बरेली में चिकित्सकों ने किया, जानें ‘आयुष्मान’ को लेकर क्यों है नाराजगी

बरेली में आयुष्मान से इलाज के बाद तमाम अस्पतालों का करीब चार करोड़ रुपये भुगतान नहीं हो रहा। लगातार मांग के बावजूद कोई उचित कार्रवाई न होने से आक्रोशित चिकित्सक मंगलवार को सड़क पर उतरे। विशाल रैली निकालकर पैदल मार्च करते हुए डीएम आवास के बाहर पहुंचे। उन्होंने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर भुगतान और समस्याओं के निस्तारण कराने की मांग की।

इससे पूर्व सभी चिकित्सक और अस्पताल संचालक, पैरामेडिकल स्टाफ आदि आईएमए भवन सभागार में जुटे। उन्होंने आईएमए के इस आंदोलन को देश और प्रदेश सरकार समेत जन-जन तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया पर परेशानी साझा करने की अपील की। साथ ही, शासन के बजाय आयुष्मान के भुगतान प्रक्रिया की जिम्मेदारी संभाल रही एजेंसी पर निशाना साधने को कहा। कहा कि जो बेवजह छिटपुट खामी, नियम और मानक की अड़चन बताकर भुगतान निरस्त कर रहे हैं। प्रदर्शन में मौजूद सभी ने इस पर सहमति जताई और इसे भुगतान होने तक जारी रखने का संकल्प लिया।

डॉ अजय भारती ने भुगतान न होने पर विधिक कार्रवाई के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता से राय लेकर केस करने का सुझाव दिया। ताकि किन कारण पेमेंट रिजेक्ट हुआ और मानकों के तहत क्या होना चाहिए था, पहले इसकी जानकारी करेंगे, जिससे कोई अड़चन न हो।

मरीज हुए स्वस्थ, मानसिक तनाव से जूझ रहे चिकित्सक
आईएमए अध्यक्ष डॉ आरके सिंह ने कहा कि आयुष्मान से सिर्फ इलाज ही नहीं होता बल्कि अस्पताल का खर्चा भी होता है। मरीज स्वस्थ होकर चला जाता है उसके कई दिन बाद पेमेंट रिजेक्ट का मेसेज आता है। जो मानसिक परेशानी की वजह है। क्योंकि भुगतान न होने से इलाज का खर्च नहीं मिलता। कई मामले होने पर चिकित्सक कैसे अस्पताल चलाएंगे। उधारी की नौबत है।

चिकित्सकों ने कहा कि 70 साल से अधिक आयु के मरीजों की तादाद बढ़ेगी। इनका इलाज भी महंगा होगा। मुख्य मांग में बुजुर्गों के इलाज का पैकेज तीन गुना करने, एक बार अप्रूवल मिलने पर उसे निरस्त न करने, फायर एनओसी न होने पर भुगतान कैंसिल न करने, छिटपुट खामियां बताकर भी भुगतान निरस्त न करने समेत अन्य मान की है।

योजना मरीज के लिए संजीवनी, चिकित्सक मोहरा
डॉ रवि मेहरा ने कहा कि सरकार की योजना मरीजों के लिए संजीवनी है लेकिन उनकी परेशानी दूर करने के लिए चिकित्सक मोहरा बन रहे हैं। जो बीमा कंपनी को चला रहे हैं वे धोखा दे रहे हैं। मरीज के इलाज के बाद बताते हैं कि अप्रूवल रिजेक्ट हो गया। बिना कारण रिजेक्ट होगा तो यह बेहद खराब स्थित है। आईएमए बरेली प्रदेश में पहली शाखा है, जिसने ये कदम बढ़ाया है। जिसे पीछे नहीं खींचेंगे।

बार बार फोटो खींचना मुमिकन नहीं, नियम बदलें
डॉ विनोद पागरानी ने कहा कि अस्पतालों का औसतन चार करोड़ रुपए भुगतान बकाया है, जो बड़ी रकम है। कई बार एजेंसी बेवजह पैसा काटती है। फोटो खींचना सब तर्कहीन नियम है। क्योंकि दिन में दो बार फोटो खींचना चिकित्सक के लिए मुमिकन नहीं। व्याहारिक नियम बनाने होंगे।

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