वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार 31 जनवरी 2025 को संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में वित्तीय वर्ष 2024-25 के आर्थिक सर्वेक्षण को पेश कर दिया है. संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में भारत की अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है. इसमें कहा गया है कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.3 से 6.8 के बीच रहने का अनुमान है. आइए, इससे जुड़ी प्रमुख बातों के बारे में जानते हैं.
आर्थिक सर्वेक्षण की प्रमुख बातें
आर्थिक वृद्धि दर: आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.3 से 6.8 के बीच रहने का अनुमान है.
अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत: आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, मजबूत बाहरी खाता और स्थिर निजी खपत के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत बनी हुई है. इसमें कहा गया है कि वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए रणनीतिक, सूझ-बूझ और नीतिगत प्रबंधन के साथ घरेलू बुनियाद को और मजबूत करने की जरूरत होगी.
निवेश में तेजी आने की उम्मीद: आर्थिक सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि सरकारी खर्च में बढ़ोतरी होने और बेहतर होती कारोबारी उम्मीदों से निवेश गतिविधियों में तेजी आने की उम्मीद है.
आर्थिक वृद्धि की बाधाएं: वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की आर्थिक संभावनाएं संतुलित हैं. भू-राजनीतिक और व्यापार अनिश्चितताएं आर्थिक वृद्धि की राह की प्रमुख बाधाएं हैं.
महंगाई दर में कमी: वित्त वर्ष 2023-24 में महंगाई दर 5.4% रही, जो पिछले वर्ष 6.7% थी. आर्थिक सवेक्षण में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में खाद्य महंगाई के नरम पड़ने की संभावना है. सब्जियों की कीमतों में गिरावट और खरीफ फसलों की आवक से महंगाई को कम करने में मदद मिलेगी.
महंगाई का जोखिम: वित्त वर्ष 2025-26 में वस्तुओं की ऊंची कीमतों से महंगाई का जोखिम सीमित लगता है. भू-राजनीतिक दबाव अब भी जोखिम पैदा कर रहा है.
वैश्विक प्रतिस्पर्धा बेहतर करने की जरूरत: भारत को जमीनी स्तर के संरचनात्मक सुधारों और नियमन को शिथिल करते हुए अपनी वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता बेहतर करने की जरूरत है.
तकनीकी दुरुपयोग: एआई के लिए उचित शासन ढांचे की कमी से तकनीकी का दुरुपयोग होने की आशंका बनी हुई है.
दिवाला कानून: दिवाला कानून के निवारक प्रभाव ने हजारों देनदारों को शुरुआती चरण में ही संकट से बाहर निकलने में मदद की.