कहते हैं बिना पूछे जो अपनी सफाई देता है, अक्सर वही मुजरिम दिखाई देता है. कुछ ऐसा ही माहौल दिल्ली विधानसभा चुनाव की घोषणा के लिए हुई मुख्य चुनाव आयुक्त की प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत में दिखा. जब मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार मुख्य मुद्दे पर आने की बजाय सफाई देने लगे. सीईसी राजीव कुमार ने लोकसभा चुनाव के मतदान और नतीजों के बाद उठाए गए एक-एक सवाल का जवाब देने की कोशिश की. तमाम आरोपों उन्होंने अपने पुराने शायराना अंदाज में जवाब भी दिया.
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि लोकतंत्र में सवाल करना जरूरी है, लेकिन उन सवालों का जवाब भी जरूरी है. इसी दौरान उन्होंने शेर सुनाया ‘सब सवाल अहमियत रखते हैं, जवाब तो बनता है, आदतन कलमबंद जवाब देते रहें, आज रू-ब-रू भी बनता है, क्या पता हम कल हो ना हों, आज जवाब बनता है.’
पहले आरोपों का जिक्र, फिर दिया जवाब
सीईसी राजीव कुमार ने उन आरोपों का जिक्र किया, जो बीते सालों और दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों की तरफ से लगाए गए हैं. उन्होंने कहा, आरोप लगते हैं कि चुनाव से जुड़ी लिस्ट में गलत तरह से वोटरों के नाम जोड़े और हटाए गए. लोकसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र और अब दिल्ली में इस तरह के आरोप चल रहे हैं. लोगों के नाम काट दिए जाते हैं. समूहों के नाम काट दिए जाते हैं. कुछ क्षेत्रों में 50-50 हजार वोटर बढ़ा दिए गए. ईवीएम से छेड़छाड़ का मुद्दा तो हमेशा से ही उठता रहा है. सब जवाब देने के बावजूद कभी बैटरी के नाम पर कभी किसी नाम पर, लोगों ने ईवीएम चुनाव तक कह दिया.
उन्होंने बताया कि कहा गया कि 5 बजे के बाद वोटर टर्नआउट बढ़ जाता है. लोकसभा चुनाव के दौरान और उसके बाद भी यह बातें कही गईं. कहां बढ़ा, 5 बजे के बाद कहां लोग कतार में थे, उसके वीडियो भी मांगे गए हमसे. कुछ क्षेत्रों में वोटर्स में मिसमैच हो गया. जितने वोट पड़े थे, वो बढ़ा दिए गए. इससे वोटर टर्नआउट बढ़े. काउंटिंग में मिसमैच हो गया. कहीं कम गिना गया तो कहीं ज्यादा गिन लिया गया. काउंटिंग को धीमा कर दिया गया. अभी एक सवाल उठा है कि कुछ नियम बदले गए हैं, जिनसे पारदर्शिता पर असर पड़ा है.
सीईसी ने किन सवालों पर दिया जवाब?
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि देश में 10.50 लाख बूथ हैं. हर बूथ पर चार से पांच चुनाव अधिकारी होते हैं. तो उनका आंकड़ा 45 लाख से 50 लाख हो गया. यह सभी चुनाव अधिकारी उसी राज्य के होते हैं, अलग-अलग विभागों के होते हैं, अलग-अलग कौशल वाले होते हैं. चुनाव के लिए बूथ पर पहुंचने से दो-तीन दिन पहले उन्हें उम्मीदवारों के सामने ही छांट कर अलग-अलग टीम बनाई जाती है और भेजा जाता है. वह दो-तीन दिन पहले ही एक-दूसरे से मिलते हैं तो ऐसे आरोपों पर बड़ा दर्द होता है.
