चप्पन कद्दू की खेती से मालामाल हो रहे बीकेटी तहसील क्षेत्र के किसान

  • कम जमीन में भी अधिक मुनाफा दे रही चप्पन कद्दू की खेती

निष्पक्ष प्रतिदिन/लखनऊ

राजधानी के बख्शी का तालाब तहसील क्षेत्र में चप्पन कद्दू की खेती का रकबा तेजी से बढ़ रहा है। कम जमीन में भी चप्पन कद्दू की खेती अधिक मुनाफा देगी। इसी विश्वास के साथ शिवपुरी गांव में किसान नीरज लोधी ने दो एकड़ में चप्पन कद्दू की फसल लगाई है। उनका कहना है कि यह ऐसी फसल है जो महज 45 से 50 दिन में ही मुनाफा देना शुरू कर देती है। सब्जियों की खेती करने वाले किसान नीरज के मुताबिक मौजूदा समय में इसकी फसल हो रही है। जिससे इस बार भी अच्छा मुनाफा होने का अनुमान है। चप्पन कद्दू की खेती करने पर प्रति एकड़ दो से ढाई लाख रुपये मुनाफा मिल जाता है। किसान नीरज गांव में लगभग सात साल से इसकी खेती कर रहे हैं। इस बार उन्होंने एक एकड़ में ड्रिप और मल्चिग से चप्पन कद्दू की खेती शुरू की है। जिससे पानी की काफी बचत होगी है और फसल भी डेढ़ गुना ज्यादा होने का अनुमान है। कम जमीन और कम समय में ज्यादा कमाई के लिए कृषि वैज्ञानिक किसानों को सब्जियों की खेती की सलाह देते हैं। सब्जियों की फसल एक से दो महीने में तैयार हो जाती हैं और अमूमन रोज पैसा देती हैं। आम कद्दू के मुकाबले चप्पन कद्दू जल्दी पैदा होता है और महंगा बिकता है। किसान नीरज भी चप्पन कद्दू को मुनाफे वाली फसल बताते है। उनके मुताबिक ये पालीहाउस और खुले खेत में दोनों जगहों पर आसानी हो सकती है। चप्पन कद्दू की खेती पिछले वर्षों में यहां भी बढ़ी है। इसमें कुछ ऐसे गुण होते हैं जो वजन घटाने में सहायक होते हैं।नीरज के खेती में नए नए प्रयासों के चलते आसपास के किसान भी उनसे जानकारी लेते आते हैं। वहीं, वे अन्य किसानों को भी मुनाफा बढ़ाने वाली फसलें लगाने के लिए प्रेरित करते हैं।किसानों का मुनाफा बढ़ाने के लिए अनेक योजनाएं चल रही हैं।

खरपतवार नियंत्रण

चप्पन कद्दू की फसल में जरूरत के अनुसार निकाई-गुड़ाई करते रहते हैं। जब पौधों का पूर्ण विकास हो जाता है तो खरपतवार का कुप्रभाव फसल के ऊपर कम पड़ता| व्यावसायिक स्तर पर खेती के लिए पेंडीमेथिलीन 3.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से एक हजार लीटर पानी में घोलकर जमीन के ऊपर बुआई के 48 घण्टे के भीतर छिड़काव करें| इससे बुआई के लगभग 35 से 40 दिन तक खरपतवार का नियंत्रण हो जाता है।बुआई के लगभग 25 से 35 दिन बाद नालियों या मेड़ों की गुड़ाई करके मिट्टी चढ़ा देते हैं।

बीमारियां और रोकथाम

बैक्टीरियल सूखा: यह एरविनिया टरैकीफिला के कारण होता है। यह पौधे की विशिष्ट कोशिकाओं को प्रभावित करता है जिसके कारण पौधा तुरंत सूख जाता है। 

उपचार: बैक्टीरियल सूखे से बचाव के लिए कीटनाशक की फोलियर स्प्रे करें।

पत्तों पर सफेद धब्बे: इसके कारण पत्तों की ऊपरी सतह पर सफेद रंग के धब्बे पड़ जाते हैं जिसके कारण पत्ते सूख जाते हैं। 

उपचार: इससे बचाव के लिए कार्बेनडाज़िम 2 ग्राम को एक लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। इसे फंगसनाशी जैसे क्लोरोथालोनिल, बेनोमाइल या डिनोकैप की स्प्रे से भी नियंत्रित किया जा सकता है।

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