कोरी समाज ने मनाई वीरांगना झलकारी बाई की जयंती, अर्पित किए श्रद्धासुमन

हमीरपुर : मुख्यालय के नगर पालिका स्थित रैन बसेरा में कोरी समाज महासंस्थान ने वीरांगना झलकारी बाई की 193वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रदेश अध्यक्ष डा.सुरेश कुमार कोरी रहे। जिन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वीरांगना झलकारी बाई के जीवन चरित्र पर विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष रामबहादुर नयन ने की। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि वीरांगना झलकारी बाई का जन्म 22 नवंबर 1830 में झांसी के निकट भोजला ग्राम में एक कोली परिवार में हुआ था। इनके पिता एक किसान थे और मां की बचपन मे ही मृत्यु हो गई थी। इनका पालन पोषण एक लड़के के रूप किया और पिता ने घुड़सवारी और तलवार बाजी सिखाई। इनकी शादी रानी लक्ष्मी बाई के यहाँ कार्यरत तोपखाने में पूरन सिंह से हुई। झलकारी बाई के पति ने रानी लक्ष्मीबाई से मुलाकात कराई तभी लक्ष्मीबाई ने इन्हें महिला दुर्गा सेना की सेनापति बना दिया और 1857 में झांसी में जब ब्रिटिश सेना ने बड़ी सेना के साथ झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के किले को घेर लिया था। तब झलकारी बाई ने रानी का भेष रखकर किले के मुख्य गेट से आकर अंग्रेजों से लड़ाई लड़कर गुमराह कर रानी लक्ष्मीबाई को पीछे के गेट से निकाल दिया था। इस तरह रानी लक्ष्मीबाई को बचाया था। इश मौके पर रामबाबू व भगवान दास टेलर ने गीत प्रस्तुत किए। इस मौके पर भोला, मुकेश, विजय अनुरागी, आनंद, शीतल प्रसाद, भगवान दास मौजूद रहे। संचालन रामहेत अनुरागी ने किया।

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