दिल्ली: भारत में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन कॉफ़ी यादगार होगा,: चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग 2012 में सत्ता संभालने के बाद पहली बार सभा में शामिल नहीं हुए, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति विलाडेमर पुतिन के गैरमौजूदगी में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन खास तौर पर मीडिया के केंद्र में रहेंगे, लेकिन व्हाइट हाउस को इस बात को लेकर निराशा है कि भारत सरकार ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साझा प्रेस वार्ता के निवेदन को भारत सरकार ने ठुकरा दिया
भारत आए अमेरिकी पत्रकारों को दोनों देशो के नेताओं से सवाल पूछने का मौका नहीं मिलेगा. वही कुछ विश्लेषकों ने शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होने के शी के फैसले की व्याख्या उन मंचों के लिए चीनी नेता की प्राथमिकता के सबूत के रूप में की है जहां बीजिंग की अधिक प्रमुख भूमिका है (जैसे कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं का समूह ब्रिक्स या शंघाई सहयोग संगठन); अन्य लोगों ने चीन और शिखर सम्मेलन के मेजबान भारत के बीच बिगड़ते संबंधों की ओर इशारा किया है.
वही चीन ने जी20 थीम पर भी सवाल उठाया. है.उसे "वसुधैव कुटुंबकम," को लेकर नाराजगी है, चीन का कहना है कि जी20 के माध्यम से भारत अपनी संस्कृति थोपना चाह रहा है.
संस्कृत वाक्यांश वसुधैव कुटुंबकम का अनुवाद "एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य" है.
इसके अलावा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी अनुपस्थित हैं, पुतिन पिछले साल बाली में शिखर सम्मेलन में भी शामिल नहीं हुए थे. जबकि क्रेमलिन ने पुतिन के "व्यस्त कार्यक्रम" को इस वर्ष की अनुपस्थिति का कारण बताया, उक्रैन वॉर के कारण हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय अदालत ने रूसी राष्ट्रपति के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया है, माना जा रहा है की पुतिन इसी कारण भारत नहीं आए क्योकि वो प्रधानमंत्री मोदी को असहज स्थिति में डालना नहीं चाहते थे! पुतिन ने पिछले महीने दक्षिण अफ़्रीक़ा में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में वीडियो लिंक के माध्यम से भाग लिया था.
चीन और रशियन नेताओ के अनुपस्थिति के बीच भारत जी 20 के समिट का इस्तेमाल ग्लोबल साउथ की अपनी पालिसी को मज़बूत और मान्य बनाने के लिए अपनी अध्यक्षता का उपयोग करना चाह रहा है.
G20 सदस्य-देश दुनिया के कुल आर्थिक उत्पादन का 80% से अधिक, पृथ्वी की 60% आबादी और 75% वैश्विक व्यापार का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन समूह लंबे समय से विकासशील देशों के समस्याओं का समाधान करने में विफल रहा है., जैसे ऋण, खाद्य सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन.भारत ने इस वर्ष नौ देशों-बांग्लादेश, मिस्र, मॉरीशस, नीदरलैंड, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और संयुक्त अरब अमीरात को जी20 में अतिथि के रूप में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया, और मोदी ने हाल ही में यह प्रस्ताव भी दिया कि अफ्रीकी संघ को इसका स्थायी सदस्य बनाया जाए.
नई सहस्राब्दी में विश्व अर्थव्यवस्था में कमजोरियों और बदलावों के जवाब में जी20 और ब्रिक्स के उद्भव ने कई तरह की उम्मीदें, विचार और आलोचनाएं पैदा की हैं. 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के मद्देनजर जी20 ने संकट का प्रबंधन करने, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक असमानता में सूधार और कुपोषण और भुकमरी दूर करने को लेकर एक नई वैश्विक सहमति तैयार करने की मांग की. वहीँ ब्रिक्स गठन ने सदस्यों के बीच सहयोग और समन्वय को बढ़ावा देने और अंतरराष्ट्रीय संस्थागत सुधार को बढ़ावा देने का संकल्प लिया. देखने वाली बात ये भी है की क्या प्रधानमंत्री मोदी जी20 और ब्रिक्स के जुड़ाव के तरीकों को लेकर बैठक में कोई पहल करते है !