नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश इकाई ने गुरुवार को राजधानी में बिजली वितरण करने वाली तीन में से दो कंपनियों को हो रहे घाटे पर सवाल उठाये हैं। पार्टी का कहना है कि जानबूझकर कंपनियां घाटा दिखा रही हैं और सरकार उन्हें ऐसा करने दे रही है।
प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा और भाजपा नेत्री बांसुरी स्वराज ने आज पत्रकार वार्ता में कहा कि दिल्ली में तीन बिजली कंपनियां बीएसईएस, बीपीवाईएल और एनडीपीएल काम कर रही हैं। ये तीनों बिजली कंपनियां बिजली खरीदती और वितरित करती हैं। एक बिजली कंपनी फायदे और अन्य दो बीएसईएस और बीपीवाईएल घाटे में हैं। बिजली कंपनी 26 हजार करोड़ के घाटे का दावा कर रही हैं और दिल्ली सरकार 21 हजार करोड़ का घाटा दिखा रही है। एक कंपनी दिल्ली सरकार को वार्षिक राजस्व प्रदान कर रही है जबकि अन्य दो सरकार द्वारा प्राप्त रिश्वत के कारण घाटा दिखाती हैं।
सचदेवा ने सवाल किया कि बीएसईएस और बीपीवाईएल साल दर साल लाइसेंस नियमों की अवेहना कर रही हैं। बिजली बेचने खरीदने में दोनों घाटा दिखा रही हैं। ऐसे में उन्हें लाइसेंस सरेंडर कर देना चाहिए। दिल्ली सरकार को चाहिए कि उनके लाइसेंस रद्द कर दे। ऐसा ही ओडिशा में सरकार सम्बंधित कम्पनी के साथ किया जा चुका है।
भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज ने कहा कि दिल्ली सरकार का रेगुलेटरी असैट एवं बिजली कम्पनियों का सैट आफ स्वीकार करना कानूनी, नैतिक और व्यापारिक रूप से गलत होगा और इसकी अंततः मार बिजली उपभोक्ताओं पर ही पड़ेगी।