पूर्वांचल का डॉन शिकवा-शिकायत करते-करते दुनिया से हुआ रुखसत, जेल और मेडिकल कॉलेज प्रशासन को लेकर खड़े हुए कई सवाल…

बांदा। मुख्तार ने जिंदगी के आखिरी कुछ दिनों में जेल की तन्हाई के अलावा जेल प्रशासन और मेडिकल कॉलेज की दुश्वारियां भी झेली। आजीवन कारावास की हुईं दो सजाओं ने मुख्तार की रिहाई की सारी उम्मीदें धराशायी कर दी थी। इससे वह शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर होता जा रहा था। इस कारण उसने मान लिया था कि अब वह ज्यादा दिन जिंदा नहीं रहेगा।

इसका जिक्र उसने परिवार के लोगों से बातचीत में भी किया। फिर भी किसी को यकीन नहीं था, पूर्वांचल का डॉन शिकवा-शिकायत करते-करते दुनिया से रुखसत हो जाएगा। मुख्तार की मौत ने जेल और मेडिकल कॉलेज प्रशासन के लिए सवालों की लंबी फेहरिस्त तैयार कर दी है। जिनके जवाब न्यायिक और मजिस्ट्रेटी जांच समिति के सदस्य जिम्मेदारों से पूछ सकते हैं।

देखया यह है कि दोनों समितियां जेल व मेडिकल कॉलेज के जिम्मेदारों से क्या सवाल करतीं हैं। जिम्मेदार अपना क्या पक्ष रखते हैं। कितने दिनों में जांच पूरी होगी, कोई दोषी पाया जाएगा कि नहीं। फिलहाल इन सवालों के जवाब तो आने वाला वक्त ही बताएगा। माना जा रहा कि मुख्तार के अंतिम संस्कार के बाद से ही जांच समितियां अपनी कार्रवाई शुरू करेंगी।

भाई अफजाल व बेटे उमर ने उठाए थे यह सवाल
मेडिकल कॉलेज में मुख्तार के भाई अफजाल ने कहा कि करीब 40 दिन पहले जेल के एक रसोइए की हालत बिगड़ने पर उसे मेडिकल कॉलेज में भर्ती गया था। यह रसोइया खाना चखकर भाई मुख्तार को देता था। इसी तरह जिस डिप्टी जेलर की देखरेख में खाना तैयार होता था, उसे भी पेट की तकलीफ के चलते मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया जा चुका है। बेटे उमर का कहना था कि 26 मार्च की देर शाम जब पिता की हालत ठीक नहीं थी तो क्यों उन्हें वापस जेल भेजा गया।

जांच की आंच में कुछ सुलगते सवाल व अहम बिंदु
मेडिकल कॉलेज
मंगलवार, 26 मार्च

  • मुख्तार की स्वास्थ्य संबंधी कौन-कौन सी जांचें हुईं और शुरुआती जांच में क्या बीमारी पता चली।
  • मुख्तार की किस बीमारी का और क्या उपचार किया गया।
  • मेडिकल कॉलेज के किन-किन वार्डों में रखा गया और क्या इलाज किया गया।
  • किन-किन डॉक्टरों की देखरेख में मुख्तार को रखा गया।
  • क्या कोई अधिकारी स्तर का डॉक्टर भी देखरेख में शामिल था।
  • किस आधार पर मुख्तार की हालत सामान्य मानकर 14 घंटे बाद उसे वापस कारागार भेजा गया।
  • मुख्तार को जेल की बैरक के बजाय अस्पताल के लिए क्यों नहीं रेफर किया गया।
    28 मार्च, गुरुवार
  • दोपहर को जेल में मुख्तार को क्या तकलीफ हुई, स्वास्थ्य विभाग की टीम ने क्या उपचार किया।
  • शाम को फिर क्यों तबीयत बिगड़ी और टीम ने क्या देखकर उसे मेडिकल कॉलेज ले जाने का फैसला किया।
  • रात साढ़े आठ बजे के बाद से मुख्तार को मेडिकल कॉलेज में किस बीमारी का इलाज दिया गया।
  • उसे मेडिकल कॉलेज के किन-किन वार्डों में रखा गया।
  • कितने बजे मुख्तार ने आखिरी सांस ली।
  • जब मौत हार्ट अटैक से हुई तो पोस्टमार्टम के बाद विसरा क्यों सुरक्षित रखा गया।
    मंडलीय कारागार
  • 19 मार्च को मुख्तार ने खाने में ऐसा क्या लिया कि उसे तकलीफ हुई और उसने कोर्ट को अवगत कराया।
  • 19 मार्च से पहले जेल के किस रसोइये और जेलर की तबीयत खाना खाने से बिगड़ी थी और क्यों।
  • मुख्तार को दूध देने वाला कर्मी कौन था और दूध कहां से मंगाया जा रहा था। शिकायत के बाद दूध का नमूना क्यों नहीं लिया गया।
  • मुख्तार को सुबह नाश्ते से लेकर दोपहर व रात के खाने में क्या-क्या दिया जाता था।
  • मुख्तार के बैरक व उसके वीसी रूम तक रास्ते में लगे सीसीटीवी काम कर रहे हैं कि नहीं।
  • यदि कैमरे काम कर रहे हैं तो करीब एक माह के फुटेज जेल प्रशासन उपलब्ध कराए।
  • जेल प्रशासन ने मेडिकल काॅलेज से लौटने के बाद 26 मार्च को उसे बैरक में क्यों भेजा, हालत ठीक नहीं थी तो उसे अस्पताल में भी रखा जा सकता था।
  • 27 और 28 मार्च को पूरे दिन जेल प्रशासन ने मुख्तार की सेहत की क्या जांच कराई और उसकी क्या रिपोर्ट रही।
  • पिछले दो-तीन महीने में मुख्तार से कितने लोगों ने जेल में कितनी देर तक मुलाकातें की।
  • अब तक मुख्तार ने जेल से कितनी वर्चुअल पेशी की और कितने लोगों से कितनी देर तक बातें की।

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