डिजिटल के खंभे से टिकी दुनिया ने झेले फेल हुए सर्वर के झटके

डॉ. रमेश ठाकुर

डिजिटल की आदी हो चुकी दुनिया को माइक्रोसॉफ्ट के ठप हुए सर्वर ने ऐसा झटका दिया, जिसे कुछ क्षणों के लिए उनको गुजरा जमाना याद आ गया। सर्वर की तकनीकी खराबी ने तबाही मचा दी। चारों ओर कोहराम मच गया। दुनिया थोड़ी देर के लिए सोचने पर मजबूर हो गई। महानगरीय लोग भी देशी तरीकों से बड़े चाव और खुशहाल जीवन जी लेते थे। ग्रामीण आबादी तो बिना सुविधाओं के बिना हारी-बीमारी और अभावों में ही अच्छा जीवन जिया करते थे। हालांकि अब ग्रामीण अंचल भी सुविधा संपन्न हैं। महानगरों जैसी सुविधाएं गांव-देहातों में पहुंच चुकी हैं। इंटरनेट, एटीएम, पेटीएम, क्यूआरकोड, फिल्पकार्ड, एमोजोन, ओटीटी से सभी वाकिफ हैं। कुलमिलाकर उनका जीवन भी डिजिटल हो चुका है। पर, युवा पीढ़ी गुजरे जमाने से अनभिज्ञ है, वो बिना आधुनिक सुविधाओं के रह ही नहीं सकती।

निश्चित रूप से संपूर्ण संसार ने विकास की नई गाथा लिखी है। इंसान धरती से चांद तक पहुंच गया। लेकिन सच ये भी है विकास ही विनाश को जन्म देता है। सर्वाधिक सुविधाएं ही संसार में सन्नाटा पैदा करती हैं। जरा सोचिए, अगर माइक्रोसॉफ्ट का सर्वर एकाध दिनों तक फेल हो जाए, तो मानव जीवन का क्या होगा? कल्पना करने मात्र से रूह कांप उठती है। बिना इंटरनेट के इंसान निश्चित रूप से अपंग हो जाएगा। क्योंकि उसकी जान ई-तंत्र में जो फंसी है। कहने में कोई हर्ज नहीं है कि आधुनिक युग की डिजिटल निर्भरता ने इंसान को पंगु बनाकर कहीं का भी नहीं छोड़ा। इंसान की लगाम, उसकी गति छोटे से कंप्यूटर रूपी डिब्बे में समा गई है। डिजिटल, इंटरनेट व सर्वर के बिना हम कितने अपाहिज हैं जिसकी तस्वीर हमने 19 जुलाई को खुली आंखों से देखी, इस समस्या पर इंसानी बस भी नहीं चलता। इंसान का प्रत्येक कार्य अब डिजिटल है। बैंकों में जमा पैसा भी डिजिटलाइट है। वो भी बिना सर्वर चले नहीं निकल सकता। क्योंकि बैंकों अब मैन्युअल कार्यों तक तालाबंदी हो चुकी है। ग्राहकों की चाहें कितनी भी जरूरत पैसे के वजह से क्यों न रुकी हो। अस्पताल में मरीज भर्ती हों या बच्चों की स्कूलों में फीस भरनी हो। बैंक पैसा तभी रिलीज करेंगी, जब उसका कंप्यूटर चलेगा।

दुनिया मैन्युअल सिस्टम से कहीं आगे जा चुकी है। इसलिए इंसान डिजिटल लत के चलते दिव्यांग हो गया है। उसकी जान कंप्यूटर में घुसी है। पारंपरिक दुनिया हमसे कितनी पीछे छूट गई है और ई-व्यवस्था हम पर कितनी निर्भर हो गई जिसकी हल्की-सी झलक कुछ घंटों के माइक्रोसॉफ्ट सर्वर के फेलियर से पता चल गई। ये तय तारीख हमें गंभीरता से सोचने पर विवश करती है। तारीख 19 जुलाई, दिन शुक्रवार समय सुबह 5 बजे से लेकर रात 8 बजे तक समूची दुनिया मानो थम गई। चालू व्यवस्था पर ब्रेक लग गया, पूरा जगत ठहर सा गया। अमेरिका से लेकर भारत तक हजारों विमान बिना उड़े बिना रनवे पर खड़े रहे। इसके अलावा बैंकिंग से लेकर मीडिया, रेलवे, टेलिकास्ट विंग, स्टॉक एक्सचेंज, कॉरपोरेट जगत व विभिन कंपनियों के कामकाज भी ठप हुए। शेयर बाजार एकदम धड़ाम से नीचे गिरा। क्या हिंदुस्तान, क्या अमेरिका, पूरी दुनिया में अफरातफरी का माहौल बन गया।

