पिता पुत्री पुत्र झोपड़ी में रहने और खुले में शौच को मजबूर

नानपारा बहराइच- जिले के विकास खण्ड बलहा के ग्राम पंचायत मटिहा में विकास सिर्फ शब्द बनकर रह गया है जमीनी हकीकत पर न ही रास्ते सही है न ही अन्य कोई विकास जरूरी कार्य।

ग्राम पंचायत मटिहा में रास्ते जर्जर व खराब है अगर थोड़ी भी बारिश हो जाये तो एम्बुलेंस या पुलिस की भी गाड़ी नही आ सकती है। मनरेगा से हुए कार्य में सिर्फ फ़ोटो खाना पूर्ति करने के लिए मजदूर लगाकर कई एंगल से फोटो खींच ली गई और उसके बाद सारा कार्य ट्रैक्टर से करवाया गया जबकि मनरेगा में संपूर्ण कार्य श्रमिकों के द्वारा किए जाने के प्रावधान हैं। मटिहा में बशीर के खेत के पास तालाब में भी मजदूरी के नाम पर मनरेगा में सिर्फ खाना पूर्ति की गई और श्रमिक नही रहें। और अब लोग अपने निजी उपयोग के लिए तालाब से मिट्टी की खुदाई करके अपने घर ले जा रहे हैं जबकि यह खनन की श्रेणी में आता है।

(बॉक्स)

पिता पुत्री पुत्र झोपड़ी में रहने और खुले में शौच को मजबूर

ग्राम पंचायत के निवासी प्रेमचंद विश्वकर्मा अपनी पुत्री पूनम विश्वकर्मा व अपने पुत्र के साथ टूटी-फूटी झोपड़ी में रहने को मजबूर है और खुले में शौच जाने को मजबूर हैं और राशन कार्ड से भी नाम काट दिया गया है। जबकि सरकार के द्वारा गरीबों को आवास एवं शौचालय एवं राशन उपलब्ध कराए जाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर चुकी है और ग्राम पंचायत में लगातार प्रयास कर रही है जबकि जमीनी हकीकत पर देखा जाए तो जरूरतमंदों को अभी भी आवास एवं शौचालय से वंचित किया गया है निवासी प्रेमचंद ने बताया कि वह लगभग 25 वर्षों से इसी झोपड़ी में रहते हुए चले आ रहे हैं एक ही झोपड़ी में रहना खाना और सारा सामान रखता है और झोपड़ी भी जर्जर है और 22 वर्ष की पुत्री है और एक पुत्र भी है पत्नी का देहांत हो चुका है खुले में खेत में सभी लोग सो जाने को मजबूर हैं जो कि अच्छा नहीं लगता सिर्फ मजबूरी बस जिंदगी कट रही है। ऐसे गरीब परिवार को आवास शौचालय और राशन कार्ड जैसी जरूरी सुविधाओं से वंचित किया जाना बहुत ही दुखद है

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