल की बिक्री पेट्रोल पंपों पर अधिक है। जिससे पेट्रोल पंप मालिकों की बल्ले बल्ले है तो वही गरीब किसानों की कमर टूट रही है।

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