सर्वर की गड़बड़ी की शुरूआती जांच में अमेरिकी एंटी-वायरस को बताया गया। जिसका प्रभाव सबसे पहले एयरलाइंस के संचालनों पर पड़ा, उनका सॉफटवेयर अचानक डाउन हो गया। कर्मचारी काफी देर तक अपने सिस्टमों को रिस्टार्ट और ऑन-ऑफ करते रहे, घंटों कोई रिस्पांस नहीं मिला। अमेरिका के अलावा कई देशों में आपात बैठकें बुलाई गईं। हमारी केंद्र सरकार में भी खलबली मची, एयर अथॉरिटी को सफाई देनी पड़ी। पर, स्थिति को जैसे-जैसे काबू में किया गया। कुछ घंटों बाद जब पता चला कि दुनिया का मुख्य क्राउडस्टृइक सॉफ्टवेयर ही डाउन हो गया तो सुनकर सभी के होश उड़ गए। आईटी कंपनियों के कार्यालयों में तो भगदड़ जैसे हालात हो गए। आईटी एमएनसी कंपनियां तो टोटली डिजिटल हैं। डिजिटल जंजाल में फंस चुकी दुनिया अब बाहर भी नहीं निकल सकती। क्योंकि दुनिया की आदत हो चुकी है। मैन्युअल कामों से इंसानों ने तौबा कर लिया। मार्डन जमाने में ई-व्यवस्था का नशा मनुष्य के सिर चढ़कर बोल रहा है।

सर्वर खराबी के कारण बेशक खोज लिए गए हां, लेकिन करीब 15 घंटे तक दुनिया की सांसे थमी रहीं। क्राउडस्ट्राइक एक अग्रणी साइबर सुरक्षा कंपनी है जो उन्नत खतरे की खुफिया जानकारी और एंडपॉइंट सुरक्षा प्रदान करती है। उनके सॉफ्टवेयर समाधान संगठनों को वास्तविक समय में साइबर खतरों का पता लगाने, रोकने और उनका जवाब देने में मदद करते हैं, जिससे मजबूत सुरक्षा और मन की शांति सुनिश्चित होती है। खुदा न खास्ता अगर ये जाम हो जाए यानी सर्वर डाउन, तो पूरा सिस्टम हैंग हो जाता है, जो उस दिन हुआ। माइक्रोसॉफ्ट के फेलियर से भारत की बैंकिंग सेवाएं पूरी तरह चरमराई थीं जिससे कंपनियां और आम ग्राहकों को अनगिनत वित्तीय नुकसान हुआ। हालांकि, भारत के निजी बैंक क्राउडस्ट्राइक सिस्टम का प्रयोग नहीं करते? सिर्फ आरबीआई और अन्य 10 बैंकें इसका इस्तेमाल करती हैं। वरना, स्थिति और खराब हो जाती।

ट्रांसपोर्ट सिस्टम पूरी तरह डिजिटल के गिरफत में है। लोगों के यातायात के साधन अब बैलगाड़ी या सामान्य मोटरवाहन नहीं रहे। संपन्न आबादी समय की बचत को ध्यान में रखकर ज्यादा हवाई आवाजाही करते हैं। गनीमत रही कि सर्वर खराबी के बाद सुबह के शिड्यूल में लगी सभी फ्लाइटें रोकी गईं। एयरलाइंस यात्री एयरपोर्ट में भी नहीं घुस पाए, इसके लिए उन्होंने हंगामा काटा। हंगामा देख एयरपोर्ट अथॉरिटी ने यात्रियों को मैन्युअल चेक इन से बोर्डिंग कराई। लेकिन अंदर जाकर भी उन्हें घंटों इंतजार करना पड़ा। विमानन सेवाएं सुबह 10 बजे से ठप रहीं। सर्वर डाउन होने से विमानों को तत्काल प्रभाव से उड़ने से रोका गया। क्योंकि एयरलाइंस सिस्टम पूरी तरह से क्राउडस्टृइक साफॅटवेयर पर निर्भर हैं। एयरलाइंस के टिकटों की बुकिंग और चेक इन सर्विस कंप्यूटर आधारित होते हैं। ऐसे में उड़ चुका विमान तो सिर्फ ईश्वर भरोसे ही होता है। ऐसे स्थिति दोबारा भविष्य में न हो, इसके लिए माइक्रोसॉफ्ट निर्माताओं को सुनिश्चित करना चाहिए।

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