गोपेश्वर। सीपी भट्ट पर्यावरण एवं विकास केंद्र गोपेश्वर द्वारा बुग्यालों के संरक्षण को लेकर चलाया गया पांच दिवसीय अभियान रविवार को चमोली जिले के देवाल विकास खंड के आली-बेदनी बुग्याल में संपन्न हुआ। इस अभियान का उद्देश्य बुग्याल क्षेत्रों के संरक्षण और भविष्य में होने वाली नन्दादेवी राजजात यात्रा के प्रभावों को कम करना था।
इस 15 सदस्यीय दल में पर्यावरण-विज्ञानी, शोध-छात्र, वनविद, ग्रामीण, वनकर्मी और पर्यावरण-पत्रकारिता से जुड़े अनुभवी पत्रकार शामिल थे। इस अभियान के दौरान, नन्दादेवी राजजात यात्रा के बेहतर संचालन और बुग्याली इलाकों पर जनदबाव से होने वाले नुकसान को कम करने पर विशेष ध्यान दिया गया। यात्रा से जुड़े गांवों के ग्रामीणों के साथ चर्चा की गई, ताकि यात्रा का नकारात्मक प्रभाव कम हो और स्थानीय लोगों की आजीविका में वृद्धि हो सके।
दल ने आली-बेदनी के अलावा कुंआरीतोल, कुर्मतोली, बार्गंचू बुग्याल और अन्य इलाकों का अध्ययन किया। इस दौरान यह देखा गया कि जहां घोड़ों और खच्चरों की आवाजाही अधिक थी, वहां बुग्याली घास और वनस्पतियों की पैदावार कम हो रही थी। वनविद त्रिलोक सिंह बिष्ट ने बताया कि ऊन की मांग में कमी आने के कारण कुछ खरपतवारों का फैलाव बढ़ रहा है, खासकर जंगली-पालक घास का। पहले भेड़पालक ऊन निकालने के बाद ही भेड़ों को चराई के लिए भेजते थे, लेकिन अब मांग कम होने से ऐसा नहीं हो रहा है।
इस अभियान का नेतृत्व पर्यावरण कार्यकर्ता मंगला कोठियाल ने किया। दल में विभिन्न विशेषज्ञों और स्थानीय पर्यावरणविदों का सहयोग रहा।