बार-बार जेल जाने पर भी स्वतंत्रता सेनानी कालीचरन ने कदम नहीं किए पीछे
फिरोजाबाद। देश की आजादी की लड़ाई में फिरोजाबाद के स्वतंत्रता सेनानियों का भी बड़ा योगदान रहा है। आजादी की लड़ाई में कूदे क्रांतिकारियों ने अपने परिवार की परवाह किए बगैर देश को आजाद करने का बीड़ा उठाया। देश की आजादी के लिए स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
जिस समय देश में आजादी को लेकर आंदोलन तेज हो गया था। उस समय क्रांतिकारियों और देश भक्तों ने अपने परिवार को एक तरफ कर देश को आजाद करने का बीड़ा उठाया था। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय कालीचरन गुप्ता ने अंग्रेजों के चंगुल से देश को आजाद कराने के लिए बार-बार जेल की यात्राएं कीं। वह 18 मार्च 1941 को व्यक्तिगत सत्याग्रह करते जेल गए थे। 8 अप्रैल 1941 को उन्हें आठ माह की कैद व 50 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई थी। जुर्माना अदा न देने पर चार माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ी थी। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान 17 सितंबर 1942 को वह गिरफ्तार हुए। वह 1946 तक जेल में कैद रहे।
स्वतंत्रता सेनानी के पुत्र सुरेश चंद्र गुप्ता एडवोकेट ने बताया कि उनके पिता कालीचरन आगरा सेंट्रल जेल में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ भी रहे। इसके अलावा उन्होंने फतेहगढ़ जेल में कई साल बिताए थे। इनके अलावा और भी ऐसे क्रांतिकारी फिरोजाबाद में हुए जिन्होंने अंग्रेजों को भगाने के लिए सत्याग्रह शुरू किया और अंग्रेजी सेना के छक्के छुड़ा दिए। जिसे भुलाया नहीं जा सकता।