नई दिल्ली। भारत को पिछले तीन वर्षों में उत्तरी सीमा पर बेहद कठिन चुनौती का सामना करना पड़ा है, लेकिन देश ने इसका बड़ी दृढ़ता से जवाब दिया है। राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर वहां आवश्यक सैन्य तैनाती बनाए रखी है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में चल रहे विवाद को लेकर शनिवार को यह टिप्पणी की।
उन्होंने फिक्की के एक कार्यक्रम बताया कि कैसे मोदी सरकार देशहित में आत्मविश्वास के साथ एक के बाद एक विकल्प चुनती है, चाहे वे कितने भी कठिन और मुश्किल क्यों न हों। जयशंकर ने कहा,
आप सभी जानते हैं कि पिछले कुछ समय से हमें उत्तरी सीमाओं पर कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
क्या कुछ बोले विदेश मंत्री जयशंकर?
उन्होंने कहा कि भले ही यह कोविडकाल के बीच में हुआ, फिर भी हमने बहुत दृढ़ता और संकल्प के साथ माकूल जवाब दिया। हम अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेंगे और आवश्यक कदम उठाएंगे, सैन्य तैनाती करेंगे। भारतीय और चीनी सैनिक पूर्वी लद्दाख में कुछ बिंदुओं को लेकर तीन साल से अधिक समय से टकराव की स्थिति है। हालांकि, दोनों पक्षों ने व्यापक राजनयिक और सैन्य वार्ता के बाद कई क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी पूरी कर ली है।
जयशंकर ने यह भी बताया कि कैसे प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक जागरूकता पैदा करने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के मामले में वर्तमान में कोई भी समाज हमसे अधिक पीड़ित नहीं है। उन्होंने बताया कि भारत ने आतंकवाद की चुनौती का कैसे सामना किया।
रूस से कच्चे तेल को लेकर क्या बोले जयशंकर?
भारत द्वारा रूस से कच्चे तेल की खरीद जारी रखने का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए जयशंकर ने कहा कि यह राष्ट्रहित में उठाया गया कदम है। उन्होंने कहा,
यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर ऐसा न करने के पश्चिम के दबाव के बावजूद भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीद जारी रखी।
भारत की विकास गाथा के बारे में विदेश मंत्री ने कहा कि हमने कई बड़े फैसले लिए हैं और आगे भी लेंगे। अपने किए अधिकांश वादे हम पूरा कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि हमारा फोकस अब अगले 25 वर्षों में भारत को एक विकसित बनाना है।