अफसरों का हुजूम भी नहीं दिला पा रहा है, तहसील समाधान दिवसों में फरियादियों को न्याय !

  • सरकार द्वारा बनाये गये संपूर्ण समाधान का कंसेप्ट तहसीलों में लागू न होने से फरियादियों को नहीं मिल रहा न्याय
  • न्याय न मिलने से तहसील समाधान दिवसों से उठ रहा है फरियादियों का विश्वास

लखनऊ- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त निर्देशों के बाद भी शिकायतों के निस्तारण में अफसरों का मनमाना रवैया बरकरार है। हालांकि, सरकार ने जो संपूर्ण समाधान का कंसेप्ट बनाया है,उसे अगर अफसरों द्वारा अमलीजामा पहनाने में दिलचस्पी दिखाई जाय, तो संपूर्ण समाधान दिवस का महत्व बढ़ जाए और सरकार की मंशा भी पूरी हो सकेगी।वहीं फरियादियों को भी त्वरित न्याय मिल सकेगा।किन्तु अफसरों की अनदेखी के चलते राजधानी की बीकेटी, सरोजनीनगर, मलिहाबाद, मोहनलालगंज व सदर तहसीलों में विभिन्न गांवों से अपनी शिकायतों के निस्तारण की आस लगाए फरियादियों को उसका लाभ नहीं मिल रहा है। अफसरों का हुजूम होने के बाद भी फरियादियों को न्याय के लिए काफी दिनों तक इंतजार करना पड़ रहा है। बावजूद इसके बाद भी उन्हें न्याय के स्थान पर अधूरी जांच रिपोर्ट ही मिलती है।यहां तक कि कई प्रकरणों में तो महीनों तक जांच ही नहीं होती है।इन तहसीलों में आवेदन दर्ज कराने के लिए फरियादियों की तो लंबी लाइन लगी रहती है।लेकिन उन्हें अपनी एक ही शिकायत के निस्तारण के लिए महीनों तहसील स्तरीय अधिकारियों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। न्याय न मिलने से फरियादियों का विश्वास तहसील दिवस से उठता जा रहा है।

मालूम हो कि मुख्यमंत्री व जिला प्रशासन के आलाधिकारियों के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद भी मौके पर न्याय मिलने की प्रगति में कोई सुधार नहीं हो रहा है। यह स्थिति लगातार कई समाधान दिवसों में सभी पांचों तहसीलों में देखने को मिल रही है ।यहां पर हम ऐसे तहसील समाधान दिवसों की बात कर रहे हैं।जिसमें जिले के सभी बड़े अफसरों का जमावड़ा रहता है। यही स्थिति सदर, बीकेटी और मलिहाबाद तहसीलों की है।अफसरों की चौखट पर फरियादियों को न्याय नहीं मिल रहा है। बार-बार सरकारी कार्यालयों की परिक्रमा कर लोग परेशान हैं। संपूर्ण समाधान दिवस में फरियाद करने के बावजूद भी महीनों न्याय न मिलने के बाद राजधानी के बीकेटी, मलिहाबाद सहित अन्य तहसीलों के विभिन्न गांवों के शिकायतकर्ताओं ने ‘निष्पक्ष प्रतिदिन ’ से अपना दुखड़ा बयां किया। भाकियू नेता अधिवक्ता रामप्रकाश सिंह बताते हैं कि बख्शी का तालाब फलपट्टी क्षेत्र में अधिकारियों की मिलीभगत से नियमों को दरकिनार कर कई गांवों में धड़ल्ले से प्लाटिंग की जा रही है।