उन्होंने एक ग्राफिक दिखाते हुए कहा कि 2020 से 30 राज्यों के चुनाव हुए हैं. 15 राज्यों में अलग-अलग राजनीतिक दल सबसे बड़ी पार्टियां हैं. 2020, 2021, 2022, 2023, 2024 हर जगह अलग-अलग पार्टियां अधिकतम सीटें हासिल करने में सफल हुई हैं. यह दिखाता है कि भारत का मतदान की प्रणाली कितनी स्वच्छ है. परिणाम के आधार पर प्रक्रिया का आकलन नहीं हो सकता.
- चुनावी लिस्ट में गड़बड़ी के सवाल पर सीईसी?
सीईसी ने बताया कि जब भी इलेक्टोरल रोल बनता है, तब नियमित बैठकें होती हैं. यह फॉर्म-6 के बिना नहीं हो सकता. हर पार्टी अपना बीएलए नियुक्त कर सकती है. जो भी दावे और आपत्तियां आती हैं, वो हाथ के हाथ हर राजनीतिक दल के साथ साझा की जाती हैं. वेबसाइट पर ड्राफ्ट डाला जाता है. पोलिंग स्टेशन में इसे लेकर चर्चा होती है.
किसी मतदाता का नाम हट ही नहीं सकता, अगर फॉर्म-7 न हो. यहां तक कि अगर किसी का निधन हो गया है तो उसका डेथ सर्टिफिकेट हम अपने रिकॉर्ड में रखते हैं। अगर इसके बावजूद किसी का नाम हटना है तो हम उसे नोटिस देते हैं. वेबसाइट पर दावे और आपत्ति का समय देते हैं.
भारत में दूसरी कोई ऐसी प्रक्रिया नहीं है, जिसमें हर साल आपकी मतदाता पहचान का सत्यापन होता हो. हर साल अक्टूबर में सर्वे किया जाता है. इसके ड्राफ्ट रोल की दो-दो कॉपी मुफ्त में सभी राजनीतिक दलों को दी जाती हैं. बताया जाता है कि यह ड्राफ्ट रोल है, अब जो नए लोग वोटर बनेंगे या डिलीट होंगे, उसकी प्रक्रिया चलेगी. हर कदम पर आपको जानकारी दी जाएगी. हर स्टेज पर कोई भी आपत्ति हो तो उसके बारे में बताया जाए. आप बीएलए को नियुक्त करें और उन्हें सत्यापन के लिए भेजे.
हर गांव, हर पोलिंग स्टेशन पर जो भी ड्राफ्ट रोल हो, उनकी कॉपी प्रकाशित की जाती है. भरपूर मौका दिया जाता है. लोगों का नाम तब तक नहीं हटाया जा सकता, जब तक उन्हें निजी तौर पर सुनवाई का मौका न दे दिया जाए. किसी पोलिंग स्टेशन पर 2 फीसदी से ज्यादा नाम हट गए तो एआरओ को खुद जाकर इसकी जांच करनी होती है. यह प्रक्रिया हर साल होती है.
राजनीतिक दलों को जवाब देते हुए सीईसी ने कहा कि जहां एक-एक वोट की लड़ाई होती है, वहां के क्षेत्रों में जैसा बोल दिया जाता है कि 10 हजार, 20 हजार, 50 हजार वोट कट जाते हैं. अगर ऐसा सच में हो जाए तो वहां क्या ही स्थिति होगी, हम सब जानते हैं.
मान लीजिए कि अगर कहीं 1 फीसदी मतदाताओं का नाम कट भी गया तो जनवरी से लेकर अक्टूबर तक का समय है, तब क्यों नहीं कहा जाता कि यह नाम हटा दिया जाए या ये नाम जोड़ दिए जाएं. सिर्फ चुनाव के समय ही यह मुद्दे उठाए जाते हैं.
यह बिल्कुल नामुमकिन है. किसी बीएलओ की तरफ से अगर एक-दो नाम इधर-उधर हो जाते हैं तो उसे सही करने के भी मौके हैं। अगर गड़बड़ी की ऐसी कोई सूचना हमारे पास आती है तो हम कार्रवाई भी करते हैं. - ईवीएम से छेड़छाड़, बैटरी के मुद्दे पर?
