देशभर के मंदिरों के कायाकल्प के लिए विश्व हिन्दू परिषद ने गुडविल फंड बनाने का निर्णय लिया है. वीएचपी के संगठन महामंत्री मिलिंद परांडे ने टीवी9 भारतवर्ष से बातचीत में बताया कि इस फंड का मुख्य उद्देश्य देश के मंदिरों को सरकारी चंगुल से मुक्त करना और मंदिरों को स्वायत्ता प्रदान करना है. उन्होंने कहा कि आगामी 5 जनवरी को विजयवाड़ा से होगा मन्दिरों के सरकारी नियंत्रण से मुक्ति का शंखनाद.
मिलिंद परांडे ने कहा कि प्रयागराज में लगने वाले महाकुंभ में इस तरह के गुडविल फंड को लेकर खास चर्चा की जाएगी. उन्होंने कहा कि अब सभी राज्य सरकारों को मंदिरों के नियंत्रण, प्रबंधन और दैनंदिनी कार्यों से स्वयं को अविलंब अलग कर लेना चाहिए क्योंकि उनका यह कार्य हिंदू समाज के प्रति भेदभाव पूर्ण है. उन्होंने कहा कि संतों और हिंदू समाज के श्रेष्ठ लोगों की अगुवाई में आगामी 5 जनवरी से इस संबंध में हम एक देशव्यापी जन जागरण अभियान को प्रारम्भ करने जा रहे.
धार्मिक स्थलों को लेकर भेदभाव
विहिप संगठन महामंत्री ने आरोप लगाया कि एक के बाद एक अनेक राज्य सरकारें संविधान के अनुच्छेद 12, 25 और 26 की अनदेखी करती रहीं. जब कोई मस्जिद या चर्च उनके नियंत्रण में नहीं तो भला हिंदुओं के साथ ही यह भेदभाव क्यों. अनेक हाई कोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिए गए स्पष्ट संकेतों के बावजूद भी सरकारें मंदिरों के प्रबंधन व संपत्तियों पर सरकारें कब्जे जमा कर बैठी रहीं.
मंदिरों को लेकर बना रहा विशेष प्लान
मिलिंद परांडे ने कहा कि मंदिरों के प्रबंधन और नियंत्रण का कार्य अब हिंदू समाज के निष्ठावान व दक्ष लोगों का एक समूह बनाया जाएगा. इस समूह से नेताओं को अलग रखा जाएगा. इस बारे में हमने सुप्रीम कोर्ट के प्रतिष्ठित वकीलों, हाई कोर्ट के सेवा निवृत्त मुख्य न्यायाधीशों, पूज्य संतों तथा विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं को मिलाकर एक चिंतन टोली बनाई है जिसने मंदिरों के प्रबंधन व उससे जुडे किसी भी प्रकार के विवादों के निस्तारण हेतु अध्ययन कर एक प्रारूप तैयार किया है. उन्होंने कहा कि ऐसे मंदिरों का लिस्ट राज्य स्तर पर सरकार के पास उपलब्ध है.
कैसा होगा गुडविल फंड स्ट्रक्चर?
मिलिंद परांडे ने कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों द्वारा पूज्य संतों, सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति या जज तथा सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारियों के साथ समाज के वे प्रतिष्ठित लोग, जो हिंदू शास्त्रों और अगम की विधियों के ज्ञाता हैं, ऐसे लोगों को एकत्र कर राज्य स्तर की एक धार्मिक परिषद बनाएंगे. यह राज्य स्तरीय परिषद जिला स्तरीय परिषद व मंदिर के न्यासियों का चुनाव करेगी. जिसमें अनुसूचित जातियों और जनजातियों के साथ समाज के विविध वर्गों का सहयोग होगा. विवादों के निस्तारण के लिए एक प्रक्रिया निश्चित की जाएगी.
क्या है वीएचपी की मुख्य मांगे?
मंदिरों व एंडोमेंट विभाग में नियुक्त सभी गैर हिंदुओं को निकाला जाए.
भगवान की पूजा, प्रसाद व सेवा में सिर्फ गहरी आस्था रखने वाले हिंदुओं को ही लगाया जाए.
मंदिर के न्यासियों व प्रबंधन में किसी राजनेता या किसी राजनीतिक दलों से जुड़े व्यक्तियों को ना रखा जाए.
मंदिर के अंदर और बाहर के हिस्सों में सिर्फ़ हिंदुओं की ही दुकानें हों.
मंदिर की ज़मीन पर गैर हिंदुओं द्वारा बनाए हुए तथा अन्य सभी अवैध निर्माणों को हटाया जाना चाहिए.
मंदिरों की आय को सिर्फ हिंदू धर्म के प्रचार और उससे जुड़े विषयों पर ही खर्च किया जाए. सरकारी कार्यों में कदापि नहीं.