वहीं प्रापर्टी डीलरों द्वारा नियम विरुद्ध मनमाने तरीके से अपने मन मुताबिक अपनी सुविधा अनुसार रोड बनाने, सरकारी चकरोडो व राजकीय नलकूपों की नालियां, पाइप लाइनों व हौजियो सहित अन्य कई सरकारी जमीनों पर  कब्जा करने से रोकने  के लिए तहसील समाधान दिवस में लिखित शिकायती पत्र देकर मामले की जांच करवाकर दोषी प्रापर्टी डीलरों,अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की थी।लेकिन अभी तक न तो मेरी शिकायत की जांच हुई है और न कोई कार्रवाई ही हुई है,हां मेरे द्वारा की गई शिकायत को हथियार बनाकर अधिकारियों द्वारा वसूली करने का काम जरूर किया गया।भाकियू नेता ने यह भी बताया कि बीकेटी फलपट्टी की सूची में शामिल राजस्व ग्रामों में राजस्व संहिता 2006 के अंतर्गत धारा 80 की कार्रवाई रोकने,फलपट्टी क्षेत्र में हरियाली खत्म कर अवैध रूप से विकसित की जा रही आवासीय कालोनियों,ईंट भट्ठे एवं जहरीला धुंआ उगल रही फैक्ट्रियों के संचालन को रोककर फलपट्टी की हरियाली को बचाने के लिए दर्जनों बार तहसील संपूर्ण समाधान दिवस में शिकायत की लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा हर बार इस मामले के निस्तारण में गोल मटोल जवाब भेज दिया जाता है। इससे फलपट्टी क्षेत्र के किसान परेशान हैं, उनकी खेती प्रभावित हो रही है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।

वहीं गोहनाकला गांव की प्रधान रीतू सिंह ने बताया कि राजस्व निरीक्षक व लेखपाल की मिलीभगत से गोहनाकला गांव में प्रापर्टी डीलर द्वारा नियमों को ताक पर रख ग्रामसभा की बेशकीमती सरकारी बंजर भूमि गाटा संख्या 802 व ऊसर भूमि गाटा संख्या 779 पर सरकारी जमीन पर की जा रही अवैध प्लाटिंग को रोके जाने को लेकर लगातार पांच बार संपूर्ण समाधान दिवस एवं थाना दिवस पर प्रार्थना पत्र दिया। लेकिन आज तक कोई समाधान नहीं हो सका।इसी क्रम में इटौंजा क्षेत्र के किसान नेता राजेंद्र रावत ने बताया कि ग्राम पंचायत में गौशाला निर्माण के लिए 1.20 करोड़ रूपये स्वीकृत हुए थे।गौशाला का निर्माण किया गया और तीन साल बाद भी भी गौशाला अपूर्ण है।संपूर्ण समाधान दिवसों पर लगातार कई बार आग्रह किया। लेकिन कार्रवाई के नाम पर अभी तक सिर्फ निराशा ही हाथ लगी है।गौशाला का निर्माण पूर्ण न होने से गांव में घूम रहे छुट्टा मवेशियों से किसानों की फसलों को नुकसान हो रहा है।लेकिन जिम्मेदार अधिकारी इस दिशा में कोई ठोस पहल करते दिखाई नहीं दे रहे हैं।इस प्रकार से तहसील क्षेत्र के विभिन्न गांवों के फरियादी अपनी शिकायतों के निस्तारण के लिए महीनों से तहसील स्तरीय अफसरों के चक्कर लगाने को मजबूर हो रहे हैं।

तहसील समाधान दिवसों में आयी शिकायतों के निस्तारण पर खड़े होते सवाल

बीकेटी तहसील के अधिवक्ता अतुल शुक्ला कहते है कि शिकायतकर्ता जो वास्तविक अपनी पीड़ा बताते हैं उस पर ध्यान क्यों नहीं दिया जाता है । निस्तारण के वक्त आखिर दोनों पक्षों को क्यों नहीं सुना जाता है ।जांच मौके पर पहुंचकर आखिर क्यों नहीं होती है।अगर निस्तारण गुणवत्तापरक है तो एक ही शिकायत  को  लेकर  शिकायतकर्ता बार-बार क्यों परेशान होता है।निचले स्तर के अफसर जो आख्या लगा देते हैं। उच्चाधिकारी उस पर आंख बंदकर भरोसा कर लेते हैं।गुणवत्तापरक निस्तारण की जगह मनमाना सौ फीसदी निस्तारण क्यों कर रहे हैं अफसर?और शिकायतों के निस्तारण की जानकारी भी शिकायतकर्ताओं को नहीं दी जाती है।
 

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