सीईसी ने कहा कि चुनाव की तारीख से 7 या 8 दिन पहले ईवीएम में चुनाव चिह्न डाले जाते हैं. यह प्रक्रिया पार्टियों के चुनावी एजेंट्स के सामने होती है. उसी दिन उन्हें मॉक पोल करने के लिए कहा जाता है, ताकि वे चेक कर लें कि चुनाव चिह्न ठीक पड़ गए हैं.
उसी दिन ईवीएम में नई बैटरी डाली जाती है और बैटरी को भी सील कर दिया जाता है. ईवीएम को इसके बाद एजेंट्स के सामने ही स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है और उनके सामने ही सील कर दिया जाता है और इसके बाद उन्हें स्ट्रॉन्ग रूम में ही छोड़ दिया जाता है.
चुनाव वाले दिन सील राजनीतिक दलों के एजेंट्स के सामने स्ट्रॉन्ग रूम में ही खोली जाती है. उनसे चेक कराया जाता है कि उनके सामने जिस सीरियल नंबर की ईवीएम दी गई थी, यह वही है या नहीं, सील भी चेक कराई जाती है. इसके बाद सुबह-सुबह एजेंट्स से फिर मॉक पोल कराया जाता है. यह पोलिंग एजेंट पूरा दिन पोलिंग स्टेशन में रहते हैं.
वे आने-जाने वालों का रिकॉर्ड रखते हैं. शाम को मतदान खत्म होने के बाद पोलिंग स्टेशन छोड़ने से पहले उन्हें फार्म 17-सी दिया जाता है, किस ईवीएम में कितने वोट पड़े यह जानकारी इसमें होती है। ईवीएम को इसके बाद वापस स्ट्रॉन्ग रूम में लाया जाता है. इसमें ताला एजेंट्स के सामने ही लगाया जाता है.
फिर काउंटिंग का दिन आता है तो उन्हें ईवीएम फिर चेक करने के लिए कहा जाता है कि यह मतदान में इस्तेमाल ईवीएम है या नहीं. इसके बाद एजेंट्स को वोटों की संख्या फॉर्म 17-सी से मिलाने के लिए भी कहा जाता है. अगर मतदान के दिन से वोटों की संख्या मिलेगी, तभी मतगणना आगे बढ़ेगी.
यह संख्या एजेंट्स को फार्म 17-सी के जरिए पहले ही मतदान खत्म होने के बाद दे दी जाती है. इसके बाद पांच रैंडम तरह से चुनी हुई वीवीपैट की गिनती भी की जाती है. सीईसी ने बताया कि अदालतों, जिनमें हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की तरफ से टिप्पणी शामिल है, उन्होंने कई बार कहा है कि…
ईवीएम हैक नहीं हो सकती.
इसमें अविश्वसनीयता या किसी कमी का कोई प्रमाण नहीं.
ईवीएम में वायरस या बग डालने का कोई सवाल नहीं.
ईवीएम में अवैध वोट का कोई सवाल नहीं.
धांधली (Rigging) संभव नहीं.
ट्रोजन हॉर्स एक्टिवेट कर परिणाम बदलने का कोई सवाल नहीं.
अदालत को प्रस्तुत प्रमाण से यह विश्वास होता है कि ईवीएम छेड़छाड़-रोधी (tamper-proof) हैं.
ईवीएम परिणामों की गणना के लिए पूर्णतः भरोसेमंद उपकरण हैं.
छेड़छाड़ के आरोप निराधार हैं.
आविष्कार निस्संदेह एक महान उपलब्धि और राष्ट्रीय गौरव है.
वीवीपैट (VVPAT) प्रणाली के साथ ईवीएम मतदान प्रणाली की सटीकता सुनिश्चित करती है.
चुनाव आयोग (EC) ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सफलतापूर्वक आयोजित किए हैं.
संवैधानिक निकाय की छवि और प्रतिष्ठा को कम करना स्वीकार्य नहीं है.
स्पष्टीकरण में क्या-क्या बताया?
