ग्राम सचिवालय में लटका ताला , झोले में आई गांव की सरकार

  • पंचायत सचिवालय पर काम चालू नहीं होने से यहां के ग्रामीण को आयुष्मान कार्ड, वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन, दिव्यांग पेंशन आदि का योजनाओं का नहीं मिल पा रहा है लाभ

निष्पक्ष प्रतिदिन /बीकेटी, लखनऊ

गांव के लोगों को आय, जाति या अन्य प्रमाणपत्र बनवाने के लिए तहसील या जिला मुख्यालय का चक्कर न लगाना पड़े, इसके लिए शासन ने हर ग्राम पंचायत में पंचायत भवन का निर्माण कराया है। प्रति पंचायत भवन पर 10 से 12 लाख रुपये खर्च किए गए हैं। पंचायत सहायक भी नियुक्त किए गए हैं, लेकिन विकासखंड की कठवारा ग्राम पंचायत में इसका लाभ आम लोगों को नहीं मिल रहा है। हालत यह है कि क्षेत्र में अधिकतर पंचायत भवनों (मिनी सचिवालय) पर ताले लटक रहे हैं। ग्राम प्रधान अपने साथ झोले में मुहर और अन्य कागजात रखते हैं और जरूरत पड़ने पर किसी प्रमाणपत्र को जारी कर देते हैं।

बता दें कि सरकार की मंशा पंचायत भवन को मिनी सचिवालय के रूप में विकसित करना है, जहां ग्रामीणों की फरियाद सुनकर उनकी समस्याएं दूर की जा सकें। ग्राम पंचायत के कार्यों को आसान बनाने के लिए पंचायत सहायकों की नियुक्ति भी की गई। इसके बाद भी पंचायत भवनों की स्थिति यथावत ही है।गुरुवार को विकासखंड बीकेटी की ग्राम पंचायत कठवारा की पड़ताल की तो चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई।जहां से विकास विभाग की योजनाएं चलती हैं,वहीं के पंचायत भवनों में ताला लटकता मिला।कठवारा ग्राम पंचायत का सचिवालय शोपीस साबित हो रहा है। गांव के लोग किसी भी काम के लिए ब्लॉक व तहसील के चक्कर लगा रहे हैं। ग्राम प्रधान अशोक कुमार से जानकारी चाही गई तो वह सचिवालय के संचालन को लेकर गोलमोल जवाब देते दिखाई दिये।वहीं पंचायत सचिवालय पर काम चालू नहीं होने से यहां के ग्रामीण आयुष्मान कार्ड, वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन, दिव्यांग पेंशन आदि का लोगों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। जबकि यहां पर पंचायत सहायक की तैनाती की जा चुकी है।

एडीओ पंचायत के बिगड़े बोल

एडीओ पंचायत विवेक शुक्ला से ज़ब इस बाबत बात की गई तो वह झल्लाते हुए बोले पंचायत सचिवालय का ताला खुल रहा है,या नहीं यह पूंछने वाले तुम कौन होते हो।यह हम तुमको नहीं बता सकते हैं। यह पूछना पत्रकारों का काम नहीं है। पंचायत सचिवालय में ताला क्यों बंद है, इसके लिए डीएम से बात करो वह बता देंगे कि ताला क्यों बंद है।

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