भारत की रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) जल्द ही अपनी प्रलय टैक्टिकल बैलिस्टिक मिसाइल के निर्यात संस्करण का परीक्षण कर सकती है. इस मिसाइल की रेंज को 290 किमी तक सीमित किया गया है. ताकि यह मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) के दिशा-निर्देशों का पालन कर सके. यह बदलाव भारत की बढ़ती रक्षा निर्यात क्षमताओं को ध्यान में रखकर किया गया है. खास बात यह है कि आर्मेनिया इस उन्नत मिसाइल प्रणाली के संभावित ग्राहक के रूप में उभरा है.
प्रलय मिसाइल की विशेषताएं और नई सीमाएं
अभी प्रलय मिसाइल 150 से 500 किमी तक की रेंज में संचालित होती है, जो इसे सामरिक युद्धक्षेत्र में बेहद प्रभावी बनाती है. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय दिशा-निर्देशों और गैर-MTCR देशों को निर्यात की सुविधा के लिए, इसकी रेंज को 290 किमी तक सीमित किया गया है. यह बदलाव विश्व स्तर पर और हथियारों के निर्यात के नियमों का पालन करने के लिए गए . हालांकि उससे भी मिसाइल की ऑपरेशनल क्षमता बनी रहेगी.
आर्मेनिया जो अपने रक्षा क्षमताओं को आधुनिक बना रहा है, उसने भारत की स्वदेशी प्रलय मिसाइल प्रणाली में दिलचस्पी दिखाई है. यह मिसाइल एक हाई कैपेसिटी के साथ लक्ष्य पर प्रहार करने में सक्षम है. जो इसे उन देशों के लिए एक बेहतरीन विकल्प बनाता है जो एडवांस, भरोसेमंद और दमदार हथियार और मिसाइल सिस्टम की तलाश में हैं और आर्मेनिया की रुचि भारत की स्वदेशी रक्षा तकनीकों के बढ़ते वैश्विक महत्व को दर्शाती है.
प्रलय मिसाइल का ट्विन-लॉन्चर कॉन्फ़िगरेशन
डीआरडीओ ने प्रलय मिसाइल के लिए ट्विन-लॉन्चर कॉन्फ़िगरेशन का परीक्षण करने की भी तैयारी कर ली है. यह अपग्रेड एक ही लॉन्चर पर दो प्रलय मिसाइलों को ले जाने और दागने की शक्ति देगा, जिससे युद्धक्षेत्र में फॉर्स का मूवमेंट और एक्शन दोनों ही आसान होगा और इससे दुश्मन के खिलाफ ऑपरेशन करने में आसानी होगी. प्रलय के शुरुआती परीक्षणों में लॉन्चर एक बार में केवल एक मिसाइल ले जा सकता था, लेकिन आने वाले समय में परीक्षणों में ट्विन-लॉन्चर सेटअप की क्षमताओं से इजाफा किया जाएगा..
ट्विन-लॉन्चर कॉन्फ़िगरेशन प्रलय सिस्टम को निर्यात ग्राहकों के लिए और भी दिलचस्प बनाएगा. यह हाई स्पीड वाले युद्धक्षेत्र में तुरंत और प्रभावी हमला करने की क्षमता प्रदान करेगा जिससे यह सिस्टम सामरिक ऑपरेशनों में बेहद जरूरी होगा.
प्रलय मिसाइल का यह नया संस्करण भारत को दुनिया के रक्षा बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करेगा और भारत की स्वदेशी रक्षा तकनीक की क्षमताओं को और अधिक बढ़ावा देगा.
प्रलय मिसाइल की परिचालन क्षमताएं
प्रलय मिसाइल तेज सटीकता और तुंरत तैनाती के लिए डिज़ाइन की गई है. यह कई प्रकार के वॉरहेड्स ले जाने में सक्षम है, जिससे यह अलग-अलग मिशन प्रोफाइल के लिए अनुकूल है. इसका सॉलिड-प्रोपेलेंट सिस्टम इसे तुरंत तैयार रहने में सक्षम बनाता है, और इसकी उच्च गतिशीलता इसे दुश्मन के इंटरसेप्ट से बचाती है.
