हिमाचल प्रदेश के मंडी में मंगलवार को भूकंप के झटके दर्ज किए गए. भूकंप शाम 5 बजकर 14 मिनट पर आया. भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.4 आंकी गई. भूकंप का केंद्र जमीन के अंदर पांच किलोमीटर नीचे मापा गया. फिलहाल इन झटकों से अभी तक किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है.
हिमाचल प्रदेश की जियोग्राफिकल कंडीशन के हिसाब से देखें तो भूकंप सिस्मिक जोन चार और पांच में आता है. मंडी, चांबा, कांगड़ा, लाहौल और कुल्लू भूकंप के मामले में अति संवेदनशील क्षेत्र में शामिल हैं. वहीं, सर्दियों के मौसम में यह खतरा और बढ़ जाता है. हालांकि, हिमाचल में पिछले कुछ सालों से किसी बड़े नुकसान की सूचना नहीं मिली है.
हर साल आते हैं इतने भूकंप
हिमाचल प्रदेश अपनी प्राकृतिक सुंदरता और पर्वतीय सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है. ये भूकंप के खतरे के मामले में भी चर्चा का केंद्र बना रहता है. साल 1905 में आए विनाशकारी कांगड़ा भूकंप की याद आज भी लोगों के दिलों में ताजा है. राज्य का एक बड़ा हिस्सा भूकंप के लिए संवेदनशील जोन-5 में आता है, जहां हर साल औसतन 20 से 30 भूकंप दर्ज किए जाते हैं.
सर्दियों में क्यों बढ़ता है भूकंप का खतरा?
कई स्टडी रिपोर्टस् की मानें तो हिमाचल प्रदेश में भूकंप की घटनाएं सर्दियों के महीनों में अधिक होती हैं. जनवरी से मार्च का समय सबसे संवेदनशील माना जाता है. उदाहरण के तौर पर, 2023 की शुरुआत में 14 जनवरी को धर्मशाला में भूकंप आया. इसी तरह 2021 में भी जनवरी में चंबा जिले में 3.2 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया. उस समय मंडी, कांगड़ा, कुल्लू और बिलासपुर में एक ही रात में तीन बार झटके महसूस किए गए थे.
साल 2017 की CAG ने एक रिपोर्ट पेश की थी. जिसमें बताया गया था कि शिमला जैसे ढलान पर बसे शहरों में अनियंत्रित निर्माण के कारण भूकंप की स्थिति में भारी तबाही हो सकती है. हिमाचल हाई कोर्ट ने भी संबंधित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान बार-बार सरकार को इस दिशा में सतर्क किया है.