भागलपुर। बिहपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बुधवार को आग लगने की घटना में लाखों रूपये का दवाई, यंत्र और अन्य कागजात जलकर राख हो गए।
राजद नेता गौतम कुमार प्रीतम ने बताया कि फोन पर सूचना मिली की बिहपुर प्रखंड सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आग लग गई है। सूचना प्राप्त होते ही हमलोग बिहपुर सीएचसी पहुँचे। अस्पताल धुआं और राख से भरा हुआ था। उधर घटना की सूचना पर मौके पर पहुंचे दमकल और अन्य अस्पताल कर्मी ने काफी मशक्कत के बाद आग पर काबू करने में सफल हो गए। एक भयावह घटना होने से बाल-बाल बचा लिया गया।
आगजनी का कारण तत्काल बिजली शॉर्ट-सर्किट बताया गया है। सुबह मौजूद अस्पताल कर्मी ने आग को देखा और सबको जानकारी दी और आगजनी को नियंत्रण में लिया। जिस कमरे में आग लगी वह शीतक रूम था। जिसमें वैक्सीन, अन्य रजिस्टर, उच्च स्तरीय फ्रीज और रेकॉर्ड था। मौके पर मौजूद राजद नेता गौतम कुमार प्रीतम और जिला परिषद मोइन राईन ने घटना स्थल पर पहुँचकर जांच-पड़ताल किया। मौजूद स्वास्थ्य कर्मी और अन्य लोगों से बातचीत किया तो पाया कि करीब दस वर्ष पूराना यह बिल्डिंग है। बिजली लोड बढ़ा पर तार वायरिंग पुराना ही है, जो लोड पहले था उससे अधिक लोड बढ़ गया है। विभाग के अधिकारी ने कहा कि इसकी जानकारी उच्च अधिकारी को दी गई थी। वहीं जब राजद नेता गौतम कुमार प्रीतम ने सीएचसी, बिहपुर प्रभारी डाक्टर मुरारी पोद्दार से बातचीत में पूछा कि आपके यहां महिला डाक्टर कितनी है तो उन्होंने कहा कि तीन कागज पर है लेकिन वो सब यहां उपलब्ध नही है। अन्य दो एमबीबीएस, एक आयुष और एक डेंटल डाक्टर है। रजिस्टर दिखाया गया तो उसमें पता चला कि प्रभारी का पद एक है। विशेषज्ञ डाक्टर 6, सहायक डाक्टर 6, स्टाफ-नर्स -16, एक्स-रे टेक्निशियन -3, लैब टेक्निशयन-4, फर्माशिस्ट-3, लिपिक-4, ड्रेसर-6, कार्यालय परिचारी-5 हैं। इसमें लगभग सभी खाली है। एक एम्बुलेंस पर बिहपुर अस्पताल टिका हुआ है।
गौतम कुमार प्रीतम ने कहा ये सब बिहपुर विधायक को नहीं दिखाई देता है। वो केवल अपने वोट बैंक बनाने और साम्प्रदायिक भाषण देने के चक्कर में लगे रहते हैं। जनता सब देख रही है। बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी बुनियाद सवाल भाजपा नेता शैलेन्द्र कुमार के लिए कोई मायने नहीं रखता। अगर इन बातों पर ध्यान देते तो यह आगजनी शायद नहीं होता। वहीं जिला परिषद सदस्य मो. मोइन राईन ने कहा कि आगजनी होने के बाद दिन के 11 बजे तक बिहपुर विधायक का घटना स्थल पर नहीं आना साफ दर्शाता है कि वो कितने संवेदनशील हैं।