कांग्रेस ने मणिपुर की हालत को लेकर एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाया। आरोप लगाया कि इससे पहले कभी किसी प्रधानमंत्री ने एक राज्य या उसके लोगों को इस तरह नहीं छोड़ा है। कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने कहा कि 15 महीने पहले भाजपा के सत्ता में आने के बाद मणिपुर में ऐसी स्थिति का आना उसकी नीतियों और प्रधानमंत्री की प्राथमिकताओं को दिखाता है।
उन्होंने आरोप लगाया कि पांच महीने पहले, तीन मई की शाम को तथाकथित डबल इंजन सरकार की विभाजनकारी राजनीति’ के कारण मणिपुर में हिंसा भड़की थी। उन्होंने कहा कि लगभग एक महीने बाद, कर्नाटक चुनाव में अपनी जिम्मेदारियों को निभाकर और ऐसे अन्य जरूरी कार्यों से मुक्त होकर गृह मंत्री ने राज्य का दौरा करना उचित समझा। हालांकि, उनके दौरे से कोई सुधार नहीं हुआ बल्कि चीजें बद से बदतर हो गईं।
रमेश ने कहा कि सामाजिक सद्भाव पूरी तरह से बिगड़ चुका है। हर दूसरे दिन हिंसक अपराधों की भयावह खबरें सामने आती हैं। हजारों लोग अब भी राहत शिविरों में रह रहे हैं। सशस्त्र बलों और राज्य पुलिस के बीच झड़प होना आम बात हो गई है।
उन्होंने कहा कि फिर भी प्रधानमंत्री इस मामले में पूरी तरह चुप हैं। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि राज्य में हालात बिगड़ने के काफी दिनों बाद उन्होंने सिर्फ दिखावे के लिए 10 अगस्त को लोकसभा में 133 मिनट के भाषण में पांच मिनट से भी कम समय के लिए राज्य पर एक टिप्पणी करके औपचारिकता निभा दी।
उन्होंने कहा कि भाजपा के अधिकांश विधायक मुख्यमंत्री को पद से हटाना चाहते हैं। इसके बावजूद वह अपने पद पर बेशर्मी से बने हुए हैं। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री पर सवालों की बौछार की ।
उन्होंने कहा कि यह कुछ सवाल हैं, जिनपर विचार किया जाना चाहिए।
1. प्रधानमंत्री ने आखिरी बार मणिपुर का दौरा कब किया था?
2. प्रधानमंत्री ने आखिरी बार मणिपुर के भाजपा मुख्यमंत्री से कब बात की थी?
3. आखिरी बार प्रधानमंत्री ने मणिपुर के भाजपा विधायकों से कब मुलाकात की थी?
4. पिछली बार प्रधानमंत्री ने मणिपुर के अपने कैबिनेट सहयोगी के साथ राज्य पर चर्चा कब की थी?