नई दिल्ली। उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अधीन उपभोक्ता मामले विभाग ने आटोमोबाइल संघ और भागीदार कंपनियों के साथ बैठक कर राइट टू रिपेयर पोर्टल इंडिया से जुड़ने का आग्रह किया है।
इसका उद्देश्य चक्रीय अर्थव्यवस्था में योगदान के साथ-साथ निर्बाध तरीके से ई-कचरे में कमी लाना है।
उपभोक्ता मामले विभाग (डीओसीए) की सचिव निधि खरे की अध्यक्षता में ऑटोमोबाइल संघ और ऑटोमोबाइल क्षेत्र में उनकी भागीदार कंपनियों के साथ एक बैठक बुलाई गई थी। शनिवार को आयोजित इस बैठक के बाद उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने इसकी जानकारी सार्वजनिक की।
उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के मुताबिक उपभोक्ता मामले विभाग (डीओसीए) ने उपभोक्ताओं को उनके उत्पादों की मरम्मत के लिए सूचना तक आसान पहुंच प्रदान करने और उन्हें इसका पुनः उपयोग करने में सक्षम बनाने के लिए राइट टू रिपेयर पोर्टल इंडिया (https://righttorepairindia.gov.in/) का शुभारंभ किया है। इस बैठक का उद्देश्य कंपनियों को राइट टू रिपेयर पोर्टल इंडिया पर लाना था।
मंत्रालय द्वारा जारी बयान के मुताबिक अक्सर ऐसा देखा जाता है कि सीमित समय के लिए बने उत्पाद ई कचरे में ज्यादा योगदान देते हैं। इनकी मरम्मत और विकल्प की कमी की वजह से उपभोक्ताओं को इससे महंगे उत्पाद खरीदने को मजबूर होना पड़ता है। राइट टू रिपेयर पोर्टल इंडिया से जुड़ने के बाद उपभोक्ताओं को उपकरणों या मरम्मत संबंधी जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी।
मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि यह भी देखा गया है कि सेवा में देरी और वाहनों के लिए मरम्मत संबंधी दस्तावेज़ों के नहीं होने की वजह से मरम्मत सेवाएं तेजी से सीमित होती जा रही हैं। कभी-कभी उत्पादों की मरम्मत अत्यधिक उच्च लागत पर की जाती है, जिससे उपभोक्ता मरम्मत सेवाओं से संतुष्ट नहीं होते हैं। ऐसे में राइट टू रिपेयर पोर्टल इंडिया उनकी मदद करेगा।
मंत्रालय के मुताबिक एक बड़ी बाधा सस्ती कीमतों पर असली स्पेयर पार्ट्स की अनुपलब्धता भी है। अक्सर सस्ती कीमतों पर उनकी अनुपलब्धता, उपभोक्ताओं को ग्रे मार्केट से नकली स्पेयर पार्ट्स खरीदने के लिए बाध्य करती हैं। मामूली मरम्मत और खुद की जानकारी की कमी की वजह से उपभोक्ता परेशान रहते हैं। इससे एक तरफ उन पर वित्तीय बोझ बढ़ जाता है तो दूसरी तरफ उनके अंदर असंतोष बढ़ता है। राइट टू रिपेयर पोर्टल इंडिया से काफी मदद मिल सकेगी।
बैठक के दौरान डीओसीए की सचिव निधि खरे ने थर्ड पार्टी मरम्मत सेवाओं के लिए एक मजबूत ईको-सिस्टम और उनके लिए मानक स्थापित करने की दिशा में प्रयासों को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने उपभोक्ताओं को सड़क किनारे सहायता प्रदान करने पर भी जोर दिया।
इस बैठक में एसीएमए, एसआईएएम, एटीएमए, ईपीआईसी फाउंडेशन जैसे ऑटोमोबाइल संघों के विभिन्न प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसके अलावा टाटा मोटर्स, महिंद्रा, टीवीएस, रॉयल एनफील्ड, रेनॉल्ट और बॉश, यामाहा मोटर्स इंडिया, होंडा कार इंडिया जैसी कंपनियाँ भी मौजूद थीं।