सहरसा। लोक आस्था का महापर्व छठ का समापन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पण के साथ शुक्रवार को संपन्न हो गया।शहर के विभिन्न छठ घाटों पर देर रात से ही भक्तों की भीड़ देखी गयी।नगर निगम क्षेत्र के शंकर चौक, गांधी पथ, पूरब बाजार, हटिया गाछी,सराही, मसोमात पोखर, मत्स्य पोखर, मत्स्यगंधा समेत अन्य छठ घाटों पर हजारों की संख्या में छठ व्रती सूर्योदय होने के साथ ही भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के लिए तत्पर होकर प्रतीक्षारत रहे।
छठ घाटों पर व्रती आधी रात के बाद से ही इकट्ठा हो गए।रात के अंधेरे में छठ घाट दीयों की रोशनी से जगमग हो गया। उदयांचल सूर्यट यानी उगते हुए सूरज को अर्घ्य देकर छठ व्रती अपने 36 घंटे के निर्जला उपवास को पूरा किया। इसी के साथ चार दिवसीय छठ पूजा का समापन हो गया। इससे पहले कल शाम में छठ व्रतियों ने अस्ताचल गामी यानी डूबते हुए सूरज को अर्घ्य दिया था।छठव्रती छठ घाटों पर प्रसाद के सूप और डालों को सजाकर लोग रखते गए।छठ व्रत करने वाले व्रती पानी में उतर कर भगवान भास्कर के उगने का इंतजार करते दिखे और इस दौरान छठव्रती सूर्य की उपासना करते नजर आये।इस दौरान नदी एवं तालाबों में भी काफी भीड़ पहुंची थी।
इस दौरान छठ घाटों पर पूजा समितियों ने सभी घाट को बेहतर ढंग से सजाया था।रंगीन बल्बों और झालरों से सजा छठ घाट काफी आकर्षक नजर आ रहा था। छठ व्रत के चौथे दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद इस व्रत के पारण का विधान है।चार दिनों तक चलने वाले इस कठिन तप और व्रत के माध्यम से हर साधक अपने घर-परिवार और विशेष रूप से अपनी संतान की मंगलकामना करता है। भगवान भास्कर का अर्घ्य देने के बाद घाट पर उपस्थित श्रद्धालुओं ने व्रतियों से ठेकुआ केला सहित अन्य प्रसाद ग्रहण किया।गांधी पथ निवासी सुशील गुप्ता ने बताया कि कोरोना काल में जब सामूहिक भीड़ पर प्रतिबंध था।उस समय छठ पर्व के लिए मकान के छत पर वैकल्पिक व्यवस्था की गई। तबसे हर वर्ष मेरी माँ के द्वारा छत पर ही छठ पूजा का आयोजन किया जाता है।छठ पर्व पर जिला प्रशासन की तत्परता सें यातायात एवं सुरक्षा व्यवस्था चुस्त दुरुस्त रही। वही कई छठ घाट पर नाव एवं गोताखोर की भी व्यवस्था की गई थी।छठ पूजा के अवसर पर मत्स्यगंधा एवं शिवपूरी बायपास रोड में भगवान भास्कर की प्रतिमा बनाकर धूमधाम से पूजा अर्चना की गई।इस अवसर पर महिलाओ ने सिन्दूर से मांग भरकर अखंड सुहाग की कामना की।साथ ही परिवार समाज राष्ट्र एवं विश्व मंगल की कामना की गई।