हरख डिग्री कॉलेज के डॉ आलोक को पादप रोग में आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस कभारत सरकार द्वारा पटेंट प्राप्त हुआ

ज़ैदपुर बाराबंकी। फसलों की सुरक्षा पैदावार में सुधार और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कृषि में पौधों की बीमारी का शीघ्र पता लगाना महत्वपूर्ण है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) मशीन लर्निंग (एमएल) और डीप लर्निंग (डीएल) की उन्नति के साथ किसानों के पास अब प्रारंभिक चरणों में पौधों की बीमारियों का पता लगाने के लिए शक्तिशाली उपकरण हैं। जिससे मैनुअल निरीक्षण पर निर्भरता कम हो जाती है।

डॉ आलोक विभागाध्यक्ष वनस्पति विज्ञानं विभाग संत कवि बाबा बैजनाथ राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय एवं भारत के 10 वैज्ञानिको की टीम विगत कई वर्षो से पोधो में होने वाले रोगों को ए आई के माध्यम से पहले पता लगाने के क्षेत्र में कार्य कर रहे थे। इस क्षेत्र में डॉ आलोक एवं उनकी टीम को ये लगाकर दूसरा पटेंट प्राप्त हुआ है।एआई-संचालित छवि पहचान इस क्षेत्र में एक प्रमुख तकनीक है। गहन शिक्षण मॉडल विशेष रूप से कन्वोलुशनल न्यूरल नेटवर्क (सी.एन.एन.) ब्लाइट जंग और फफूंदी जैसी बीमारियों की पहचान करने के लिए पौधों की छवियों का विश्लेषण करते हैं। ये मॉडल उल्लेखनीय सटीकता के साथ मलिनकिरण,धब्बे या मुरझाने जैसे पैटर्न को पहचान सकते हैं। किसान चित्र लेने के लिए बस मोबाइल फोन या ड्रोन का उपयोग कर सकते हैं। और एआई मॉडल वास्तविक समय निदान प्रदान करते हैं।

एक अन्य शक्तिशाली तकनीक वर्णक्रमीय इमेजिंग है जो पौधों में रोग से संबंधित तनाव का पता लगाने के लिए बहु-वर्णक्रमीय या अति-वर्णक्रमीय कैमरों का उपयोग करती है। ये कैमरे विभिन्न तरंग दैर्ध्य में डेटा कैप्चर करते हैं। जिससे नग्न आंखों के लिए अदृश्य संक्रमण के संकेत प्रकट होते हैं। मशीन लर्निंग मॉडल तब रोगों का जल्दी पता लगाने के लिए इस डेटा का विश्लेषण करते हैं, इससे पहले कि लक्षण दिखाई दें।

छवि-आधारित विधियों के अलावा प्रेडिक्टिव मॉडल का उपयोग आर्द्रता तापमान और मिट्टी की स्थिति जैसे पर्यावरणीय कारकों का विश्लेषण करके रोग के प्रकोप का पूर्वानुमान लगाने के लिए किया जाता है। एआई मॉडल इस डेटा को यह अनुमान लगाने के लिए संसाधित करते हैं। कब और कहाँ बीमारियाँ होने की संभावना है। जिससे किसान निवारक उपाय कर सकते हैं।
हालांकि ये प्रौद्योगिकियां सटीकता में वृद्धि, लागत-दक्षता और कीटनाशकों के कम उपयोग जैसे कई लाभ प्रदान करती हैं। लेकिन चुनौतियां बनी हुई हैं। उच्च गुणवत्ता वाला डेटा और बुनियादी ढांचा उनकी प्रभावशीलता के लिए आवश्यक है। फिर भी ए. आई.एम.एल और डी.एल. अधिक टिकाऊ कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देते हुए पौधों की बीमारी का जल्द पता लगाने में क्रांति लाने का वादा करते हैं।

Related Articles

Back to top button