जीएम बीजों से पर्यावरण ही नहीं आम मानव जीवन को भारी नुकसान पहुंचेगा- किसान नेता राकेश टिकैत

देश में जेनेटिकली मोडिफाईड सीडस (GM) बीजों पर पूरी तरह प्रतिबंधित करने की मांग को लेकर किसान नेता राकेश टिकैत ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी है राकेश टिकैत ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर कहा है कि आज के समय में किसान के पास में आय के साधन सीमित होते चले जा रहे हैं फसलों पर लगातार लागत बढ़ती जा रही है, लेकिन लागत के अनुपात में किसानों को उसका उचित भाव नहीं मिल रहा है दूसरी तरफ बदलता हुआ जलवायु परिवर्तन फसलों पर प्रभाव डाल रहा है, जिसका वतर्मान समय में रबी की फसलों पर भी पूर्णतः असर पहुंच रहा है ऐसे में इस संकट के दौर से गुजर रही ग्रामीण खेती आने वाले समय को लेकर चिन्तित है

उन्होंने कहा कि समाचार पत्रों और अन्य माध्यमों से प्रतिदिन कोई न कोई सूचना ऐसी प्राप्त होती है जो खेती को पूरी तरीके से आने वाले समय में बर्बाद कर देगी पूर्व के समय में देश के अंदर जब भी सरकारें कोई ऐसा बीज लेकर आई हैं, जिसका नुकसान सीधा मानवीय जीवन व पर्यावरण पर होने के आसार थे उस समय भारतीय किसान यूनियन ने BT कॉटन और हरियाणा के अंदर करनाल में चावल के फील्ड ट्रायल को रोका था उस समय कांग्रेस की सरकार में पर्यावरण मंत्री रहे जयराम रमेश ने कुछ बीजों को लेकर किसान संगठनों और आम जनमानस से उनकी राय मांगी थी, जिसमें सभी ने इस प्रकार के बीजों का विरोध किया था और देश के अंदर इन्हें प्रतिबंधित करने के लिए आग्रह किया था

जीएम उत्पादों की सख्त जांच की जाए- राकेश टिकैत
किसान नेता राकेश टिकैत ने चिट्ठी में कहा कि एक तरफ जहां पर GM सरसों सहित ऐसे सभी बीजों का संगठन विरोध कर रहे हैं, फिर भी देश के अंदर आयात होने वाली मक्का अनाज में अवैध जीन संवर्धित (GM) मक्का की उपस्थिति के सबूत पाए गए हैं, राष्ट्रव्यापी समूह जो कि GM फसलों को विरोध करता है GM इंडिया ने विरोध प्रदर्शन कर केन्द्र सरकार को पत्र लिखकर इससे अवगत भी कराया है हमारे देश में विदेशों से आयात हो रहे फल और सब्जियों की मात्रा बाजारों में लगातार बढ़ती जा रही है, जबकि आयात के दौरान जीएम फसलों को लेकर बनाए गए मानकों व लागू नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है. यह आने वाले समय में बेहद खतरनाक साबित हो सकती है

उन्होंने कहा कि इन सभी का संज्ञान लेते हुए DGFT को प्राधिकरणों और नागरिक समाज से संबंधित व्यक्ति विशेष के साथ में बैठक आयोजित करनी चाहिए. जिससे नियामक तंत्र को मजबूत किया जा सके. इसके अलावा भारत सरकार को आयात पर निगरानी बढ़ा देनी चाहिए. खासतौर से अमेरिका, ब्राजील, अर्जेन्टीना, ऑस्ट्रेलिया जीएम उत्पादन करने वाले देशों से आने वाले उत्पादों की सख्त जांच की जाए. साथ ही कोई भी जीएम बीज या पौध सामग्री बिना अनुमति के देश के अंदर आयात न हो. इसे पूरी तौर से प्रतिबंधित किया जाए.

राकेश टिकैत ने दी प्रदर्शन करने की चेतावनी
राकेश टिकैत ने कहा कि ऐसे बीजों से पर्यावरण ही नहीं आम मानव जीवन को भारी नुकसान पहुंचेगा, जिससे कैंसर और त्वचा संबंधित बीमारियां बढ़ने का खतरा लगातार जारी रहेगा. पशु अगर चारे के रूप में इन्हें खाएगा तो उसमें बांझपन सहित त्वचा रोग की बीमारी हो जाएगी. GM बीजों के पौधों पर अगर मधुमक्खी बैठ जाए तो वह कुछ समय बाद मरणासन्न हालात में चली जाएगी. पिछले वर्षों में अवैध BT बैंगन और BT सोयाबीन की खेती के मामले सामने लाए गए थे, लेकिन संबंधित प्राधिकरणों से ठोस कार्रवाई नहीं हुई. इन घटनाओं ने देश की जैव सुरक्षा और जैव नियामक तंत्र को खतरे में डाल लिया है. भारत सरकार के ही विभाग FSSAI ने 1 मार्च 2021 को 24 खाद्य फसलों के आयात के लिए GM मुक्त प्रमाण पत्र अनिवार्य किया था, लेकिन विचारणीय विषय है कि सभी अध्ययन बताते हैं कि यह आदेश लागू नहीं हो सका. GM मक्का का देश में अवैध रूप से आना इसी प्रकार के माध्यमों से जुडा हो सकता है, जिसकी सम्भावना लगातार जताई जा रही है

उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि इन सभी विषयों को संज्ञान लेते हुए GM बीजों पर देश में प्रतिबंधित कर दिया जाए कोई भी फील्ड ट्रायल जीएम बीजों की देश में न हो. अगर GM बीजों को प्रतिबंधित नहीं किया गया तो भारतीय किसान यूनियन देशभर में इसके खिलाफ प्रदर्शन करेगी

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