Hathras News : आलू की पैदावार से, किसानों के चेहरे मुरझाए !

Hathras News : इस बार मौसम के खराब असर से आलू की पैदावार आधी रह गई है, जिससे किसानों की चिंताएं और बढ़ गई हैं। खराब मौसम, अत्यधिक ठंड और बारिश ने आलू की फसल को बुरी तरह प्रभावित किया है, जिसके परिणामस्वरूप उत्पादकता में भारी गिरावट आई है। किसान बताते हैं कि मौसम ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया है। आलू की फसल के लिए यह मौसम बहुत अहम होता है, लेकिन इस बार तापमान में अचानक बदलाव और समय से पहले बारिश ने फसल को नष्ट कर दिया। अब आलू के उत्पादन में करीब 50 प्रतिशत की कमी देखने को मिल रही है, जिससे किसानों के चेहरों पर मायूसी छाई हुई है। इस घटित स्थिति के कारण न केवल किसानों की आय में कमी होगी, बल्कि आलू की कीमतों में भी बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे उपभोक्ताओं पर भी असर पड़ेगा। किसान अब मदद की उम्मीद में हैं और वे सरकार से राहत पैकेज की मांग कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि उन्हें नुकसान का उचित मुआवजा मिले और भविष्य में इस तरह की प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के उपाय किए जाएं।

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इस साल मौसम के कारण आलू की फसल में भारी गिरावट आई है। पिछले साल जहां 25-30 क्विंटल आलू प्रति बीघा तक निकला था, वहीं इस बार केवल 10 से 15 क्विंटल प्रति बीघा आलू ही निकल रहा है। साथ ही, आलू का आकार भी इस बार काफी छोटा रह गया है। किसानों का कहना है कि इस घटित पैदावार से न केवल उनकी आय में भारी कमी आएगी, बल्कि उनकी लागत भी नहीं निकल पाएगी। किसानों के लिए यह स्थिति बेहद चिंताजनक है। पिछले साल अच्छे उत्पादन के बाद वे इस साल भी अच्छी पैदावार की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन खराब मौसम और असमय बारिश ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। इस साल आलू की फसल का आकार छोटा होने के कारण उसकी बिक्री भी मुश्किल हो सकती है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ेगा। किसान इस स्थिति से बेहद परेशान हैं और उन्हें अपने लिए राहत की उम्मीद है। वे सरकार से जल्द राहत पैकेज की मांग कर रहे हैं, ताकि वे इस नुकसान को थोड़ा कम कर सकें और भविष्य में ऐसी समस्याओं से बचने के लिए उचित कदम उठाए जा सकें। ये भी पढ़ें…UP Vidhan Sabha : बजट सत्र शुरू होते ही सपाइयों ने किया हंगामा !

सादाबाद और सहपऊ क्षेत्र में आलू ही प्रमुख नकदी फसल है। यहां के अधिकांश किसान इसी की खेती पर निर्भर हैं। जिले के सर्वाधिक शीतगृह भी इसी क्षेत्र में हैं। आलू की खोदाई शुरू हो गई है। कम पैदावार देख किसान चिंता में घिर गए हैं। पिछले साल 25-30 क्विंटल प्रति बीघा तक आलू निकला था, लेकिन इस बार 10 से 15 क्विंटल प्रति बीघा निकल रहा है। आलू का आकार भी छोटा रह गया है। किसानों का कहना है कि इसमें तो उनकी लागत भी नहीं निकल पाएगी।ये भी पढ़ें…MahaKumbh : महाकुंभ जंक्शन पर कुछ मिनट तक मची रही अफरा- तफरी !

इस वर्ष पिछले साल के घाटे को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत की। उम्मीद थी कि इस बार फसल अच्छी होगी, लेकिन इस बार तो फसल पिछले साल से भी आधी रह गई। इस बार आलू काफी कम निकल रहा है। तापमान अधिक रहने की वजह से इस बार आलू जमीन के अंदर फूला ही नहीं है। कुछ दिनों में खोदाई में और अधिक तेजी आ जाएगी, तभी सही स्थिति पता चलेगी। खेत से आलू काफी कम निकल रहा है, ऐसे में तो लागत निकाल पाना भी मुश्किल हो जाएगा। मौसम की मार इस बार पड़ी है और किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। किसान कभी प्राकृतिक आपदा झेलता है तो कभी किस्मत उनका साथ नहीं देती है। इस बार भी बंपर पैदावार की उम्मीद थी, लेकिन फसल आते ही सब टूट गईं। इस वर्ष करीब 51 हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू की बुवाई हुई थी। अभी खोदाई शुरू हुई है। उत्पादन के आकलन के लिए टीम भेजी जाएंगी। इस आधार पर उत्पादन का निर्धारण हो सकेगा। आलू की पैदावार के अंकुरण के लिए 24-25 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए। आलू की वानस्पतिक वृद्धि के लिए 18-20 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए। इस बार जनवरी माह के अंत और फरवरी की शुरुआत में 25 डिग्री सेल्सियस तक तापमान पहुंच गया और इस वजह से आलू में फुलाव कम हुआ।

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