सूरतगंज बाराबंकी। आजादी के दीवाने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के अमर शहीद चहलारी नरेश बलभद्र सिंह की वीर गाथा किसी से छुपी नहीं है। महज 18 वर्ष की उम्र में 13 जून 1857 को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के लगे हुए जनपद बाराबंकी के रेठ नदी पर अंग्रेजों से लोहा लेते हुए चहलारी नरेश शहीद हो गए। उनकी शहादत की गाथा इसलिए भी अविस्मरणीय है कि उनका सिर कटने के बाद भी धड़ अंग्रेजों से काफी देर तक लड़ा था। नवाबों के शहर लखनऊ में जब अंग्रेजों ने कब्जा कर लिया तो बेगम हजरत महल ने अपने पुत्र बिरजिस कदर के साथ बहराइच की बौंडी रियासत में शरण ली। बेगम हजरत महल के आवाहन पर खेलने खाने की उम्र में चहलारी नरेश ने युद्ध का बीड़ा उठाकर अंग्रेजों से लोहा लिया। रैकवार वंश के योद्धा बलभद्र सिंह का इतिहास अमर है। उन्हीं की याद में शुक्रवार को रामनगर फतेहपुर मार्ग पर अगानपुर और गोंदौरा के मध्य अमर शहीद बलभद्र सिंह का स्मृति द्वार बाराबंकी एमएलसी अंगद सिंह की ओर से लगवाया गया। अमर शहीद का स्मृति द्वार लगने से समूचे इलाके में खुशी की लहर दौड़ गई।
इलाकाई लोगों ने बताया कि एमएलसी अंगद सिंह द्वारा यह बड़ा ही सराहनीय काम किया गया है। अबतक जो किसी भी प्रतिनिधि ने काम किया वह काम एमएलसी श्री सिंह ने कर दिखाया। चहलारी नरेश का स्मृति द्वारा लगने से सांई ग्रुप ऑफ कालेज तहसील फतेहपुर के प्रबंधक विपिन सिंह राठौर,ग्राम पंचायत सदस्य महासभा के मुख्य संगठन मंत्री ध्रुव कुमार सिंह,शोध छात्र शिवा सिंह राठौर,सूरतगंज भाजपा मंडल अध्यक्ष सूरतगंज सुशील वर्मा, बनरकी ग्राम प्रधान आनंद सिंह,भाजपा मंडल अध्यक्ष महादेवा शैलेंद्र सिंह,ग्राम प्रधान करूणा शंकर शुक्ला,अधिवक्ता राघवेन्द्र सिंह अन्नू,शिक्षक रनवीर सिंह,शिक्षक उपेंद्र सिंह नादान, सूरतगंज मंडल उपाध्यक्ष सुनील वर्मा सहित हजारों की संख्या में लोगों ने खुशी जाहिर करते हुए एमएलसी अंगद सिंह का आभार व्यक्त किया है। अमर शहीद स्मृति द्वार लगाने के लिए कई माह पूर्व एमएलसी प्रतिनिधि अधिवक्ता कुलदीप सिंह के साथ युवा भाजपा नेता अक्षत प्रताप सिंह ने मांग की थी। जो कार्य एमएलसी श्री सिंह कर दिखाया।