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि ईवीएम मतगणना के लिए पूर्णतया सुरक्षित हैं. ईवीएम से छेड़छाड़ के आरोप निराधार हैं, हम अब इसलिए बोल रहे हैं क्योंकि चुनाव के समय हम नहीं बोलते. वीवीपीएटी प्रणाली वाली ईवीएम चुनाव में मतदान प्रणाली की सटीकता सुनिश्चित करती है. पुराने पेपर बैलट की वापसी अनुचित है, इसका उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को पटरी से उतारना है.
चुनाव आयोग ने अपने ऊपर उठ रहे सवालों का जवाब देते हुए कहा कि शक का इलाज तो हकीम लुकमान के पास भी नहीं. ईवीएम एकदम फुल प्रूफ डिवाइस है. ऐसे में इसमें किसी गड़बड़ी का सवाल ही नहीं उठता. अक्सर लोग ईवीएम हैकिंग को लेकर तमाम तरह के सवाल करते रहते हैं.
चुनाव आयोग की तरफ से कहा गया कि झूठ के गुब्बारे मत उड़ाइये, हर सवाल का जवाब देंगे. लोगों को भ्रमित मत करिए, हर सवाल जरूरी है और उसका जवाब भी. अगर कहीं भी चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन हो तो उसे Cvigil ऐप पर शिकायत करे.
बिना नाम लिए एलन मस्क के सवाल का भी दिया जवाब
चुनाव आयोग ने लगभग उन सभी आरोपों के जवाब दिए जो अक्सर राजनीतिक पार्टियां लगाती रहती है. मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने एलन मस्क का नाम लिए बिना उनके द्वारा इलेक्ट्रॉनिक मशीन हैक करने की बात पर जवाब दिया.
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि एलन मस्क ने अमेरिका में वोटों की गिनती में लगने वाले समय पर भी सवाल उठाया था. हमारे यहां पर लोग उनके बयान को दिखाकर कह रहे थे कि मशीन हैक हो सकता है. कही तो 7 दिन में वोटों की गिनती नहीं हो पा रही है और हम पर सवाल उठा दिया जाता है कि हम टर्नआउट समय पर जारी नहीं करते.
दुनिया में कहीं भी वोटिंग खत्म होने के तुरंत बाद नहीं जारी होता वोट प्रतिशत
सीईसी ने कहा कि पोलिंग एजेंट सुबह से लेकर शाम तक पोलिंग स्टेशन के अंदर ही रहते हैं. वे दिन पर मतदान की प्रक्रिया देखते रहते हैं. उनके सामने सब कुछ होता है. सारा रिकॉर्ड रखते हैं, किसके वोट पड़े, किसके नहीं. शाम को पोल खत्म होने से पहले पोलिंग स्टेशन छोड़ने से पहले फार्म 17 सी भर के दे दिया जाता है, जिसमें वोटों की संख्या दर्ज होती है. उन्होंने कहा कि सेक्टर मजिस्ट्रेट दिन भर अलग-अलग टाइम में पोलिंग बूथ का दौरा करते हैं और वोटिंग ट्रेंड को जानने की समझने की कोशिश करते हैं.
उन्होंने कहा कि दुनिया में कहीं भी वोटिंग खत्म होने के तुरंत बाद वोटिंग प्रतिशत नहीं दिया जाता. 5 बजे के बाद सभी जगह पर प्रिसाइडिंग ऑफिसर वोटर्स को टोकन देते हैं. फिर आखिरी वोट पड़ने के बाद पैक अप किया जाता है. फॉर्म 17 सी भरा जाता है. इसकी संख्या लाखों में होती है. इन सभी की स्टडी के बाद फाइनल टर्न आउट जारी किया जाता है.
दिल्ली विधानसभा चुनाव शेड्यूल
चुनाव का नोटिफिकेशन- 10-01-2025 नामांकन करने की अंतिम तारीख – 17-01-2025 नामांकन जांचने की तारीख- 18-01-2025 नाम वापस लेने का अंतिम दिन- 20-01-2025 वोटिंग- 05-02-2025 रिजल्ट- 08-02-2025