लखनऊ। प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने मंगलवार को कृषि निदेशालय में कृषि विभाग के समस्त मण्डलीय एवं जनपदीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। उन्होंने “हर घर तिरंगा” कार्यक्रम के बारे में विस्तार से चर्चा की तथा विभागीय अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए।
उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि “हर घर तिरंगा” कार्यक्रम के अन्तर्गत कृषि विभाग एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों पर 15 अगस्त तक अभियान चलाया जाये। इस वर्ष 4 करोड़ 95 लाख घरों पर तिरंगा लगे। कृषि विभाग की पहुँच किसानों तक ज्यादा है, इसलिये कृषक के पास अपने-अपने जनपद में कृषि विभाग के अधिकारी (जिला कृषि अधिकारी एवं उप कृषि निदेशक), तकनीकी सहायक व ए०टी०एम० एवं बी०टी०एम० के सहयोग से लाभार्थी कृषक के घर तक तिरंगा पहुँचवायें। जनपद में स्थित उर्वरक समितियों, बीज भण्डारों पर तिरंगा लगाकर पांच करोड़ से अधिक तिरंगा लगाना है।
कृषि मंत्री ने कहा कि जनपद स्थित कृषि विभाग के सभी भवनों तथा कार्यालयों, कृषि विज्ञान केन्द्रों पर तिरंगा झण्डा लगाया जाये। सभी कार्यालयों में झण्डा लगे, केसरिया रंग ऊपर एवं हरा नीचे की तरफ हो, इसका ध्यान रखा जाये। सूर्यास्त के पूर्व झण्डा निकालकर ठीक से रख दिया जाये। कार्यक्रम सम्पन्न होने के पश्चात् झण्डा समय से उतारा जाये। लापरवाही से झण्डा झुके न और न ही कहीं इधर-उधर फेंका जाये। पूरे राष्ट्रीय सम्मान के साथ “हर घर तिरंगा” कार्यक्रम का आयोजन किया जाये। 14 अगस्त को सभी कार्यालयों से आधे घण्टे की तिरंगा यात्रा निकाली जाये।
इसके साथ ही उन्होंने “एक पेड़ माँ के नाम” चलाये गये अभियान में लगाये गये पौधों की देख-रेख करने के भी निर्देश दिए। पेड़ जिन्दा रहें, इसलिये उसकी नियमित देखभाल तथा सिंचाई भी करायी जाये। सभी अधिकारी विभाग द्वारा संचालित योजनाओं का समय से संचालन करें। जनपद में आच्छादन की व्यवस्था पूर्ण करायी जाये। धान में तना बेधक के उपाय किये जायें।जनपद में समसामयिक फसलों जैसे धान, मूँगफली, तिल, मक्का, सब्जियों में लगने वाले कीट एवं बीमारियों के बारे में किसानों को जागरूक किया जाये, साथ ही उससे बचाव हेतु दवाई बतायी जाये।
बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों के किसानों की सहायता हेतु कृषि विभाग के अधिकारी व कर्मचारी तत्पर रहें।अभी से प्रयास करें कि बजट का शत-प्रतिशत उपयोग हो, ताकि अधिक से अधिक कृषक लाभान्वित हों। सभी जनपदों में उर्वरक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। प्री-पोजीशनिंग के स्टाक को जिलाधिकारी से वार्ता कर अवमुक्त करायें। जिला कृषि अधिकारी, अपर निबंधक तथा जिला निबंधक, सहकारी समितियों से मिलकर उर्वरक की समस्या का समाधान करायें।