निर्यात संस्करण और घरेलू उपयोग में संतुलन
जहां सीमित रेंज वाला संस्करण निर्यात के लिए तैयार किया जा रहा है, वहीं 500 किमी की फूल रेंज वाली घरेलू प्रलय मिसाइल भारतीय सशस्त्र बलों के लिए डिजाइन की गई है. यह विशेष रूप से विवादित सीमा क्षेत्रों में रणनीतिक लक्ष्यों पर सटीक हमले करने की भारत की क्षमता को बढ़ाती है. यानी इसका इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर LoC और LAC कहीं भी किसी भी मौसम और किसी भी टेंप्रेचर में किया जा सकता है.
भारतीय सेना का प्रलय मिसाइल को लेकर क्या है प्लान
इंडियन आर्मी साल 2026 से प्रलय बैलिस्टिक मिसाइलों की तैनाती की तैयारी में है . 150 से 500 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली ये मिसाइलें पाकिस्तान से बॉर्डर के पास LOC और LAC के पास और चीन से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात की जाएंगी. प्रलय मिसाइलों को खासतौर से सीमाओं पर पड़ोसी देश की चालबाजियों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए डिजाइन किया गया है.
प्रलय मिसाइल को 2022 में भारतीय वायुसेना के लिए मंजूरी दी गई थी. इसके बाद, अप्रैल 2023 में इसके दो यूनिट्स को भी मंजूरी मिली. अब भारतीय सेना भी इसे अपनी रॉकेट फोर्स में शामिल करने की तैयारी कर रही है.
प्रलय मिसाइल की खासियत यह है कि यह दुश्मन के ठिकानों को आसानी से नष्ट कर सकती है. इसकी कम दूरी की वजह से यह बहुत जल्दी दुश्मन के बेस, बंकर, तोपों और हथियार डिपो को तबाह कर सकती है. दिसंबर 2021 में इसे 24 घंटे के भीतर दो बार सफलतापूर्वक टेस्ट किया गया था. वहीं नवंबर 2023 में ओडिशा तट पर अब्दुल कलाम द्वीप से भी प्रलय का परीक्षण किया था. इस मिसाइल की तैनाती चीन और पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में की जाएगी.
प्रलय मिसाइल की सटीकता और रफ्तार इसे सबसे घातक बनाती है. इसका वजन करीब 5 टन है और यह 500 से 1000 किलोग्राम तक के पारंपरिक हथियार ले जाने में सक्षम है. यह मिसाइल तीन तकनीकों पर आधारित है- प्रहार, पृथ्वी-2 और पृथ्वी-3… इसकी तेजरफ्तार इसे और भी ज्यादा खतरनाक बनाती है.
प्रलय मिसाइल रात के समय भी हमले करने में सक्षम है. यह क्षमता इसे दुश्मन के लिए और भी अधिक घातक बनाती है. इसमें लगे इन्फ्रारेड या थर्मल स्कैनर की मदद से यह रात में भी सटीक हमले कर सकती है. य मिसाइल इन्शियल गाइडेंस सिस्टम पर चलती है और इसका ईंधन सॉलिड प्रोपेलेंट है.
प्रलय मिसाइल भारत की स्वदेशी तकनीक से विकसित की गई एक SHORT-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (SRBM) है.
प्रलय मिसाइल की खासियत:
- रेंज: 150-500 किमी 2. पेलोड: 1000 किग्रा 3. ऊंचाई: 30-50 किमी 4. गति: मैक 5 (5 गुना ध्वनि की गति) 5. मार्गदर्शन प्रणाली: इनर्शियल गाइडेंस सिस्टम
प्रलय मिसाइल का उद्देश्य:
- सैन्य ठिकानों पर हमला 2. दुश्मन के बुनियादी ढांचे पर हमला 3. युद्ध के मैदान में दुश्मन की सेना पर हमला
प्रलय मिसाइल के फायदे:
- स्वदेशी तकनीक 2. कम लागत 3. उच्च सटीकता 4. तेजी से मार्गदर्शन
भारत की स्वदेशी मिसाइलों की गूंज विदेशों तक पहुंच रही है.भारत इन मिसाइलों को अर्मेनिया को भी निर्यात कर सकता है . त्रों के अनुसार आर्मेनिया ने प्रलय मिसाइलों की खरीदारी में दिलचस्पी दिखाई है, जिस पर बातचीत जारी है.