आपको लगता है कि वाकई ईवीएम में छेड़छाड़ हुई है?

नई दिल्ली। दिग्गज कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने शुक्रवार को आईएएनएस से एक विशेष साक्षात्कार में उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ पर विपक्षी सांसदों के साथ भेदभाव करने के आरोप लगाए। साथ ही उन्होंने ईवीएम, वक्फ संशोधन विधेयक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कुंभ पूजा में जाने और तमाम मुद्दों पर अपनी राय दी।

सवाल: विपक्षी पार्टियां उपराष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई हैं, इसे कैसे देखते हैं?

जवाब: विपक्ष लगातार यह महसूस करता रहा है कि सभापति विपक्ष की अपीलों को नहीं सुनते हैं। पिछले कुछ समय से वह लगातार विपक्ष को अपनी बात कहने का अवसर नहीं दे रहे थे। पहली बार किसी भारतीय औद्योगिक घराने के खिलाफ अमेरिका में चार्जशीट दायर किया गया है और हम उस पर चर्चा करना चाहते थे। जब हमने चर्चा की मांग की तो उन्होंने मना कर दिया। लगातार मना करने के बाद विपक्ष ने भी राज्यसभा के नियम 267 (कार्यस्थगन प्रस्ताव) के तहत इस तथा अन्य विषयों पर चर्चा की मांग की। उन्होंने नियम 267 के तहत चर्चा के प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया। इसके बाद भी उन्होंने सामान्यतः विपक्ष के सांसदों को अपना बयान देने का अवसर नहीं दिया।

इसके बाद, तीन दिन सत्ता पक्ष की तरफ से वरिष्ठ सांसदों, संसदीय कार्य मंत्री और सदन के नेता ने भारतीय जनता पार्टी की तरफ से ऐसे आरोप लगाए, जिनको नियमों के तहत सदन में शामिल करने से पहले लिखित अनुमति ली जानी चाहिए थी। उन्होंने सोनिया गांधी पर आरोप लगाए, लेकिन इस बारे में पूरी जानकारी नहीं दी गई। यह सीधे तौर पर राज्यसभा की नियमावली का उल्लंघन था। इन बातों को लेकर विपक्ष में नाराजगी थी और जिस प्रकार से उन्होंने पक्षपात किया, वह चिंता का विषय था।

सवाल: ईवीएम का मुद्दा विपक्ष उठा रहा है। आपको लगता है कि वाकई ईवीएम में छेड़छाड़ हुई है?

जवाब: यह हमारा मौलिक अधिकार है कि हम जिसे चाहें, उसे वोट दें और वह वोट सही तरीके से गिना जाए। अब, ईवीएम आ जाने के बाद किसी को रसीद नहीं दी जा रही है जबकि 2013 में सुप्रीम कोर्ट का आदेश था कि वोटर को प्रिंटेड रसीद दी जाए, अब क्या हो रहा है कि सिर्फ सात सेकंड के लिए वीवीपैट दिखाया जाता है, लेकिन वह रसीद हमारे हाथ में नहीं दी जाती है। हमारी दो मुख्य शिकायतें हैं। पहली यह कि बैलेट यूनिट से संदेश वीवीपैट को जाता है और वीवीपैट का संदेश कंट्रोल यूनिट को भेजा जाता है। जो प्रिंटर है, वह वीवीपैट में है। वह माइक्रोप्रोसेसर के जरिए जाता है। इसमें सॉफ्टवेयर डाला जाता है, लेकिन उस सॉफ्टवेयर को उजागर नहीं किया जाता। हमारा अनुरोध है कि बैलेट पेपर से वोटिंग कराने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इससे लोगों का विश्वास बन जाएगा कि हमने जहां वोट डाला, वहीं उसकी गिनती हो रही है।

लोग कहते हैं कि इससे ज्यादा समय लगेगा, लेकिन हम यह कहते हैं कि अब सामान्य तौर पर 14 से 16 काउंटिंग टेबल लगते हैं। अगर आप 50-60 या 70 टेबल लगाते हैं तो इसकी गिनती आराम से हो जाएगी। हमारे पास सरकारी कर्मचारियों या अधिकारियों की कोई कमी नहीं है, न ही जगह की कमी है। सरकार के पास यह सुविधा है। इससे 6-7 राउंड में काउंटिंग पूरी हो सकती है और मुश्किल से आठ घंटे में काउंटिंग खत्म हो जाएगी। लोग इस व्यवस्था पर विश्वास करने लगेंगे। इसलिए हम ईवीएम पर विश्वास नहीं करते क्योंकि उसमें जो सॉफ्टवेयर डाला जाता है, उसे उजागर नहीं किया जाता, और यह भी नहीं बताया जाता कि वह मशीन कैसे काम करती है। इसमें सिग्नल लोडिंग के जरिए सॉफ्टवेयर डाला जाता है और नाम लोड होते हैं, जो इंटरनेट के माध्यम से किया जाता है। हमारा कहना है कि या तो बैलेट पेपर से वोटिंग कराइए, या ईवीएम के प्रति प्रेम है तो उस स्लिप को हमें हाथ में दे दीजिए ताकि हम उसे फोल्ड करके अलग से बैलेट बॉक्स में डाल सकें।

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