कोलकाता। आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में प्रशिक्षु डॉक्टर से दुष्कर्म व हत्या मामले में गिरफ्तार संजय राय के अलावा पूर्व प्रिंसिपल समेत और छह लोगों का पालीग्राफ टेस्ट होगा। संजय को शामिल कर कुल सात लोगों के पॉलीग्राफ टेस्ट की अनुमति सियालदह के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) अदालत ने दी है। इस में संदीप और आरोपी, आरोपी के दोस्त तथा अस्पताल के चार जूनियर डॉक्टर शामिल है।
क्या होता है पॉलीग्राफ टेस्ट?
बताते चलें कि पॉलीग्राफ परीक्षण उस व्यक्ति या व्यक्तियों की सहमति के बिना नहीं किया जा सकता है, जिनके लिए आवेदन किया गया है। पॉलीग्राफ टेस्ट से प्राप्त जानकारी भी अदालत में साक्ष्य के रूप में स्वीकार्य नहीं है। यह परीक्षण केवल जांच की सुविधा प्रदान करता है। उस प्रक्रिया के लिए गुरुवार को सीबीआई ने सियालदह कोर्ट में इन सभी को पेश किया था। इसके बाद अनुमति दे दी गई।
14 दिन की हिरासत में मुख्य आरोपी
मुख्य आरोपी संजय रॉय को शुक्रवार को सियालदह कोर्ट में पेश किया गया, जहां न्यायाधीश ने उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। कड़ी सुरक्षा के बीच जज के कमरे में उनकी सुनवाई हुई। वहां पत्रकारों या बाहरी लोगों को प्रवेश की इजाजत नहीं थी।
गुमराह कर रहा आरोपी
सीबीआई को लगता है कि आरोपी घटना के बाद अस्पताल और सेमिनार रूम में जाने को लेकर तरह-तरह के बयान देकर जांचकर्ताओं को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। माना जा रहा है कि इसी वजह से सीबीआई अधिकारी पॉलीग्राफ टेस्ट कराना चाहते हैं। हिरासत में रहते हुए बार-बार भ्रामक जानकारी से जांचकर्ताओं को गुमराह करने की कोशिश की गई है।
सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, आरोपियों ने आरजी कर अस्पताल में प्रवेश होने के कारण और समय के बारे में गुमराह करने की कोशिश की है। उसने सेमिनार हाल में घुसने की वजह के बारे में भी भ्रामक जानकारी दी है। हालांकि, सीबीआई के पास घटना वाली रात का सीसीटीवी फुटेज है। इसमें आरोपित को चौथी मंजिल पर आते-जाते दिखाया गया है। माना जा रहा है कि जांचकर्ता इन्हीं सब कारणों से पॉलीग्राफ कराना चाहते हैं।
संदीप घोष से आठवीं बार पूछताछ
दूसरी ओर, संदीप भी शुक्रवार को सीजीओ कार्यालय में उपस्थित हुए। उन्हें आठवीं बार सीबीआई पूछताछ का सामना करना पड़ रहा है। आरजी कर अस्पताल के आपातकालीन विभाग के चौथे मंजिल के सेमिनार हॉल से डाक्टर का शव बरामद होने के बाद से संदीप आलोचनाओं के घेरे में हैं। अस्पताल के जूनियर डॉक्टरों ने उन्हें हटाने की मांग की थी। आंदोलन के दबाव में आकर संदीप ने खुद इस्तीफा दे दिया था, लेकिन उसी दिन उन्हें दूसरे अस्पताल का प्रिंसिपल नियुक्त कर दिया गया। उस नियुक्ति पर भी बड़ा हंगामा हुआ था। बाद में कलकत्ता हाई कोर्ट ने उन्हें छुट्टी पर भेज दिया था। इसके बाद डाक्टरों के आंदोलन की मांग को देखते हुए बुधवार को संदीप को नेशनल मेडिकल के प्रिंसिपल के पद से भी हटा दिया गया। इस बार सीबीआई को पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की भी इजाजत मिल गई है।